5 वर्ष में जिले में 1925 शिविरों में 1,56,482 रक्तदाताओं का रक्तदान
जिले में एक शासकीय व चार निजी रक्तपेढ़ी
* हर वर्ष अप्रैल से जुलाई माह तक रहती है रक्त की किल्लत
अमरावती/दि.26– ‘रक्तदान श्रेष्ठदान’ कहावत के मुताबिक अमरावती जिला रक्तदान शिविर के आयोजन में राज्य में सबसे अव्वल है. यह जिला रक्तदान के अलावा नेत्रदान और अवयवदान में भी आगे बढ़ता जा रहा है. पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों पर यदि नजर डाले तो अमरावती जिले में स्थित पांच रक्तपेढ़ियों के तहत 1925 रक्तदान शिविर के आयोजन के तहत 1 लाख 56 हजार 482 रक्तदाताओं ने रक्तदान किया है. जिले में एक शासकीय और चार निजी रक्तपेढ़ी है. लेकिन हर वर्ष ग्रीष्मकाल शुरु होते ही अप्रैल से जुलाई माह तक शिविरों के आयोजन कम होने से रक्त की किल्लत महसूस होती है.
अमरावती जिले में कुल पांच रक्तपेढ़ी है. इनमें जिला अस्पताल की रक्तपेढ़ी शासकीय है. इसके अलावा डॉ. पंजाबराव देशमुख स्मृति वैद्यकीय महाविद्यालय की रक्तपेढ़ी भले ही निजी गणना में रही हो लेकिन उसे अर्धशासकीय रक्तपेढ़ी कहा जा सकता है. इसके अलावा बडनेरा जुनी बस्ती की गाडगेबाबा रक्तपेढ़ी,अंबापेठ की बालाजी रक्तपेढ़ी और परतवाडा की बर्मा रक्तपेढ़ी निजी है. जिले की इन पांच रक्तपेढ़ियों के माध्यम से हर वर्ष जिले के विभिन्न स्थानों पर रक्तदान शिविरों का आयोजन कर रक्त जमा किया जाता है और आवश्यकता के मुताबिक संकलित किया हुआ यह रक्त मरीजों को दिया जाता है. रक्तदान करते समय रक्तदाताओं को प्रमाणपत्र और कार्ड दिए जाते हैं. इस कार्ड से आपात समय में किसी गंभीर मरीज को रक्त की आवश्यकता रही तो सरकारी अस्पताल से इस कार्ड के साथ एक डोनर साथ ले जाने पर उस ब्लड ग्रुप का रक्त निःशुल्क दिया जाता है, यह नियम भी है. जिला अस्पताल में रक्तदान करने पर यह कार्ड वितरित किए जाते हैं. इसके अलावा बीपीएल कार्ड पर पीडीएमसी अस्पताल में भी निःशुल्क रक्त का वितरण किया जाता है.
निजी ब्लड बैंक का नियंत्रण एफडीआय (अन्न व औषधि प्रशासन) का है. निजी ब्लड बैंक की तरफ से किसी रक्तदाता द्वारा किए गए रक्तदान के बाद उन्हें केवल प्रमाणपत्र दिया जाता है. डोनर कार्ड का इस्तेमाल सरकारी रक्तपेढ़ी में ही काम आता है. इस कार्ड से किसी डोनर को मरीज के लिए रक्त की थैली लेना हो तो उसे भी एक डोनर साथ में ले जाकर वह रक्त तत्काल लेते आ सकता है.लेकिन उसके लिए भी उसे 1150 रुपए अदा करने पड़ते हैं. पहले यह शुल्क 450 रुपए था. लेकिन जिला अस्पताल में अब शुल्क 1150 रुपए कर दिया गया है. पीडीएमसी की रक्तपेढ़ी में यह शुल्क 850 रुपए है. बशर्ते मरीज को चाहिए वह ब्लड ग्रुप का रक्त वहां उपलब्ध होना चाहिए.
