चाहने वालों में शोक की लहर
प्रतिनिधि/ दि. 5 भारतीय जनता पार्टी के पूर्व शहराध्यक्ष डॉ. प्रदीप शिंगोरे ने रविवार को मुम्बई में अंतिम सांस ली. विगत एक वर्ष से उनका बीमारी के चलते उपचार चल रहा था. उपचार के दौरान रविवार को उन्हें दिल का दौरा पड़ा. जिससे उनका अकस्मात निधन हुआ. रविवार की देर रात उनका पार्थिव मुम्बई से अमरावती कैम्प स्थित उनके निवासस्थान पर लाया गया. सोमवार, 5 सितंबर को सुबह 10 बजे हिंदू मोक्षधाम की ओर अंतिम यात्रा निकाली गई.
डॉ. प्रदीप शिंगोरे की अपने जीवनकाल में वैद्यकीय क्षेत्र के साथ उनकी राजनीतिक क्षेत्र में अच्छी पकड़ रही. भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता रहने के साथ ही उन्हें विभिन्न पद पर कार्य करने का मौका मिला. जब वे शहराध्यक्ष पद पर कार्यरत थे, तब साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा माना जा रहा था जब डॉ. शिंगोरे ने भी विजयश्री में अपने टीम समेत सहयोग दिया था. भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहने से पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ पारिवारिक संबंध रहे. जिसके कारण बीते दिनों वे भले ही पार्टी में सक्रिय न रहे हो, लेकिन मधुर संबंधों के चलते कई बार भाजपा नेताओं द्वारा जब-जब संभव रहा, तब-तब उनके परिवार से भेंट कर डॉ. प्रदीप शिंगोरे के स्वास्थ्य की पूछताछ करते नजर आये. राजनीतिक क्षेत्र के साथ उनका धार्मिक क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान रहा है. विदर्भ की कुलस्वामिनी में शोक की लहर अंबादेवी संस्थान के करीब 5 वर्ष तक अध्यक्ष के रुप में उन्होंने जिम्मेदारी संभाली थी. अंबादेवी ट्रस्ट अस्पताल में 15 साल तक अध्यक्ष के रुप में प्रदीर्घ सेवा दी. इसके अलावा इंडिनय मेडिकल एसोसिएशन के जिला कार्यकारिणी में उनका समावेश रहा. रिफार्म क्लब के भी वे कुछ समय तक अध्यक्ष के रुप में कार्यरत रहे. विद्याभारती महाविद्यालय के सामने स्थित रिफार्म क्लब की नई वास्तुका नूतनीकरण भी उनके ही कार्यकाल में संभव हो पाया था. केवल यही नहीं, ऐसे विविध सामाजिक संगठनों में भी उनका सक्रिय सहभाग रहा. साल 2009 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख, पूर्व विधायक रावसाहेब शेखावत को टक्कर देते हुए तीसरा स्थान प्राप्त कर 16 हजार से अधिक वोट प्राप्त किये थे. ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अपने स्वास्थ्य के चलते कई दिनों से पार्टी से दूरी बनाये हुए थे. विगत एक वर्ष से मुम्बई के लीलावती अस्पताल में उपचार ले रहे थे. रविवार को उपचार के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ने से अंतिम सास ली. मृत्यु के समय वे 69 वर्ष थे. उनके परिवार में पत्नी मीनल, बेटे डॉ. दुष्यंत, अभियंता आदित्य, बेटी डॉ. प्रियंका, जमाई, नाती-पोती हैं. सोमवार, 5 सितंबर की सुबह 10 बजे कैम्प स्थित उनके निवासस्थान से हिंदू मोक्षधाम की ओर उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई.ला, वृध्दाश्रम भानाखेडा यहां पत्रकार तथा समाजसेवी व ठाकुर समाज संगठना के विदर्भ सचिव संतोष चव्हाण का जन्मदिन मनाया गया. इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता सतीश पवार, मुकेश भालेराव, राज वावरे, रघुनाथ कांबले, सचिन ढगे, सतीष हरणे, बालासाहेब कालमेघ, गजानन जगताप, मेटकर, राजलता बागडी, वामन लांडगे, डॉ. कमल राउत, संजय शिरभाते, उगलेताई, श्रीमती ठाकरे आदि उपस्थित थे. मान्यवरों के हस्ते संतोष चव्हाण का शाल श्रीफल प्रदान कर सत्कार किया गया.