समीर वानखेडे को भाजपा बना सकती है अपना प्रत्याशी
शिंदे की शिवसेना को विदर्भ से दूर रखने की रणनीति
* वाशिम-यवतमाल संसदीय सीट से मैदान में उतारने पर विचार
* एनसीबी के बेहद चर्चित अधिकारी रहे हैं समीर वानखेडे
अमरावती /दि.22- आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा नॉर्कोटीक्स कंट्रोल ब्यूरो यानि एनसीबी के पूर्व झोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे को यवतमाल-वाशिम संसदीय क्षेत्र से अपने प्रत्याशी के तौर पर चुनावी अखाडे में उतार सकती है. ऐसी बेहद विश्वसनीय खबर दैनिक अमरावती मंडल के हाथ लगी है.
बता दें कि, यवतमाल-वाशिम संसदीय सीट से शिवसेना की भावना गवली लगातार 5 बार सांसद चुनी जा चुकी है और भावना गवली ने अब तक अपने सभी चुनाव भाजपा सेना युति के तहत शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर जीते है. परंतु वर्ष 2022 में शिवसेना के भीतर शिंदे गुट द्वारा की गई बगावत के बाद ही दोफाड के पश्चात सांसद भावना गवली ने उद्धव ठाकरे गुट का साथ छोडते हुए बगावत करने वाले सीएम शिंदे गुट का साथ दिया. साथ ही भावना गवली यवतमाल-वाशिम संसदीय क्षेत्र से लगातार छठवी बार चुनाव लडते हुए अपनी जीत का ‘सिक्सर’ लगाने की योजना बना रही है. परंतु वहीं दूसरी ओर शिंदे गुट के साथ महायुति बनाते हुए राज्य की सत्ता में शामिल भाजपा की निगाहे भी इस बार यवतमाल-वाशिम संसदीय सीट पर है. राजनीतिक जानकारी के मुताबिक चूंकि विदर्भ क्षेत्र में शिंदे गुट का कोई विशेष अस्तित्व एवं प्रभाव नहीं है. ऐसे में भाजपा इस बात को ध्यान में रखते हुए शिंदे गुट को विदर्भ में कोई सीट नहीं देना चाहती, बल्कि अब तक विदर्भ क्षेत्र की जिन-जिन सीटों को भाजपा सेना युति के तहत शिवसेना के कोटे में छोडा जाता था. उन सभी सीटों पर इस बार भाजपा अपने प्रत्याशी खडे करना चाहती है. जिनमें सांसद भावना गवली का निर्वाचन क्षेत्र रहने वाला यवतमाल-वाशिम संसदीय क्षेत्र भी शामिल है. जहां से इस बार भाजपा द्वारा भारतीय राजस्व सेवा के सबसे चर्चित अधिकारी रह चुके समीर वानखेडे को मैदान में उतारने का नियोजन कर रही है.
उल्लेखनीय है कि, एनसीबी के पूर्व झोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे और भाजपा की नजदीकीयां किसी से छीपी नहीं है. समीर वानखेडे का नाम उस समय सबसे अधिक चर्चा में आया था, जब उन्होंने फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आरयन खान को ड्रग्स के मामले में गिरफ्तार किया था तथा समीर वानखेडे पर अभिनेता शाहरुख खान से 25 करोड रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप भी लगा था. उस समय राज्य की सत्ता में शामिल महाविकास आघाडी का हिस्सा रहने वाली राकांपा के नेता नवाब मलिक ने समीर वानखेडे पर बेहद संगीन आरोप लगाये थे और तब विपक्ष में रहने वाली भाजपा एक तरह से समीर वानखेडे के बचाव में उतर आई थी. वहीं अब भाजपा राज्य की सत्ता में है तथा मविआ में शामिल शिवसेना व राकांपा में दोफाड हो चुकी है. बदली हुई राजनीतिक स्थितियों के बीच समीर वानखेडे की भाजपा के साथ नजदीकीयां दिनोंदिन बढती चली गई. जिसके चलते अब भाजपा द्वारा समीर वानखेडे को लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाये जाने पर विचार किया जा रहा है.
* कौन हैं समीर वानखेडे, क्या है विदर्भ से रिश्ता?
वर्ष 2008 की बैच के भारतीय राजस्व सेवा (कस्टम व अप्रत्यक्ष कर) अधिकारी रहने वाले समीर वानखेडे का जन्म यद्यपि मुंबई में हुआ था. किंतु उनके पिता ज्ञानेश्वर कचरुजी वानखेडे मुलत: वाशिम जिले की रिसोड तहसील अंतर्गत दिघोरा गांव से वास्ता रखा करते थे. जो कालांतर में अपनी पुलिस की नौकरी करने हेतु मुंबई जाकर बस गये थे और वहीं पर उनका विवाह हुआ था. जिसके उपरान्त मुंबई में ही समीर वानखेडे व उनकी बहन यास्मिन वानखेडे का जन्म हुआ था. वर्ष 2008 में मुंबई विमानतल पर कस्टम विभाग के डेप्यूटी कमिश्नर के तौर पर अपनी पहली नियुक्ति मिलने के बाद से ही समीर वानखेडे ने एक तेज तर्रार अधिकारी के तौर पर काम करना शुरु किया था और कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के खिलाफ कस्टम कानून के तहत कार्रवाई की थी. 15 वर्ष के दौरान करीब 17 हजार किलो मादक पदार्थों तथा 165 किलो सोने की खेप को जब्त करने वाले समीर वानखेडे का नाम उस समय सबसे अधिक चर्चा में आया, जब उन्होंने फिल्म अभिनेता सुशांतसिंह राजपुत के मौत के मामले में जांच करते हुए बॉलीवुड से जुडे कई लोगों से पूछताछ की थी. साथ ही फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आरयन खान को उसके दोस्तों सहित एक क्रूज से कथित तौर पर ड्रग्ज के साथ पकडा था. उस समय राकांपा नेता नवाब मलिक ने समीर वानखेडे को लेकर बेहद संगीन आरोप लगाते हुए यहां तक कहा था कि, समीर वानखेडे जन्म से हिंदू दलित नहीं, बल्कि मुस्लिम है और उन्होंने अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाणपत्र पेश करते हुए गलत तरीके से आरक्षण का लाभ लिया था. उस समय यह मामला काफी चर्चित हुआ था. हालांकि बाद में जाति वैधता जांच समिति ने इन तमाम आरोपों को सीरे से खारिज करते हुए यह मान्य किया था कि, समीर वानखेडे अथवा उनके पिता ज्ञानेश्वर वानखेडे ने कभी भी हिंदू धर्म का त्याग कर इस्लाम धर्म को नहीं अपनाया था. हालांकि दोनों पिता-पुत्र ने मुस्लिम महिलाओं से ही विवाह किया था. कई वर्ष पहले नौकरी करने हेतु वाशिम जिले से मुंबई पहुंचे ज्ञानेश्वर वानखेडे ने वहां पर जाहीदा नामक महिला से विवाह किया था. वहीं वर्ष 2006 में ज्ञानेश्वर वानखेडे ने शबाना कुरैशी से विवाह किया था. हालांकि यह विवाह वर्ष 2016 तक ही चल पाया. इसके उपरान्त वर्ष 2017 में समीर वानखेडे के मराठी अभिनेत्री क्रांति रेडेकर से विवाह कर लिया.