अमरावती

जिला स्त्री अस्पताल में अब तक 18 लाख गर्भवतियों की ब्लड टेस्ट

दो माह में हुई 1,124 प्रसूति, 597 सिजेरियन

  • 504 महिला मरीजों को किया गया रेफर

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२३ – स्थानीय जिला स्त्री अस्पताल में कोविड संक्रमण काल के दौरान 18 लाख 5 हजार 266 ब्लड टेस्ट किये गये है. साथ ही अप्रैल व मई माह के दौरान 1 हजार 124 महिलाओें की प्रसूति हुई. जिसमें से 597 महिलाओं का सिजेरियन करना पडा. वहीं 504 महिलाओं को अन्य अस्पतालों से यहां पर रेफर किया गया. इसके अलावा 31 हजार 805 महिलाओं की विविध पैथोलॉजी टेस्ट की गई. अलबत्ता इस दौरान यहां किसी की सोनोग्राफी टेस्ट नहीं हुई.
बता दें कि, गर्भधारणा होने के बाद गर्भ में बच्चे की क्या स्थिति है, यह देखने हेतु कुछ कालावधि के बाद रक्त व मूत्र जांच करने के साथ ही सोनोग्राफी जांच करनी पडती है. किंतु कोविड संक्रमण के चलते बीते वर्ष इस अस्पताल में 18 लाख 5 हजार 266 रक्त व मूत्र जांच की गई. साथ ही 871 सोनोग्राफी टेस्ट की गई. किंतु कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जिला स्त्री अस्पताल के डॉक्टरों सहित अन्य कर्मचारियों को भी कोविड संबंधी कार्यों के लिए इधर-उधर ड्यूटी पर तैनात किया गया. ऐसे में यहां पर सोनोग्राफी मशीन को भी बंद रखना पडा. हालांकि अन्य वर्षों की तुलना में इस वर्ष यहां पर प्रसूति हेतु भरती होनेवाली महिलाओं की संख्या भी बढ गई थी और रोजाना सौ से सवा सौ महिलाएं भरती होने की वजह से इस अस्पताल में बेड कम पडने लगे थे और बेहद कम मनुष्यबल के भरोसे इस पूरे काम की जिम्मेदारी निभानी पडी. हालांकि सोनोग्राफी सेंटर बंद रहने की वजह से गर्भवति महिलाओं को निजी सेंटरों पर जाकर अपनी सोनोग्राफी टेस्ट करवानी पडी. जिसमें यहां के कर्मचारियों को अच्छीखासी दौडभाग करनी पडी, लेकिन अपना कर्तव्य निभाते समय कर्मचारियों ने मरीजों को किसी भी तरह की समस्या का एहसास नहीं होने दिया.

  • वर्षभर के दौरान जिला स्त्री अस्पताल में हुई प्रसूति – 8,044

जिला स्त्री अस्पताल के एसएनसीयू विभाग में भरती बच्चे – 30
कितने बच्चों में व्यंगत्व – 00

  • कम से कम दो सोनोग्राफी टेस्ट जरूरी

गर्भधारणा के पश्चात चौथे व पांचवे माह के दौरान सोनोग्राफी करना बेहद आवश्यक होता है. जिसमें देखा जाता है कि, बच्चे का विकास ठीक तरीके से हो रहा है अथवा नहीं, बच्चा स्वस्थ है अथवा नहीं, उसके अवयवों का विकास सही तरीके से हो रहा है अथवा नहीं, बच्चे में किसी तरह का कोई व्यंगत्व तो नहीं है. इसके बाद दूसरी सोनोग्राफी टेस्ट नौवे महिने में करना जरूरी होता है. इसके जरिये गर्भ में बच्चे की स्थिति (पोजीशन) कैसी है. गले के पास नाल तो नहीं लिपटी है तथा बच्चा गर्भ में आडा या खडा तो नहीं है, आदि बातों को देखा जाता है.

  • ऐसा है डफरीन में मनुष्यबल

डफरीन अस्पताल के प्रचलित नाम से पहचाने जाते जिला स्त्री अस्पताल में जिले के कोने-कोने से महिलाएं प्रसूति हेतु भरती होती है. जिनके लिए यहां पर 20 डॉक्टर, 60 सिस्टर व 100 चतुर्थ श्रेेणी कर्मचारियों का स्टाफ तैनात है. इसमें से लगभग सभी कर्मचारियों को कोविड संक्रमण की स्थिति का सामना करना पडा. किंतु इसके बावजूद सभी डॉक्टरों व कर्मचारियों ने सभी शिफ्टों को संभालते हुए अत्यल्प मनुष्यबल रहने के बावजूद अपनी जिम्मेदारी का सफलतापूर्वक निर्वहन किया.

कोविड संक्रमण काल के दौरान प्रसूति के लिए बडी संख्या में महिलाएं भरती हो रही थी. अप्रैल व मई माह के दौरान 1 हजार 124 प्रसूतियां हुई. साथ ही 31 हजार 605 रक्त व मूत्र जांच की गई. किंतु सोनोग्राफी सेंटर बंद रहने के चलते मरीजों को यह टेस्ट निजी सेंटरों पर जाकर करनी पडी. हालांकि सोनोग्राफी से किसी भी महिला मरीज को वंचित नहीं रखा गया.
– डॉ. विद्या वाठोडकर
अधिक्षक, जिला स्त्री अस्पताल

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