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भाजपा को अजीत के साथ दोस्ती पडी भारी

संघ के मुखपत्र ने उमेठे पार्टी के कान

* कहा – कार्यकर्ता निराश नहीं, संभ्रम में
मुंबई /दि. 17- भाजपा द्वारा राकांपा नेता अजीत पवार के साथ हाथ मिलाते हुए अजीत पवार व उनके समर्थको को सरकार में शामिल करना आम जनता के साथ-साथ खुद भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी पसंत नहीं आया. जिसका सीधा नुकसान भाजपा को विगत लोकसभा चुनाव में सहन करना पडा. इस आशय के शब्दो में भाजपा के कान उमेठते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुखपत्र रहनेवाले साप्ताहिक विवेक ने कहा कि, भाजपा के कार्यकर्ता निराश नहीं है, बल्कि पार्टी की नीतियों की वजह से कार्यकर्ता काफी हद तक संभ्रम में है.
बता दे कि, लोकसभा चुनाव के समय से ही संघ और भाजपा के बीच कई बार कटुता बढती दिखाई दी और चुनाव परिणाम घोषित होते ही सरसंघचालक मोहन भागवत ने सबसे पहले भाजपा को जमकर आडेहाथ लिया था. जिसके बाद संघ का मुखपत्र रहनेवाले आर्गनायझर ने भी भाजपा पर निशाना साधा था. वहीं अब संघ के एक अन्य मुखपत्र ने भी लोकसभा चुनाव में मिली नाकामी के लिए भाजपा और राकांपा के बीच हुए गठबंधन को जिम्मेदार माना है. इस मुखपत्र के मुताबिक शिवसेना हिंदुत्ववादी दल रहने के चलते भाजपा की शिवसेना के साथ युती नैसर्गिक है. जिसके चलते दुबारा युती में आने हेतु शिवसेना में हुई बगावत व दोफाड तथा एकनाथ शिंदे की शपथविधि को भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्वीकार कर लिया. साथ ही साथ मतदाताओं ने भी इस युती को मान्य किया. परंतु यही भावना राकांपा के साथ आते ही किसी अन्य दिशा की ओर जाने लगी तथा लोकसभा चुनाव के समय कार्यकर्ताओं व मतदाताओं की नाराजी खुलकर दिखाई दी. जिसके चलते राकांपा के साथ हाथ मिलाना भाजपा के लिए भारी पड गया. ऐसे में अब पार्टी को यह सोचना होगा कि, आगामी अक्तूबर माह में होनेवाले विधानसभा चुनाव के लिए किस रणनीति पर काम किया जाए. ताकि कार्यकर्ताओं व मतदाताओं की नाराजी दूर हो सके.

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