मोर्शी में भुयार व मेलघाट में पटेल को ‘धोबी पछाड’
कौन सा फैक्टर साबित हुआ घातक, किस पर भाडी पडे अपने ही बयान
अमरावती/दि.25– मोर्शी व मेलघाट विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायकों को संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं ने एक तरह से धोबी पछाड दी है. जिसके चलते मोर्शी के मौजूदा विधायक देवेंद्र भुयार व मेलघाट के मौजूदा विधायक राजकुमार पटेल को शर्मनाक हार का सामना करना पडा. साथ ही दोनों की जमानत तक जब्त हो गई. ऐसे में अब इन दोनों विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मौजूदा विधायकों की हार के कारणों को लेकर जमकर चर्चाएं चल रही थी. जिसके तहत माना जा रहा है कि, मोर्शी के निवर्तमान विधायक देवेंद्र भुयार पर उनके बे लगाम बयान भारी पड गये. साथ ही मोर्शी के निवर्तमान विधायक राजकुमार पटेल के लिए ऐन समय पर की गई राजनीतिक उछल कूद भारी पडी. जिसके चलते इन दोनों प्रमुख प्रत्याशियों को हार का सामना करने के साथ ही डिपॉझिट वाली स्थिति से भी दो-चार होना पडा.
बता दें कि, वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री व भाजपा प्रत्याशी डॉ. अनिल बोंडे को पराजीत करते हुए महज 31 वर्ष की उम्र में देवेंद्र भुयार ने स्वाभिमानी शेतकरी संगठन की टिकट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था और युवा चेहरे के तौर पर वे पूरे राज्य में चर्चित भी हुए थे. परंतु उन्होंने बीच में ही सांसद राजू शेट्टी का साथ छोडते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से नजदीकी साधनी श्ाुरु कर दी तथा ढाई वर्ष पहले राकांपा में हुई फुट के बाद वे अजीत पवार गुट वाली राकांपा के साथ चले गये. वहीं जहां पूरे महाराष्ट्र में महायुति के तहत अजीत पवार गुट वाली राकांपा और भाजपा एक साथ रहे. वहीं अजीत पवार का वरदहस्त प्राप्त रहने के बावजूद भी देवेंद्र भुयार को मैत्रीपूर्ण भिडंत का सामना करना पडा और चौकोनी मुकाबले में देवेंद्र भुयार चारो खाने चीत हो गये. सन 2019 में 96 हजार 152 वोट हासिल करते हुए विधानसभा पहुंचने वाले देवेंद्र भुयार को इस बार केवल 34 हजार 695 वोटों पर ही संतोष मानना पडा और कुल वैध वोटों में से एक षष्टमांश वोट भी नहीं मिलने के चलते उनकी जमानत तक जब्त हो गई. वहीं दूसरी ओर देवेंद्र भुयार के साथ अपना पुराना हिसाब को बरामद करने के साथ इस समय भाजपा के जिलाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद रहने वाले डॉ. अनिल बोंडे ने अपने समर्थक उमेश यावलकर के लिए मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र हेतु महायुति के तहत उम्मीदवारी खींचकर लायी तथा यावलकर के लिए भाजपा के कद्दावर नेता व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जनसभा भी करवाई. जिसके चलते देवेंद्र भुयार का ‘गेम’ हो गया. यहा यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, देवेंद्र भुयार द्वारा युवतियों सहित निर्वाचन क्षेत्र के ‘बडे वाडा’ को लेकर दिये गये अनर्गल बयानों के चलते उन्हें लेकर नकारात्मक माहौल तैयार हुआ था. जिसकी वजह से मतदाताओं ने देवेंद्र भुयार से इस बार दूरी बना ली.
उधर विधानसभा चुनाव से पहले प्रहार पार्टी के मुखिया बच्चू कडू ने महायुति से अलग होते हुए परिवर्तन महाशक्ति नामक तीसरी आघाडी बनाई थी. परंतु तीसरी आघाडी की उम्मीदवारी लेकर मेलघाट से जीत मुश्किल रहने की बात महसूस रहने पर मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल ने 5 वषों से चला आ रहा प्रहार पार्टी का साथ एक झटके में तोड दिया और तुरंत सत्ता में रहने वाली शिंदे सेना के साथ नजदीकी साधी. जिसके बाद शिंदे सेना के मंत्री उदय सामंत भी राजकुमार पटेल के लिए मेलघाट आये और मेलघाट में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सभा भी तय की गई. परंतु दिग्गज उद्योजक रतन टाटा का इसी बीच निधन हो जाने के चलते राष्ट्रीय शोक घोषित हो गया और सीएम शिंदे की मेलघाट में होने वाली सभा टल गई. जिसके चलते शिंदे सेना में शामिल होकर महायुति का प्रत्याशी बनने का राजकुमार पटेल का सपना चकनाचूर हो गया. जिसके बाद उन्होंने अलग-अलग राजनीतिक दलों का दरवाजा ठकठकाया. लेकिन हर ओर से निराशा ही हाथ लगने के बाद वे एक बार फिर प्रहार पार्टी के मुखिया बच्चू कडू के पास लौटे और बच्चू कडू ने दिल बडा करते हुए राजकुमार पटेल को प्रहार पार्टी में शामिल करने के साथ ही उन्हें उम्मीदवारी दी. लेकिन वर्ष 2019 मेें मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से 84 हजार से अधिक वोट हासिल करने वाले राजकुमार पटेल इस बार बमुश्किल 25 हजार वोटों तक ही पहुंच पाये. साथ ही कुल वैध वोटों की तुलना में मात्र एक तिहाई वोट मिलने के चलते राजकुमार पटेल की जमानत तक जब्त हो गई.
* 2 चुनावों में पटेल व भुयार को मिले वोट
प्रत्याशी वर्ष 2019 वर्ष 2024
राजकुमार पटेल 84,569 25,281
देवेंद्र भुयार 96,152 34,695
* किसने जलाई थी कार, आज तक जांच ठंडे बस्ते में
याद दिला दें कि, वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले कुछ अज्ञात लोगों द्वारा अपनी कार जला दिये जाने की शिकायत तब स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रत्याशी रहने वाले देवेंद्र भुयार द्वारा पुलिस थाने पहुंचकर दर्ज कराई गई थी और आरोप लगाया था कि, यह हमला पूर्व नियोजित था तथा उन्हें जान से मारने का प्रयास किया गया है. इसके बाद देवेंद्र भुयार चुनाव जीतकर विधायक भी निर्वाचित हुए. लेकिन आगे चलकर इस मामले की जांच ठंडे बस्ते में चली गई. जबकि उस घटना के मुख्य सूत्रधार को पकडकर देवेंद्र भुयार पर हुए कथित हमले के मामले का पर्दाफाश करने हेतु कई संगठनों द्वारा पुलिस को निवेदन भी सौंपे गये. लेकिन पुलिस ने एक बार भीे उस घटना से संबंधित फाइल को उठाकर नहीं देखा. जिसके चलते उस मामले को लेकर अच्छा खासा संदेह बना रहा और इस बार के चुनाव प्रचार दौरान 5 वर्ष पुराना वह मुद्दा चर्चा एवं प्रचार के केंद्र में रहा.