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जिले में बिखराव व संभ्रम का शिकार हो रही भाजपा

विधानसभा चुनाव की अब दरवाजे पर दस्तक

* सहयोगी व विपक्षी दल तुलनात्मक रुप से निकले आगे
* ऐन चुनावी मुहाने पर भी भाजपा में नहीं दिख रहा कोई ठोस नियोजन
* बडे-बडे नेताओं के तो हो रहे दौरे, स्थानीय स्तर पर किसी की कोई पूछ-परख नहीं
अमरावती /दि.28- अगले दो माह में राज्य विधानसभा के चुनाव होने की पूरी संभावना बन गई है. जिसके लिए आगामी अक्तूबर माह के दौरान चुनावी आचार संहिता भी लागू हो सकती है. जिसके चलते सभी राजनीतिक दल अपने अपने स्तर पर चुनावी तैयारियों में जुट गये है और काफी हद तक चुनावी गहमा गहमी भी शुरु हो गई है. लेकिन हैरत की बात यह है कि, हमेशा ही ‘इलेक्शन मोड’ में रहने वाली और इस समय केंद्र सहित राज्य की सत्ता संभाल रही भारतीय जनता पार्टी में अमरावती शहर व जिलास्तर पर चुनाव को लेकर कोई विशेष उत्साह और सक्रियता दिखाई नहीं दे रहे. बल्कि स्थानीय स्तर पर भाजपा एक तरह से संभ्रम व बिखराव का शिकार दिखाई दे रही है. वहीं भाजपा के सहयोगी दलों सहित विपक्षी दल तुलनात्मक रुप से आगामी चुनाव को लेकर तैयारियों के मामले में कही आगे खडे दिखाई दे रहे है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, अमरावती शहर सहित जिले में भाजपा इस समय काफी हद तक तितर बितर होकर बिखराव का शिकार है.
यहां यह कहना कतई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, भले ही अमरावती जिले से वास्ता रखने वाले भाजपा के ग्रामीण जिलाध्यक्ष डॉ. अनिल बोंडे इस समय राज्यसभा के सदस्य है. लेकिन उनके अलावा अमरावती जिले में भाजपा के पास कोई बडा नाम व चेहरा नहीं है. यद्यपि भाजपा ने लोकसभा चुनाव के समय नवनीत राणा जैसे चर्चित चेहरे को पार्टी में प्रवेश देने के साथ ही अमरावती संसदीय क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी भी बनाया था. लेकिन चुनाव में हार होने के बाद नवनीत राणा की भाजपा में कोई विशेष सक्रियता दिखाई नहीं दे रही. वहीं यह कहना भी गलत नहीं होगा कि, नवनीत राणा को प्रत्याशी बनाये जाने के चलते स्थानीय स्तर पर भाजपा में अघोषित रुप से दोफाड हो गई थी और लोकसभा चुनाव के बाद इस असर पार्टी में बिखराव के तौर पर दिखाई देने लगा. ऐसे में अब ऐन विधानसभा चुनाव के मुहाने पर स्थानीय स्तर भाजपा के सभी पदाधिकारी एक तरह से संभ्रम का शिकार है. इसकी सबसे बडी वजह यह भी है कि, महायुति के तहत भाजपा द्वारा जिले की किन-किन सीटों पर चुनाव लडा जाएगा और किस निर्वाचन क्षेत्र से कौन प्रत्याशी होगा. इसमेें से अब तक कुछ भी तय नहीं हुआ है. जिसके चलते चुनाव लडने के इच्छुकों द्वारा अपने अपने स्तर पर तमाम तरह के दावे किये जा रहे है और हर किसी के द्वारा किये जाते ऐसे दावों की वजह से संभ्रम व बिखराव और भी अधिक बढ रहे है.
ज्ञात रहे कि, इन दिनों भाजपा द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सर्वे के नाम पर एक के बाद एक कई केंद्रीय नेताओं को अमरावती के दौरे पर भेजा जा रहा है. लेकिन आगामी चुनाव के लिए स्थानीय स्तर पर कोई नियोजन नहीं हो रहा. ऐसे में आगामी चुनाव के लिए भाजपा की ओर से क्या तैयारियां हो रही है. इसे लेकर चित्र अब तक स्पष्ट नहीं हो पा रहा. महायुति के तहत अमरावती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा चुनाव लडेगी. या फिर यह सीट महायुति में शामिल अजीत पवार गुट वाली राकांपा के लिए छोडी जाएगी. इसे लेकर अब तक कोई अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. लेकिन अजीत पवार गुट ने इस सीट पर एक तरह से अपना दावा ठोंकते हुए अमरावती की विधायक सुलभा खोडके को आगामी चुनाव में अघोषित तौर पर अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया गया है. जबकि अमरावती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले भाजपा शहराध्यक्ष व पूर्व विधान परिषद सदस्य प्रवीण पोटे पाटिल चुनाव लडने को लेकर अपने बयान व भूमिका लगातार बदल रहे है. पूर्व विधायक प्रवीण पोटे कभी विधानसभा चुनाव लडने की बात कहते है और कभी अपने ही बयान से मुकर जाते है. जिसके चलते अमरावती शहर भाजपा में काफी संभ्रम देखा जा रहा है. ठीक इसी तरह बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र को लेकर भी भाजपा ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले है. जबकि महायुति में शामिल युवा स्वाभिमान पार्टी के मुखिया व विधायक रवि राणा ने काफी पहले से ही यह सीट महायुति के तहत युवा स्वाभिमान पार्टी के लिए छूटने और अपने द्वारा चुनाव लडने की घोषणा कर रखी है. जबकि विधायक राणा से पुरानी खुन्नस रखते हुए अपना हिसाब किताब पूरा करने की इच्छा रखने वाले भाजपा के कई पदाधिकारी बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र को इस बार भाजपा के कोटे में रखने और यहां से भाजपा प्रत्याशी को खडा करने की मानसिकता में है. लेकिन उनकी यह मांग पूरी होगी अथवा नहीं यह अभी तक तय नहीं है. जिससे संभ्रम बना हुआ है.
