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बीमारियों का इलाज करवाते है भुमकाओं से
चिखलदरा/दि.2 – आदिवासी बहुल मेलघाट के आदिवासियों में अब भी अंधश्रद्धा कायम है. वे डॉक्टर के पास नहीं जाकर जादू टोना करने वाले भुमकाओं पर विश्वास कर उनसे ही इलाज करवाते है. अनेकों वर्षो से यह कुप्रथा आदिवासियों में कायम है. जिसमें इलाज के दौरान मरीज ठीक तो नहीं होते बल्कि और बीमार हो जाते है. इसी तरह भुमका से उपचार करने का मामला सामने आया है. जिसमें भुमका द्वारा छोटे बच्चे का पेट फुलने पर गर्म चिमटे से चटके देकर उपचार किया गया. जिसमें बच्चा गंभीर रुप से घायल हो गया. पिछले दो महीनों में यह चौथी घटना है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार को चिखलदरा तहसील अंतर्गत आने वाले लवादा ग्राम के दिनेश राजू अखंडे इस दो वर्ष के बच्चे का अचानक पेट फुल गया था. इस बच्चे को उसके परिवारवालों ने उपचार के लिए डॉक्टर के पास न ले जाकर गांव से २५ किमी दूर स्थित सेमाडोह के भुमका के पास ले जाया गया. भुमका ने उसका इलाज गर्म चिमटे से चटका देकर किया. जिससे उस बच्चे की हालत गंभीर हो गई और उसे तुरंत स्वास्थ्य कर्मचारी व डॉक्टर ने अचलपुर स्थित उपजिला अस्पताल पहुंचाया. बच्चे की हालत नाजुक होने की वजह से बच्चे के परिजनों कोे उसे नागपुर जाने की सलाह दी गई थी. जिसमें बच्चे के परिजनों ने नागपुर जाने से इंकार कर दिया. अब उसका उपचार जिला सामान्य अस्पताल अमरावती यहां चल रहा है. ऐसी जानकारी स्वास्थ्य यंत्रणा द्वारा दी गई.
उपचार के दौरान दिनेश अखंडे गंभीर
चिलखदरा तहसील अंतर्गत आने वाले लवादा ग्राम के दो वर्षीय दिनेश अखंडे का पेट फुल जाने पर उसके परिजनों ने सेमाडोह के भुमका से उपचार करवाया. भुमका ने दिनेश को गर्म चिमटे के चटके दिए. जिसमें वह गंभीर रुप से घायल हो गया था. घायल अवस्था में दिनेश को उपजिला अस्पताल अचलपुर और उसके पश्चात जिला सामान्य अस्पताल उपचार के लिए अमरावती पहुंचाया गया.
सोशल मीडिया पर बच्चे की मौत की खबर महज अफवाह
पेट फुल जाने की वजह से दो साल के राजू अखंडे का उपचार सेमाडोह के भुमका ने चटके देकर किया. जिससे बच्चा गंभीर रुप से जख्मी हो गया था. सोशल मीडिया के कुछ चैनलों पर बच्चे की मौत होने की खबर दी गई थी. किंतु यह अफवाह साबित हुई वह बच्चा अब स्वस्थ्य है और जिला अस्पताल में उसका उपचार चल रहा है. ऐसी जानकारी जिलाशल्य चिकित्सक श्यामसुंदर निकम ने दी.
आदिवासियों में अघोरी प्रथा अब भी कायम
एक ओर देश २१ वीं सदी की ओर जा रहा है. मेलघाट के आदिवासियों के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अनेकों योजनाए चलायी जा रही है. जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा का समावेश है. किंतु बरसो से चली आ रही आदिवासियों की परंपराए आज भी कायम है. पेट फुलने पर चटका दिया जाता है. यह अंधश्रद्धा का प्रकार है बीमारियों पर भुमकाओं द्वारा उपचार किया जाता है. लवादा के दिनेश अखंडे के साथ भी यही हुआ उसका भी उपचार गर्म चिमटे से किए जाने पर वह घायल हो गया जिसमें अब भुमका के खिलाफ पुलिस ने शिकायत करने की प्रक्रिया शुरु कर दी है. ऐसी जानकारी सूत्रोें द्वारा प्राप्त हुई है.