बोधगया महाबोधी महाविहार को ब्राह्मण पंडितों से मुक्त कर बौद्ध भिक्खूओ को सौंपे
अखिल भारतीय भिक्खू संघ के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति के नाम जिलाधीश को सौंपा ज्ञान

अमरावती /दि.3– बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 रद्द कर बोधगया महाबोधी महाविहार को ब्राह्मण पंडितों के अधिकारों से मुक्त कर बौद्ध भिक्खूओं के अधिकार में देने की मांग को लेकर आज अखिल भारतीय भिक्खू संघ के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम जिलाधीश सौरभ कटियार को ज्ञापन सौंपा.
बौद्ध भिक्खू और बौद्ध अनुयायी उपासक-उपासिका संघ के प्रमुख पदाधिकारी जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना दे रहे है. इस दौरान राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन में बताया गया है कि, बोधगया महाबोधी महाविहार यह बौद्ध धर्म की विरासत है. शाक्य पुत्र, शाक्य मुनी सिद्धार्थ गौतम को तत्कालीन उरुवेला (बिहार) में 6 साल कडी तपस्या के बाद गया के समीप पीपल के पेड के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ और वे बोधी सत्व बने. उन्हें बुद्धत्व प्राप्त हुआ. बुद्ध ने दुनिया का सत्य उजागर किया. उन्हें सद्धम्म का अविष्कार प्राप्त हुआ. संपूर्ण दुनिया उन्हें भगवान सम्यक संबुद्ध के नाम से जानती है और इस ज्ञान प्राप्त स्थल को बोधगया के नाम से पहचानती है. साथ ही पीपल का पेड बोधी वृक्ष में परिवर्तित बौद्धों की धार्मिक आस्था का प्रतिक है. अंग्रेज सरकार के शासन काल में इस पवित्र स्थल की देखरेख और पूजा अर्चना के लिए गोसावी नामक भट ब्राह्मण नियुक्त किया गया. अंग्रेजों का शासन समाप्त होने पर उस ब्राह्मण ने महाबोधी महाविहार और बौद्ध विहार की 2 हजार एकड से अधिक जमीन पर कब्जा कर अपने परिवार का अधिकार जमाया. देश आजाद होने के बाद बिहार सरकार ने बोधगया महाविहार मंदिर अधिनियम 1949 के तहत ब्राह्मणों का कब्जा कायम रखा. जो सरकार के माध्यम से बौद्ध धर्म पर कडा अन्याय है. हिंदू धर्म के मंदिरों में हिंदू ब्राह्मण पुजारी एवं अधिकारी होते है. उसी तरह मुस्लिम समुदाय की मस्जिदों में मुस्लिम धर्मगुरु, मौलवी, पुजारी एवं अधिकारी होते है. इसाईयों के चर्च में इसाई धर्मगुरु, सीख समाज के गुरुद्वारा में सीख धर्मगुरु, जैन धर्म के मंदिरों मेें जैन मुनी ही पुजारी और अधिकारी होते है. इसी तरह बौद्ध धर्मिय बुद्ध विहारों में बौद्ध धर्मगुरु बौद्ध भिक्खू पुजारी एवं अधिकारी होते है. ब्राह्मण यह गैर बौद्ध है. वह बौद्ध विहारों में पुजारी अथवा अधिकारी नहीं हो सकते, ऐसा ज्ञापन में कहा गया है. इस कारण इस पवित्र स्थल को ब्राह्मण पंडितों से मुक्त कर बौद्ध धर्मिय धर्मगुरु बौद्ध भिक्खू के अधिकारों में लागू करने की मांग की गई है.
* ऑल इंडियान एक्शन कमिटी फॉर बुद्धिस्ट पर्सनल लॉ बोर्ड का धरना
ऑल इंडियान एक्शन कमिटी फॉर बुद्धिस्ट पर्सनल लॉ बोर्ड की स्थानीय ईकाई के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना देते हुए बिहार पुलिस द्वारा महाबोधी महाविहार में अनिश्चितकालीन भूख हडताल के 16 वें दिन भिक्खूओं के साथ की गई बर्बरता और आंदोलनकर्ताओं को वहां से हटाने की घटना का निषेध करते हुए जिलाधिकारी सौरभ कटियार को ज्ञापन सौंपते हुए बिहार राज्य के बोधगया महाबोधी महाविहार के अधिनियम 1949 को रद्द कर बौद्धों को सौंपने की मांग की है. ज्ञापन सौंपने वालों मेें प्रा. दिनकरराव तुरकाने, एस. बी. खोब्रागडे, भिमराव निस्वाडे, सूर्यभान बनसोड, धर्मा रामटेके, नमोप्रकाश राउत, खुशाल अवसरमोल, सुखदेव वानखडे, सुनीता रायबोले, शारदा रामटेके आदि का समावेश था.