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चुनाव पर नाकाबंदी बनी व्यापारियों के लिए सिरदर्द

व्यवसाय की नगद रकम लेकर चलना भी हुआ मुश्किल

* जगह-जगह चेकिंग के नाम पर होती है तलाशी
* कई बार नगद रकम को कर लिया जाता है जब्त
* निर्वाचन आयोग की तेढी नजर से व्यापारी परेशान
अमरावती/दि.6 – विधानसभा चुनाव को निष्पक्ष व शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने हेतु निर्वाचन आयोग द्वारा पुलिस की सहायता लेकर जगह-जगह नाकाबंदी लगवा दी गई है, ताकि नगद रकम सहित शराब को इधर से उधर लाने ले जाने पर प्रतिबंध लगाया जा सके. लेकिन मतदाताओं को प्रभावित करने से रोकने हेतु उठाया जाने वाला यह कदम हमेशा ही व्यापारियों के खिलाफ सिरदर्द बन जाता है. क्योंकि लाखों-करोडों रुपयों का व्यापार करने वाले व्यवसायियों द्वारा अपने विक्री के माल की वसूली करने के बाद बडे पैमाने पर नगद रकम लायी जाती है. जिसकी नाकाबंदी वाले स्थानों पर निर्वाचन विभाग एवं पुलिस महकमें के अधिकारियों द्वारा तलाशी लेते हुए कई बार व्यापारियों से आढे-तेढे सवाल पूछे जाते है और कुछ एक मामले में व्यापारियों की रकम को जब्त भी कर लिया जाता है. जिसके चलते चुनाव हेतु लगाई जाने वाली नाकाबंदी एक तरह से व्यापारियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है.
उल्लेखनीय है कि, कोविड काल के बाद अब इन दिनों ऑनलाइन व्यवसाय के बढते प्रभाव की वजह से सभी क्षेत्रों में व्यापार व्यवसाय पहले ही बुरी तरह से प्रभावित है, जो अब कहीं जाकर त्यौहारी सीजन में थोडा बहुत पटरी पर आया है. हाल ही में दशहरा व दीपावली जैसे बडे त्यौहार निपटे है और अब सामने शादी-ब्याह का सीजन है. ऐसे में सभी सेक्टर के होलसेल व रिटेल व्यापारियों द्वारा जमकर माल की खरीदी-विक्री की जा रही है और खरीदे गये माल की पेमेंट भी की जा रही है, ताकि अगली ऑर्डर का माल मिले. ऐसे में कई व्यापारी बाहरगांव जाकर अपने भुगतान की वसूली करके लाते है, या फिर नगद रकम साथ लेकर बाहरगांव रहने वाले बडे व्यापारियों को पेमेंट देने जाते है. यह अपने आप में बेहद सामान्य बात है. परंतु चुनावी आचार संहिता के चलते निर्वाचन आयोग ने निर्देश जारी कर रखा है कि, कोई भी व्यक्ति अपने पास 50 हजार से अधिक की नगद रकम न रखे. लेकिन लाखों-करोडों का व्यापार करने वाले व्यवसायियों के पास हमेशा ही इससे अधिक की रकम रहती है और ऐसे व्यापारियों को नाकाबंदी वाले स्थान पर पकडने के बाद वहां ड्यूटी पर तैनात अधिकारी उनके साथ कुछ ऐसा व्यवहार करते है, मानो उन्होंने किसी बडे डकैत को पकड लिया हो, सके साथ ही ऐसे समय तुरंत ही नगद रकम को जब्त करते हुए आयकर विभाग को सूचित किया जाता है और पकडे गये व्यापारी को फरमान सुनाया जाता है कि, जब्त की गई नगद रकम का ब्यौरा पेश करने के बाद अपनी रकम लेकर जाओ. जबकि हकीकत यह होती है कि, संबंधित व्यापारियों द्वारा मौके पर ही नाकाबंदी में लगे अधिकारियों को अपनी रकम के संदर्भ में तमाम ब्यौरे दिये जाते है. लेकिन नाकांबदी में लगे अधिकारी हर हाल में उक्त रकम को जब्त कर अपना रिकॉर्ड बनाने में लगे रहते है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, ऐसे व्यापारियों को अपने द्वारा मंगाये गये माल के