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भाजपा को छोडनी पडेगा अमरावती व बडनेरा की सीट

महायुति के घटक पक्षों का दावा

* भाजपा के इच्छुकों की होगी निराशा
अमरावती/दि.19 – राज्य में दीपावली के बाद विधानसभा चुनाव होने की पूरी संभावना है. जिसके चलते महायुति व महाविकास आघाडी में सीटों के बंटवारे को लेकर अच्छी खासी माथापच्ची चल रही है. यद्यपि सीटों के बंटवारे को लेकर कोई भी समीकरण तय हो, लेकिन इतना तो तय है कि, मौजूदा विधायकों के लिए उनके निर्वाचन क्षेत्र छोडे जाएंगे. यदि ऐसा होता है, तो भाजपा को अमरावती जिले में प्रथम दर्शनी शहरी भाग रहने वाले अमरावती व बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र महायुति में शामिल घटक दलों के लिए छोडने पडेंगे. ऐसे में इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लडने के इच्छुक भाजपा पदाधिकारियों को निराशा का सामना करना पड सकता है.
उल्लेखनीय है कि, अमरावती जिले के 8 निर्वाचन क्षेत्रों में से केवल धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से पिछली बार भाजपा के प्रताप अडसड निर्वाचित हुए थे और इस बार भी भाजपा से उनकी दावेदारी पक्की मानी जा रही है. वहीं मोर्शी-वरुड, अचलपुर, मेलघाट, दर्यापुर, तिवसा, अमरावती व बडनेरा इन 7 निर्वाचन क्षेत्रों भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा. यह फिलहाल कोई भी नहीं बता सकता. राज्य की सत्ताधारी महायुति में शामिल भाजपा, शिंदे गुट वाली शिवसेना व अजीत पवार गुट वाली राकांपा ऐसे तीनों दलों में चुनाव लडने वाले इच्छुकों की लंबी-चौडी सूची है. इसमें से विशेष तौर पर अमरावती निर्वाचन क्षेत्र महायुति के तहत अजीत पवार गुट वाली राकांपा के हिस्से में रहने की पूरी संभावना है और राकांपा की टिकट पर मौजूदा विधायक सुलभा खोडके प्रत्याशी हो सकती है. बता दें कि, विधायक सुलभा खोडके ने पिछला चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लडते हुए जीता था. लेकिन आगे चलकर उनकी स्थानीय पदाधिकारियों के साथ पटरी नहीं बैठी और विधायक सुलभा खोडके ने खुद को कांग्रेस स्थानीय पदाधिकारियों व कार्यक्रमों से भी दूर कर लिया था. यहीं वजह रही कि, उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस कमिटी के समक्ष दावेदारी हेतु आवेदन भी नहीं किया है. वहीं विधायक सुलभा खोडके के पति संजय खोडके अजीत पवार गुट वाली राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष है और उनकी वित्तमंत्री अजीत पवार के साथ बेहद नजदीकी भी है. ऐसे में अमरावती विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुलभा खोडके को महायुति का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
वहीं बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में युवा स्वाभिमान पार्टी के विधायक रवि राणा का महायुति की ओर से दावा बेहद मजबूत बताया जा रहा है. विधायक राणा की पत्नी नवनीत राणा जिले की पूर्व सांसद रह चुकी है और इस समय भाजपा में शामिल है. साथ ही विधायक रवि राणा की युवा स्वाभिमान पार्टी भी महायुति में घटक दल के तौर पर शामिल है और विधायक राणा के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व अजीत पवार के साथ बेहद नजदीकी संबंध है. ऐसे में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र को भाजपा द्वारा विधायक राणा की दावेदारी हेतु छोडे जाने की पूरी संभावना है.

* मोर्शी के लिए भी यहीं नियम
मोर्शी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के निर्दलीय विधायक देवेंद्र भुयार भी महायुति में शामिल है और अजीत पवार गुट वाली राकांपा के साथ है. जिसके चलते आगामी विधानसभा चुनाव में मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से महायुति को विधायक भुयार को ही उम्मीदवारी देनी पडेगी. ऐसे स्पष्ट संकेत है. महायुति द्वारा तय की गई नीति के मुताबिक सीटों का बंटवारा करते समय मौजूदा विधायकों को धक्का नहीं लगाया जाएगा. वहीं अन्य सीटों पर महायुति में शामिल घटक दलों के नेताओं के बीच चर्चा होगी, ऐसी विश्वसनीय जानकारी है. जिसके चलते मोर्शी-वरुड में भाजपा के इच्छुकों की उम्मीदवारी को लेकर ‘वेट एण्ड वॉच’ वाली स्थिति रहेगी.

* प्रहार पर टिकी सभी की निगाहें, अचलपुर व मेलघाट पर दावा
जिले मेें प्रहार जनशक्ति पार्टी की ओर से बच्चू कडू व राजकुमार पटेल ऐसे दो विधायक है. जिन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ रहने की निर्णय लिया है. हालांकि महायुति मेंं घटक दल के तौर पर शामिल रहने के बावजूद भी प्रहार पार्टी के मुखिया व विधायक बच्चू कडू अक्सर ही किसानों व खेतीहर मजदूरों के मसलों को लेकर महायुति सरकार को निशाने पर लेते रहते है. विगत 9 अगस्त को प्रहार पार्टी द्वारा संभाजी नगर में निकाले गये विशालकाय मोर्चे में सरकार की नींद उडा दी थी. वहीं विधायक बच्चू कडू ने अपनी मांगे मान्य नहीं होने पर तीसरा मोर्चा बनाने की बात कही है. यदि प्रहार पार्टी महायुति में शामिल रहती है, तो महायुति को अचलपुर व मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र प्रहार पार्टी के लिए छोडने होंगे. जबकि अचलपुर व मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की ओर से कई इच्छुक विधानसभा की तैयार कर रहे है. ऐसे में आगे चलकर क्या निर्णय होता है इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.

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