एक रक्तदाता के रक्त से पांच प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. जिससे चार लोगों की जान बचाई जाती है. जिले में आठ ब्लड स्टोअरेज सेंटर है. जिस पर नियंत्रण जिला अस्पताल का रहता है. शासकीय जिला अस्पताल रक्तपेढ़ी के माध्यम से आयोजित किए जाने वाले ब्लड कैम्प का रक्त इर्विन के ही डे-केअर सेंटर के अलावा सुपर स्पेशालिटी अस्पताल और जिला महिला अस्पताल के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में भी ब्लड ट्रांसपोर्टेशन वैन से भेजा जाता है. इसके अलावा जिला अस्पताल आवश्यकता पड़ने और ब्लड की किल्लत रहने पर संबंधित ग्रुप का रक्त किसी गर्भवती महिला को लगा तो जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत पीडीएमसी की रक्तपेढ़ी से मंगवाया जाता है. इस रक्त के लिए लिया जाने वाला शुल्क राज्य शासन अदा करता है. रक्तदान करने के बाद संकलित हुई रक्त की थैलियां 37 दिन तक रखी जा सकती है. जिले की आबादी को देखते हुए हर वर्ष 1 प्रतिशत रक्त संकलित होना आवश्यक रहता है. इसके मुताबिक अमरावती में हर वर्ष रक्त संकलित भी होता है. लेकिन यहां पर (इर्विन) डे-केअर सेंटर में संपूर्ण विदर्भ समेत मराठवाड़ा के थाईलोसीनिया, सिकलसेल और हिमोवेलिया बीमारी के बच्चे आते रहने से उन्हें रक्त की निरंतर आवश्यकता रहती है. इसके अलावा मेलघाट की आदिवासी गर्भवती महिलाओं में हिमोग्लोबिन का प्रमाण काफी कम रहने से उन्हें भी रक्त की आवश्यकता अधिक रहती है. साथ ही सुपरस्पेशालिटी अस्पताल में सर्जरी के मरीज और किडनी के मरीज हर दिन आते रहने से उन्हें भी रक्त की आवश्यकता पड़ती रहने से इन अस्पतालों में रक्त की आपूर्ति करने के बाद रक्तपेढ़ी में रक्त की किल्लत महसूस होती है.
* अप्रैल से जुलाई तक रहते हैं कॉलेज बंद
जिले में हर वर्ष अप्रैल से जुलाई माह तक ग्रीष्मकाल का समय रहता है. इसके अलावा महाविद्यालय भी बंद रहते हैं. साथ ही इस दौरान परीक्षाएं भी चलती है. ग्रीष्मकाल रहने से समाजसेवी अथवा सामाजिक संस्थाओं द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन काफी कम किया जाता है. इसी समय जिले में रक्त की किल्लत महसूस होती है.
निजी शिविरों में नहीं मिलते कार्ड
अनेक रक्तदान शिविर के अवसर पर देखा गया है कि जहां निजी रक्तपेढ़ी के जरिए ब्लड डोनेशन कैम्प का आयोजन किया जाता है, वहां केवल संबंधित रक्तदाता को प्रमाणपत्र सौंपे जाते हैं. लेकिन उन्हें डोनर कार्ड नहीं दिया जाता, सरकारी डॉक्टर ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राज्य शासन की योजना के मुताबिक केवल सरकारी रक्तपेढ़ी के माध्यम से आयोजित रक्तदान शिविर में शामिल रक्तदाताओं को डोनर कार्ड दिया जाता है. निजी ब्लड बैंक के सहयोग से आयोजित शिविरों में केवल प्रमाणपत्र दिए जाते हैं.
करें हर नागरिक रक्तदान
किसी भी परिवार में शादी की सालगिरह अथवा जन्मदिन के अवसर पर सामाजिक उपक्रम के तहत यदि रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया तो जिले में कभी रक्त की किल्लत नहीं होगी. इस कारण वर्ष में एक दफा तो भी नागरिकों ने यदि शिविर का आयोजन न कर सके तो रक्तपेढ़ी पहुंचकर रक्तदान करना चाहिए.
– अजय साखरे, जिला कार्यक्रम अधिकारी, अमरावती.
जिले में और तीन ब्लड बैंक होगी
सूत्रों ने बताया कि अमरावती जिले में वर्तमान में एक शासकीय समेत कुल पांच रक्तपेढ़ी है. इसके अलावा अब धारणी उपजिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल और सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में रक्तपेढ़ी शुरु किए जाने की प्रक्रिया जारी है. जल्द ही राज्यशासन की मंजूरी मिलते ही यहां पर ब्लड बैंक की शुरुआत की जाएगी.
5 वर्ष के ब्लड कैम्प की आंकड़ेवारी
वर्ष
2019-20
2020-21
2021-22
2022-23
अप्रैल से जुलाई-23
संकलित रक्त की संख्या
35393
29893
36540
40968
13688
ब्लड कैम्प की संख्या
404
415
498
486
122