पेमेंट के तौर पर इस नगद रकम का भूगतान करना होता है और वह जिस व्यापारी को पेमेंट देने निकला रहता है, वह व्यापारी भी अपने ऑफिस में अपनी पेमेंट आने का इंतजार करता बैठा रहता है. साथ ही फोन पर बार-बार अपनी रकम के लिए तगादा भी लगाता है. ऐसी स्थिति में अपनी नगद रकम पकडे जाने के चलते संबंधित व्यापारी दोनों ओर से पिसता है. इस संदर्भ में व्यापारियों का कहना है कि, जब सरकार ने टैक्स भरने के लिए 31 मार्च तक समय दिया है और जब वे अपने पास रहने वाली नगद रकम की पूरी जानकारी देने के लिए तैयार है, तो फिर इस रकम को जब्त करते हुए आयकर विभाग के अधिकारियों के हवाले क्यों किया जाता है और उन्हें अपनी ही रकम प्राप्त करने के लिए बार-बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर क्यों काटने पडते है.
बता दें कि, हाल ही में दीपावली का पर्व निपटा है. इस पर्व के लिए सभी रिटेल व्यापारियों ने जमकर खरीददारी की थी और दशहरा व दीपावली के पर्व पर सभी सेक्टरों में अच्छी खासी विक्री भी हुई. ऐसे में अब पुराने माल का भुगतान करते हुए रिटेल व्यापारियों द्वारा शादी-ब्याह के सीजन हेतु नये माल की खरीददारी करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए सभी होलसेल व रिटेल व्यापारी इस समय अपने पेमेंट की वसूली और पेमेंट के भुगतान के लिए अपनी बिझनेस लाइन के टूर पर निकल रहे है. जिनके पास अपने साथ रहने वाली नगद रकम से संबंधित तमाम दस्तावेज और वसूली की पावतीयां भी रहती है. परंतु चुनावी आचार संहिता के मद्देनजर लगाई गई नाकाबंदी के चलते विभिन्न चेकपोस्ट पर निर्वाचन विभाग व पुलिस महकमें के अधिकारियों द्वारा व्यापारियों के वाहनों की तलाशी लेते हुए नगद रकम पाये जाने पर सभी दस्तावेजों व पावतियों की अनदेखी करते हुए उक्त रकम को जब्त कर लिया जाता है. जिससे ऐन कारोबारी सीजन के दौरान व्यापारियों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, काफी पहले चुनाव के समय व्यापारियों द्वारा सभी संबंधित विभागों के साथ मिलकर यह व्यवस्था बनाई गई थी कि, व्यापारियों के एसोसिएशन द्वारा पेमेंट लेकर आना-जाना करने वाले व्यापारियों को बाकायदा अपने लेटर पैड पर पत्र बनाकर दिया जाता था. इस पत्र की एक कॉपी पुलिस सहित संबंधित विभाग के आला अधिकारियों के पास भी रहती थी और उस समय एसोसिएशन के पत्र व अपने पास रहने वाली रसीदों को दिखाने के बाद नगद रकम लेकर चलने वाले व्यापारियों को मौके पर ही छोड दिया जाता था और उनकी रकम को जब्त नहीं किया जाता था. लेकिन विगत कुछ वर्षों के दौरान यह व्यवस्था पूरी तरह से बिखर चुकी है. जिसके चलते अभी 6 माह पहले ऐन वैवाहिकी सीजन के दौरान हुए लोकसभा चुनाव के समय भी कई व्यापारियों की रकम को नाकाबंदी के तहत जब्त किया गया था. जिसे वापिस पाने हेतु व्यापारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पडा था. लगभग यही स्थिति अब विधानसभा चुनाव हेतु लगाई गई नाकाबंदी के दौरान भी देखी जा रही है. ऐसे में व्यापारियों द्वारा निर्वाचन आयोग सहित सभी संबंधित महकमों के समक्ष यह मांग उठाई जा रही है कि, आखिर हमेशा होने वाली इस दिक्कत का कोई ना कोई समाधान जरुर निकाला जाना चाहिए.

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