अमरावती / दि.१७– जन्म के बाद आगे २-३ साल बालकों को विविध व्याधियों का सामना करना पड़ता है. जिसके कारण उनका पोषण ठीक से हो नहीं पाता. तथा कुछ आनुवंशिक भी बीमारियां रहती है. इसलिए नवजात शिशुओं की रक्त जांच करना आवश्यक है. सरकारी व निजी अस्पतालों में रक्त जांच प्राथमिकता से की जाती है. क्योंकि इससे जन्म से ही रहने वाली बीमारी पर समय पर उपाय योजना कर नियंत्रण पाना संभव होता है, यह जानकारी बालरोग विशेषज्ञों ने दी. जिले के सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क रक्त जांच की सुविधा है. बालक के जन्म के बाद अगले २४ से ७२ घंटे में ब्लड सैम्पल लिया जाता है. और इसे जांच के लिए लैब में भेजा जाता है. रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टरों की सलाह के अनुसार बालक पर उपचार किया जाता है. ऐसे बालकों पर आशा सेविकाओं समेत आरबीएसके, डीईआयसी द्वारा ध्यान रखा जाता है. बालक के अभिभावक के संपर्क में रहकर समय पर उपचार शुरु है या नहीं, इस बारे में जानकारी ली जाती है.
* इन अस्पतालों में होती है जांच
नवजात बालकों की रक्त जांच जिला सामान्य अस्पताल, उपजिला अस्पताल, ग्रामीण अस्पताल, जिला महिला अस्पताल सहित प्रसुति केंद्रों में की जाती है. ब्लड टेस्ट कर उन्हें यदि जन्म से ही कोई बीमारी होगी तो इस संबंध में जानकारी लेकर भविष्य में वह बीमारी न बढे़ इस संदर्भ में उपाय योजना की जाती है.
* सालभर में १८१० शिशुओं की जांच
सालभर में सरकारी अस्पतालों में १८१० शिशुओं की रक्त जांच की गई है. इनमें से ५६० बालकों में विविध विकार पाए गए. उन पर तत्काल उपचार शुरु किया गया. इन बालकों में पचन क्रिया में दोष, हिमोग्लोबिन की कमी, थॅलेसेमिया, सिकलसेल, अॅनिमिया, थायरॉईड जैसे विकार पाए गए.
बीमारी का खतरा टलता है
जन्मजात शिशुओं के रक्त की जांच करना आवश्यक है. इससे थायरॉईड, सिकलसेल, थॅलेसेमिया, अॅनिमिया जैसी बीमारियों का समय पर निदान होकर शिशु को स्वस्थ जीवन जीने मदद होती है.
– डॉ.जयंत पांढरीकर,
बालरोग विशेषज्ञ