* 9 डिजीट वाले मोबाइल नंबर का किया जाता है प्रयोग
अमरावती/दि.3 – आपके नाम का पार्सल आया है, उस पार्सल में ड्रग्ज या हथियार है. हम पुलिस विभाग से बात कर रहे है. इस आशय की ऑडियो या वीडियो कॉल करने के साथ ही फर्जी नोटीस भेजते हुए सर्वसामान्य लोगों के साथ आर्थिक व मानसिक जालसाजी करने का नया फंडा साइबर अपराधियों द्बारा प्रयोग में लाया जा रहा है, ऐसी 2 घटना हाल फिलहाल ही शहरवासियों के साथ घटित हुई है. जिसके चलते साइबर पुलिस ने सभी लोगों से ऐसी जालसाजियों और ऑनलाइन ठगबाजों से सावधान रहने का आवाहन किया है.
बता दें कि, विगत कुछ वर्षों से जहां एक ओर तमाम व्यवहार ऑनलाइन हो चले है. जिससे काफी हद तक कामकाज में काफी हद तक आसानी होनी लगी है. वहीं दूसरी ओर साइबर तकनीकी मेें महारत हासिल रखने वाले शातिर अपराधियों द्बारा सर्वसामान्य लोगों के साथ उनकी अज्ञानता का फायदा उठाते हुए आए दिन जालसाजी करने का काम किया जा रहा है. इसके तहत हर महीने साइबर जालसाजों द्बारा नये-नये फंडों को प्रयोग में लाते हुए लोगों के साथ बडे पैमाने पर जालसाजी की जा रही है. जिसमें विगत कुछ दिनों से बडे पैमाने पर टास्क फॉड किया जा रहा है. जिसके तहत किसी भी तरह के ऑनलाइन कामकाज का झासा देते हुए काम पूरा करवाने के नाम पर ठगबाजी को अंजाम दिया जाता है. वहीं अब पार्सल में हथियार अथवा ड्रग्ज रहने का डर दिखाते हुए जालसाजी किए जाने का नया तरीका सामने आया है.
जालसाजी के इस तरीके में सर्वसामान्य व्यक्ति को 9 अंक वाले मोबाइल क्रमांक से कॉल आती है और दूसरी ओर से बात करने वाला व्यक्ति खुद को दिल्ली अथवा मुंबई के किसी अंतर्राष्ट्रीय कुरीयर एजेंसी से बताते हुए कस्टम, सीबीआई या अन्य किसी गुप्तचर एजेंसी का नाम लेकर कहता है कि, आपके पार्सल को संबंधित एजेंसी द्बारा रोक लिया गया है. इसके कुछ ही देर बात ऐसे ही 9 अंक वाले किसी अन्य नंबर से दूसरी कॉल आती है, जिसमें कॉल करने वाला व्यक्ति खुद को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताता है. साथ ही कॉल रिसीव करने वाले व्यक्ति का उस पर विश्वास और रौब पडे, इस हेतु बाकायदा स्कायपी के जरिए वीडियो कॉल किया जाता है. जिसमें स्क्रीन पर दिखाई देने वाला व्यक्ति किसी आईपीएस अधिकारी की तरह यूनिफार्म जैसे कपडे पहने होता है और आप पर काफी बडी कार्रवाई हो सकती है. यदि इससे बचना है, तो नियमानुसार दंड भरों, ऐसा कहते हुए पैसों की मांग करता है. साथ ही इसके बाद कुछ ही देर के भीतर वॉट्सएप के जरिए कानूनी नोटीस की तरह एक फर्जी दस्तावेज भी भेजा जाता है. यह पूरी कारस्तानी पूरी तरह से फर्जी व नकली रहने के बावजूद उसे इस तरह से अमल में लाया जाता है. जिसे देखकर सर्वसामान्य व्यक्ति उसे असली समझ बैठता है. हकीकत में कॉल रिसीव करने वाले व्यक्ति ने चाहे कोई पार्सल न भेजा हो या उसके नाम पर कोई भी पार्सल न आ रहा है, लेकिन इसके बावजूद साइबर अपराधी कुछ इस तरह से व्यवहार करते है कि, सामने वाला व्यक्ति खुद को फंसा हुआ महसूस करता है और डर के मारे कार्रवाई से बचने हेतु दंड के तौर पर रकम भी ट्रान्सफर करता है. इस तरह का फ्रॉड अमरावती शहर में दो लोगों के साथ हो चुका है. जिसमें से एक युवक के साथ करीब 5 लाख 82 हजार रुपए की जालसाजी हुई. वहीं दूसरा व्यक्ति अपने साथ होने जा रही जालसाजी को समय रहते भांपकर ठगी का शिकार होने से पहले ही साइबर पुलिस थाने पहुंच गया.
* विदेश में तैयार होने वाले एप का होता है प्रयोग
9 अंकी क्रमांक से कॉल करने हेतु वाइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल यानि वीओआईपी नामक एप्लीकेशन का साइबर अपराधियों द्बारा प्रयोग किया जाता है. यह एप्लिकेशन विदेशों में तैयार किया जाता है. जिसे साइबर अपराधियों द्बारा जालसाजी की घटनाओं को अंजाम देने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है. ऐसे में किसी भी 9 अंकी क्रमांक से आने वाले कॉल को अव्वल तो रिसीव ही न करें और यदि कॉल रिसीव हो गई है, तो दूसरी ओर से कहीं जाने वाली बातों पर कोई प्रतिसाद न दें.
– रवींद्र सहारे,
एपीआई, साइबर सेल.