‘लिव इन’ संस्कृति पर प्रकाश डालने वाली ‘भूल भिंगरी’
राज्य हौशी मराठी नाट्य स्पर्धा की प्राथमिक फेरी की शुरुआत
अमरावती/दि.7– मराठी रंगभूमि को एक विशेष स्थान देने वाले अंबानगरी में 62वें महाराष्ट्र राज्य हौशी मराठी नाट्य स्पर्धा के प्राथमिक फेरी में रसिकों के भारी प्रतिसाद मिलने की शुुरुआत हो गई है. मंगलवार 5 दिसंबर की रात रजनीश जोशी लिखित व डॉ. अनंत देव व मनोज उज्जैनकर दिग्दर्शीत ‘भूल भिंगरी’ इस युवा जागर कला केंद्र अमरावती निर्मिती सामाजिक नाटिका से स्पर्धा का शुभारंभ हुआ.
केवल दो पात्री सहभाग से प्रस्तुत हुई यह नाटिका सुखी जीवन जीने के लिए मनुष्य व्दारा किए जा रहे संघर्ष, अधिक पैसा और केवल पैसा कमाने की धुन में हुई पारिवारिक अनदेखी, संघर्ष में आई विफलता, उससे निर्माण हुई निराशा, चरमराई विवाह संस्था आदि ‘भूल भिंगरी’ के माध्यम से लेखक ने प्रस्तुत कि है. विवाह संस्था को ठुकराकर वर्तमान की ‘लीव इन’ संस्कृति को अपनाकर जीने की पद्धति पर यह संहिता आधारित है. लीव इन रिलेशनशीप में रहने वालेे लीनी (संपदा बनसोड)तथा जय (अतुल घुले) अपने संबंधों का 10वां जन्मदिन मनाने के दृश्य से नाटक की शुरुआत होती है. अवसर पर उनमें होने वाले संवाद से इस नाटिका की शुरुआत होती है. कथानक धीमी गति से आगे बढते रहते विवाह के लिए लीनी व्दारा की जा रही जिद्ध, मां होने की रखी गई भावना और उसे जय ने जीवन में सक्षमता से खडे रहने की बातों पर किया टालमटोल दिग्दर्शक ने दोनों पात्रों से रंगमंच पर प्रस्तुत किया है.
पहले शुुरुआत में जय झूठ बोलकर बडी नौकरी लेकर सफल होने का दिखावा करता है. अपनी महत्वाकांक्षाओं के कारण लीनी की तरफ उसकी हो रही अनदेखी, इससे उसकी भावनाओं पर पहुंचने वाली ठेस व इससे निर्माण होने वाले दोनों के बीच होने वाला संघर्ष यह इस नाटिका की कथा है. हिमांशु अहिरे की प्रकाश योजना, मनोज उज्जैनकर का पार्श्वसंगीत और दिग्दर्शन नाटिका के प्रसंगों से सुसंगत होता है. डॉ. श्याम देशमुख की नैपत्थ संहिता को सुसंगत होती है. रंगभूषा रिया भूयार ने तथा वेशभूषा सारिका उज्जैनकर की है.