अमरावती

कोविड काल में कलंकित हुए खून के रिश्ते

कोविड मृतकों के अंतिम दर्शन के लिए भी नहीं आये परिजन व निकट संबंधी

  • अपरिचितों का अंतिम संस्कार करने का जिम्मा उठाया मनपा व पुलिस महकमे ने

अमरावती/दि.3 – विगत करीब दो वर्षों से कोविड महामारी का दौर चल रहा है. तथा इस दौरान आयी संक्रमण की दो लहरों के दौरान महामारी के चपेट में आकर कई कोविड संक्रमितों की मौत भी हुई और इन्हीं दो लहरों के दौरान अमानवियता व असंवेदनशिलता का एक ऐसा भी घिनोना चेहरा सामने आया है. जिसकी वजह से खून के संबंधों की गरीमा तार-तार हो गई. साथ ही आपसी रक्त संबंध भी कलंकित हुए, जब कोविड संक्रमण की वजह से मृत हुए मरीजों के पार्थिव को उनके परिजनों व निकट संबंधियों ने स्वीकार करने से मना कर दिया तथा इनमें से कई मृतकों के अंतिम दर्शन व अंतिम संस्कार हेतु भी उनके परिजन अथवा निकट संबंधी नहीं आये. ऐसे में मनपा प्रशासन व पुलिस महकमे को ऐसे मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार करना पडा. साथ ही ऐसे कई मौकों पर मनपा व पुलिस महकमे के अधिकारी व कर्मचारी भी द्रवित हो गये.
बता देें कि, कोविड संक्रमण की दो लहरों के दौरान कई बार ऐसा भी हुआ जब पूरा का पूरा परिवार कोविड संक्रमित होकर इलाज कराने हेतु कोविड अस्पताल में भरती था और उनमें से किसी एक कि, संक्रमण के चलते मौत हो गई. ऐसे में मृतक मरीज के अंतिम संस्कार करने हेतु जहां एक ओर परिवार में कोई उपलब्ध नहीं था, वहीं उनके अन्य रिश्तेदार व निकट संबंधी भी बीमारी के डर की वजह से अंतिम संस्कार करने हेतु आगे नहीं आये. वहीं कई मामलों में ऐसा भी हुआ, जब कोविड संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित रहनेवाले उसके परिजनों ने उसके अंतिम दर्शन या अंतिम संस्कार करने से किनारा कर लिया. ऐसी दोनों तरह की स्थितियों में मनपा एवं पुलिस प्रशासन को उन मृतकोें के शवों का अंतिम संस्कार करना पडा. इसके तहत विगत एक वर्ष के दौरान 30 से अधिक अपरिचित लोगों के शवों का अंतिम संस्कार मनपा एवं पुलिस महकमे के कर्मचारियों द्वारा किया गया. यूं तो मनपा एवं पुलिस महकमे द्वारा हमेशा ही अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करवाया जाता है. किंतु कोविड संक्रमण काल के दौरान ऐसे लावारिस शवों की संख्या तुलनात्मक रूप से काफी कम थी. बल्कि पुलिस एवं मनपा प्रशासन द्वारा जिन लोगोें का अंतिम संस्कार करवाया गया, उनमें से अधिकांश मृतक ऐसे थे, जिनकी मौत कोविड संक्रमण की वजह से हुई थी और उनके परिजनों ने अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी से पल्ला झाड लिया था.

सालभर के दौरान 30 से 32 लावारिश शव

मनपा द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकडों के मुताबिक जनवरी से दिसंबर माह के दौरान महानगरपालिका क्षेत्र में 30 से 32 लावारिश शव पाये गये. जिनकी शिनाख्त नहीं हो पायी. पुलिस द्वारा इसकी जानकारी से मनपा प्रशासन को अवगत कराया गया और उन पर स्थानीय हिंदू श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार किया गया.

सर्वाधिक लावारिश लाशें मिली रेलवे पटरी पर

विगत एक वर्ष के दौरान मनपा क्षेत्र अंतर्गत जो लावारिश लाशें मिली, उनमें से अधिकांश लाशें रेलवे पटरियों पर पायी गई. इसके अलावा इर्विन चौक, राजकमल चौक परिसर व उडान पूल परिसर से भी कुछ लावारिश शव बरामद हुए थे.

मनपा करती है लावारिश शवों का अंतिम संस्कार

लावारिश करार दिये गये शवों के अंतिम संस्कार का खर्च मनपा प्रशासन द्वारा किया जाता है.
– अमरावती मनपा द्वारा इसके लिए हिंदू श्मशान भूमि के साथ एक करार किया गया है.
– प्रत्येक लावारिश शव के अंतिम संस्कार हेतु मनपा द्वारा हिंदू श्मशान भूमि को 500 रूपये दिये जाते है.

पुलिस द्वारा हमें लावारिश व अनजान शवों के बारे में सूचित किया जाता है. जिसके बाद मनपा द्वारा ऐसे मृतदेहों पर अंतिम संस्कार किया जाता है. जिसके लिए हिंदू श्मशान संस्था के साथ करार किया गया है. इसके साथ ही कोविड संक्रमण काल के दौरान जिन कोविड मृतकों के शवों को उनके परिजनों द्वारा स्वीकार करने से इन्कार कर दिया गया, उन शवों का मनपा कर्मियों द्वारा पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार किया गया. साथ ही साथ सभी कोविड मृतकों के शवों का मनपा कर्मियों द्वारा ही उनके परिजनों की मौजूदगी में पूरी ऐहतियात बरतते हुए अंतिम संस्कार करवाये गये.
– डॉ. सीमा नेताम
वैद्यकीय अधिकारी (स्वच्छता)
अमरावती मनपा

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