भाजपा ने अपनी पराजय की रिपोर्ट को लपेटा
अमरावती स्नातक क्षेत्र में रणजीत पाटिल की हुई थी हार
अमरावती/दि 31- अमरावती स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. रणजीत पाटिल की हार के कारणों को खोजने हेतु गठित की गई एक सदस्यीय समिति की रिपोर्ट पर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है. जिसे लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है. जबकि पार्टी के उपाध्यक्ष सुनील कर्जतकर ने काफी पहले ही अपनी रिपोर्ट दे दी थी. लेकिन यह रिपोर्ट खुद भाजपा के लिए ‘बुमरैंग’ साबित हो सकती है. ऐसे में भाजपा ने इस रिपोर्ट को लपेटकर और दबाकर रख दिया है. साथ ही डॉ. रणजीत पाटिल की हार को लेकर भाजपा में किसी भी स्तर पर कोई कारण मिमांसा या चर्चा नहीं चल रही.
बता दें कि, डॉ. रणजीत पाटिल ने दो बार अमरावती स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. अपने पहले चुनाव में उन्होंने बी. टी. देशमुख जैसे दिग्गज नेता को पराजीत करते हुए खलबली मचा दी थी. पश्चात उन्होंने अपने दूसरे चुनाव में राकांपा नेता संजय खोडके को पराजीत करते हुए जीत हासिल की थी. इसके बाद देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते समय डॉ. रणजीत पाटिल को नगर विकास व गृह विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया था. भाजपा ने उन्हें तीसरी बार उम्मीदवारी दी थी. परंतु जारी वर्ष के दौरान विगत फरवरी माह में हुए चुनाव का परिणाम काफी उलटफेर वाला रहा. जब अमरावती स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी डॉ. रणजीत पाटिल को कांग्रेस प्रत्याशी धीरज लिंगाडे ने पराजीत कर दिया. जिसके पश्चात भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इस हार के कारणों पर आत्मचिंतन करने की बात कहते हुए हार के कारणों को खोजने हेतु पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील कर्जतकर पर जिम्मेदारी सौंपी. जिसके चलते सुनील कर्जतकर ने पार्टी के कुछ नेताओं व विधायकों से मुंबई में चर्चा करने के साथ ही अमरावती संभाग के अमरावती, यवतमाल, अकोला, वाशिम व बुलढाणा इन 5 जिलों में जाकर कई लोगों के विचार जाने. जिनमें पार्टी के सांसद, विधायक, जिलाध्यक्ष, पदाधिकारी एवं प्रमुख नेताओं का समावेश था.
* ढाई माह पहले ही दे दी गई रिपोर्ट
अपने जिम्मे रहने वाले काम को निपटाकर सुनील कर्जतकर ने अपनी रिपोर्ट पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष बावनकुले को सौंप दी थी. इस रिपोर्ट में हार के लिए जिम्मेदार रहने वाली परिस्थिति की जानकारी दर्ज की गई है. परंतु इस हार के लिए फलां-फलां नेता ही जिम्मेदार है. ऐसा कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं था. परंतु सुनील कर्जतकर ने अपनी रिपोर्ट में जो वस्तुस्थिति दर्शायी, उसे देखकर तुरंत ही यह बात ध्यान में आ जाती है कि, डॉ. रणजीत पाटिल की हार का प्रमुख सूत्रधार कौन था. लेकिन हैरत की बात यह है कि, इस रिपोर्ट पर भाजपा की बैठक अथवा पार्टी में किसी भी स्तर पर कोई चर्चा नहीं हई.
* भीतराघात का शिकार हुए डॉ. पाटिल
सूत्रों के मुताबिक डॉ. रणजीत पाटिल को भाजपा के ही कुछ नेताओं ने जानबूझकर पराजीत करवाया. इन नेताओं का मानना था कि, अगर डॉ. पाटिल दुबारा चुनकर आते है, तो वे फिर से मंत्री बनकर उनके लिए सिरदर्द साबित हो सकते है. ऐसे में मंत्री पद की रेस में रहने वाले इच्छूकों ने ही भीतराघात किया. जिसकी वजह से डॉ. रणजीत पाटिल को हार का सामना करना पडा.