* पक्षियों की नई प्रजाति की खोज होगी
अमरावती/ दि.18– मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में पहली बार 26 से 29 जनवरी की कालावधि में पक्षी सर्वेक्षण किया जा रहा है. इसके लिए 80 पक्षी विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाने वाली है. अब तक 60 पक्षी विशेषज्ञों ने इसके लिए पंजीयन भी किया है.
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में हमेशा वन्यप्राणी गणना की जाती है, लेकिन यहां रहे विविध प्रजाति के पक्षी सहित स्थलांतर कर आने वाले और नए पक्षियों का पंजीयन ही नहीं हुआ. यहां दिखाई देने वाले पक्षी का पंजीयन करने के उद्देश्य से सर्वेक्षण किया जाने वाला है. इसके लिए 80 पक्षी विशेषज्ञों का दल तैयार किया जा रहा है. इस दल का चयन 11 सदस्यीय समिति व्दारा किया जाता है. इसमें अध्यक्ष पद पर विभागीय वन अधिकारी एन. एन. खैरनार, सहायक वनसरंक्षक वी. एस. आर्या (अकोट), अमरावती अशासकीय संस्था के सदस्य डॉ. जयंत वडतकर, मानद वन्यजीव रक्षक डॉ. सारवन देशमुख, शिवाजी शिक्षण संस्था प्राणीशास्त्र विभाग के डॉ. गजानन वाघ, निसर्ग संरक्षण संस्था अमरावती के निशिकांत काले व अन्यों का समावेश है. मेलघाट के अंबाबरवा, चुनखडी, शेंबडा व पांचलिंबु आदि स्थानों पर बडी संख्या में विविध प्रजाति के प क्षियों का संचार रहता है. यहां 40 महत्वपूर्ण स्थानों पर पक्षी विशेषज्ञ दल की नियुक्ति की जाने वाली है. प्रत्येक दल ने जो पक्षी विशेषज्ञ, सुरक्षा के लिए एक वनरक्षक और चार कर्मचारियों की तैनाती रहने वाली है.
मेलघाट में सुरुची, लुईया व कंठा इन दो प्रजाति के तोते, कालेपट्टे का तोता, उल्लू, धीवर, कवडी, खंड्या, वेडाराघू, किलकिला, निलकंठ, नवरंग, खाटीक, तांबट, हलबा, कोतवाल, चिरक, स्वर्गीय नर्तक, सर्प गरुड, शिक्रा, श्रृंगी उल्लू सहित विविध प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं.
120 साल के बाद दिखा जंगली तोता
मेलघाट में 120 साल के बाद उल्लू पक्षी की तरह रहने वाला जंगली तोता नामक पक्षी दिखाई दिया. यह लंबी चोच वाला और ग्रे रंग का पक्षी फिलहाल यहां का मुख्य आकर्षण है. यह पक्षी दिखाई देने के बाद ही यहां और कौनसे पक्षियों की नई प्रजाति दिखाई देती है. इसी का सर्वेक्षण कर उसे दर्ज किया जाने वाला है.
ई-बर्ल्ड अप्लीकेशन में दर्ज कर अपडेट करेंगे
चार दिवसीय सर्वेक्षण में जो नए पक्षी मेलघाट में दिखाई देंगे उसे ई-बर्ल्ड अप्लीकेशन में दर्ज कर उसे अपडेट किया जाने वाला है. नए पक्षियों की खोज करना यहीं इस पक्षी सर्वेक्षण का मुख्य मकसद है.
– स्वप्नील बंगाडे,
पर्यटन अधिकारी, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प