उधर इससे पहले भाजपा की ग्रामीण जिलाध्यक्ष रह चुकी निवेदिता चौधरी दिघडे ने एक गुमनाम से यूट्यूब चैनल के जरिए अपना साक्षात्कार देते हुए इस बार भाजपा प्रत्याशी के तौर पर तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडने की इच्छा जतायी है. इसके अलावा मौजूदा विधायकों की सीट पक्की वाली नीति के तहत विगत विधानसभा चुनाव में अमरावती जिले से भाजपा को एकमात्र जीत दिलाने वाले धामणगांव रेल्वे के विधायक प्रताप अडसड को भाजपा द्वारा महायुति की ओर से प्रत्याशी बनाया जाना तय बताया जा रहा है. लेकिन प्रताप अडसड की पोजिशन भी ठोस नहीं दिखाई दे रही. इसके अलावा अब तक भाजपा के साथ महायुति में शामिल रहने वाले प्रहार पार्टी के विधायक बच्चू कडू व राजकुमार पटेल ने अब महायुति छोड दी है और वे तीसरी आघाडी में शामिल हो गये है. ऐसे में जहां अब तक यह माना जा रहा था कि, आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अचलपुर व मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र को महायुति द्वारा प्रहार पार्टी के लिए छोडा जाएगा. वहीं अब इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों को महायुति के तहत किस घटक दल हेतु छोडना है और वहां से प्रत्याशी कौन होगा, इसे लेकर भी जमकर माथापच्ची चल रही है. जिसका हाल फिलहाल में कोई हल निकलता दिखाई नहीं दे रहा.
सबसे विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि, अमरावती जिले में जहां एक ओर भाजपा के केंद्रीय स्तर से बडे-बडे नेताओं के दौरे हो रहे है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न तरह के सरकारी कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे है. जिनमें भाजपा सहित सहयोगी दलों से मंत्री रहने वाले नेताओं द्वारा हाजिरी लगाई जा रही है. ऐसे कार्यक्रमों में केवल कुछ चुनिंदा पदाधिकारियों की ही मौजूदगी दिखाई देती है और आम कार्यकर्ताओं का दूर-दूर तक कोई अता-पता नहीं चल रहा. साथ ही ऐसे कार्यक्रमों की भीडभाड के बीच भाजपा द्वारा पार्टी लेवल पर अमरावती शहर सहित जिले के स्तर पर कोई कर्यक्रम नहीं लिया जा रहा. ऐसे में भले ही पार्टी नेतृत्व द्वारा प्रल्हाद पटेल जैसे कद्दावर नेता को अमरावती जिले की जिम्मेदारी सौंपकर जिला दौरे पर भेजा गया है. लेकिन भाजपा नेता प्रल्हाद पटेल ने किन-किन स्थानों का दौरा किया और किन-किन लोगों से स्थानीय पदाधिकारियों ने उनकी मुलाकात कराई. इसका कोई अता पता ही नहीं. उधर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जैसे वरिष्ठ भाजपा नेता के कार्यक्रम में विगत लोकसभा चुनाव के समय भाजपा में शामिल हुई पूर्व सांसद नवनीत राणा दिखाई नहीं दी. यह भी अपने आप में पार्टी के भीतर हो रहे बिखराव का बडा संकेत है. इसके अलावा राज्यसभा सांसद रहने वाले भाजपा के ग्रामीण जिलाध्यक्ष डॉ. अनिल बोंडे द्वारा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की जिभ पर चटके देने सहित कई राष्ट्रीय मुद्दों पर बयान देने के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम से संबंधित विषयों पर ही बात की जाती है. लेकिन अमरावती जिले में भाजपा को संगठनात्मक रुप से मजबूत रखने एवं आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरु करने के संदर्भ में सांसद अनिल बोंडे कभी कोई बयान देते दिखाई नहीं देते. जिसके चलते जिलास्तर पर दूसरी व तीसरी पंक्ति के पदाधिकारियों व आम कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर जबर्दस्त संभ्रम है कि, आखिर आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें करना क्या है और इसी मानसिकता के चलते भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी व कार्यकर्ता बिखराव का शिकार होकर एक तरह से तितर बितर हो रहे है. जिसका पूरा फायदा भाजपा के सहयोगी दलों सहित विपक्षी गठबंधन मविआ में शामिल दलों द्वारा उठाया जा रहा है, जो चुनावी तैयारियों के मामले में इस समय भाजपा की तुलना में कही आगे दिखाई दे रहे है.

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