किसानोें के साथ हो सकती है जालसाजी
अमरावती-/दि.12 इस बार खरीफ सीझन के दौरान हो रही मूसलाधार बारिश, लंबे समय से बने बदरिले मौसम और वातावरण में होनेवाले बदलाव के चलते फसलों पर अलग-अलग कीटकों व रोगों का प्रादुर्भाव बढ गया है. जिसके तहत सोयाबीन पर पत्ते खानेवाली इल्ली, मक्के पर लश्करी इल्ली तथा कपास पर गुलाबी इल्ली का असर देखा जा रहा है. जिन पर नियंत्रण प्राप्त करने हेतु फवारणी करने के लिए किसानों द्वारा बडे पैमाने पर कीटनाशक खरीदे जा रहे है. परंतु इन कीटनाशकों को खरीदने से पहले उनके प्रमाणित व अधिकृत रहने की पुष्टि व पडताल करना बेहद जरूरी होता है, अन्यथा बोगस कीटनाशकों की वजह से फसलों का फायदा होने की बजाय नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहती है.
बता देंं कि, पिछले सीझन में कृषि विभाग द्वारा कीटनाशकोें के 277 सैम्पलों को जांच हेतु भिजवाया गया था. जिसमें से 14 सैम्पल अप्रमाणित रहने की बात सामने आयी थी. इसमें से एक मामले में संबंधित विक्रेता का लाईसेन्स निलंबीत किया गया था. वहीं 13 सैम्पलों को दोबारा जांच हेतु भेजा गया. यानी बोगस कीटनाशकों की बिक्री के मामलोें में होनेवाली कार्रवाईयों का प्रमाण बेहद कम है. जिसके चलते किसानों के साथ धोखाधडी व जालसाजी होने की काफी अधिक संभावना बनी रहती है. वही इस बार के सीझन में 264 कीटनाशकों के सैम्पल लेने का लक्ष्य तय किये जाने की जानकारी कृषि विभाग द्वारा दी गई है.
अब तक 50 सैम्पल लिये गये
जिला परिषद के कृषि विभाग ने जारी वर्ष के सीझन में अगस्त माह तक 50 कीटनाशकों के सैम्पल लिये है. जिसमें से दो सैम्पल अप्रमाणित पाये गये. वहीं एक मामले में एफआईआर दर्ज की गई है.
1 मामले में अपराध दर्ज, 13 मामलों में बिक्री बंदी के आदेश
कृषि विभाग द्वारा लिये गये सैम्पलों में से दो सैम्पलों के अप्रमाणित पाये जाने के चलते एक मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. वहीं अन्य 13 मामलों में प्रमाणिकरण को लेकर संदेह रहने के चलते कीटनाशकों की बिक्री बंद करने का आदेश दिया गया है. वही कृषि विभाग के पथकों द्वारा कृषि सेवा केंद्रों से अब भी कीटनाशकों का सैम्पल लेने की प्रक्रिया शुरू रखी गई है.
जिले में है 1,353 बिक्री केंद्र
जिले में कीटनाशकों की फूटकर बिक्री के 1,353 लाईसेन्स है. इसके अलावा रासायनिक खाद की होलसेल बिक्री के 1,605 व फूटकर बिक्री के 108 तथा बीज बिक्री के 1,522 लाईसेन्स भी अमरावती जिले में है. इन सभी लाईसेन्स धारकों के प्रतिष्ठानों पर कृषि विभाग के पथकोें द्वारा लगातार नजर रखी जाती है.
बोगस कीटनाशकों से होता है नुकसान
बोगस कीटनाशकोें की फवारणी करने के चलते फसलों का नुकसान होता है. जिसकी वजह से अंतत: किसानों को ही नुकसान का सामना करना पडता है. इसके साथ ही ऐसे बोगस कीटनाशकोें की फवारणी के चलते पर्यावरण का नुकसान होकर कीटों व रोगों का प्रादुर्भाव बढने की भी संभावना रहती है. इसका खामियाजा भी अंतत: किसानों को ही आर्थिक नुकसान के तौर पर भुगतना पडता है.
जिले में 15 उडन दस्ते कार्यरत है. कहीं पर भी बोगस कीटनाशकों की बिक्री होने की बात पता चलते ही अपने नजदिकी कृषि विभाग कार्यालय से त्वरित संपर्क साधा जाना चाहिए. हर शिकायत पर कृषि विभाग द्वारा तुरंत कार्रवाई की जायेगी.
– अनिल खर्चान
जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी