नागपुर/प्रतिनिधि दि. ३० – कोरोना संक्रमण के संकट से बाहर निकलने के लिए सभी को एकता से कार्य करने की आवश्यकता है. कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए प्रभावी रूप से रेमडेसिविर के इंजेक्शन की कालाबाजारी कर जरूरत मंद को परेशान करनेवाले समाज कंटको को कठोर सजा देना आवश्यक है. ऐसी भूमिका मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने गुरूवार को रखी.
इस संदर्भ में न्यायालय ने स्वयं की जनहित याचिका दाखल की है. उस पर न्यायमूर्तिद्वय झेड़ ए हक व अमित बोरकर के समक्ष सुनवाई हुई. नागपुर पुलिस ने अभी तक रेमडेसिविर की कालाबाजारी करनेवाले ३२ आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इसमें डॉक्टर्स भी शामिल है. इस गंभीर अपराध के लिए न्यायालय चुप होकर नहीं देख सकता. अपराध की जांच और निर्णय को अंतिम निर्णय तक पहुुंचाना आवश्यक है. उसके लिए अधिक विलंब न हो इसके लिए तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक है.
उसी प्रकार रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने के लिए प्रभावी रूप से उपाय योजना करना आवश्यक है, ऐसी न्यायालय ने याचिका दर्ज कर इसका उद्देश्य स्पष्ट करते हुए बताया.
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मांग व वितरण में अंतर
राज्य में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. विदर्भ की स्थिति भी गंभीर हो गई है. उत्पादक कंपनियों को रेमडेसिविर की मांग पूरी करना कठिन हो गया है. प्रशासन रेमडेसिविर का उचित नियोजन करने में असफल है. मांग व आपूर्ति में बहुत अंतर है. समाज कंटक उसका फायदा उठाकर जरूरतमंद व्यक्तियों को रेमडेसिविर की बिक्री मनमानी भाव से कर रहे है. इस ओर भी न्यायालय का ध्यान है.
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अपराधी के खिलाफ ३ मई तक आरोपपत्र
रेमडेसिविर कालाबाजारी के मामले अपराधी के खिलाफ है. आगामी ३ मई तक आरोपपत्र दर्ज किया जायेगा. ऐसी जानकारी पुलिस आयुक्त ने न्यायालय को दी. जिसके कारण न्यायालय ने इस मामले पर ४ मई को सुनवाई निश्चित की है. उसी प्रकार याचिका का कामकाज देखने के लिए एड श्रीरंग भंाडारकर की न्यायालय मित्र के रूप में नियुक्ति की है. सरकार की ओर से एड. तहसीन मिर्झा ने पैरवी की.