अमरावती/दि. 5– त्रिशला माता ने 14 सपनों को देखने के बाद एक पुत्र को जन्म दिया. इस घोषणा के साथ ही राजीबाई जैन धर्मशाला स्थित छोटा मंदिर में भगवान महावीर के जन्मोत्सव को लेकर उपस्थितों ने आनंद व्यक्त किया. किसी ने ढोल बजाए तो किसी ने चवर झुलाकर भगवान को वंदना की. चातुर्मास के दौरान जैन समुदाय 8 दिनों तक पर्युषण पर्व का आयोजन करता है. इस आयोजन के अंतर्गत भगवान महावीर के जीवन प्रसंगों को दर्शाते कल्पसूत्र इस पोथी का वाचन भी किया जाता है. जिसमें आज पांचवें दिन भगवान महावीर के जन्मोत्सव के प्रसंगों का वाचन किया गया. केनलीभाई शाह, यश मेहता, पार्श्व शाह आदि स्वाध्यायी भाई की उपस्थिति में यह आयोजन हुआ.
इस अवसर पर श्री जैन श्वेताबंर मित्र मंडल द्वारा संचालित छोटे मंदिर के लिए भगवान महावीर के जन्म के पहले मां त्रिशला द्वारा देखे गए 14 सपनों की बोली भी लगाई गई, जिसमें उपस्थित भाविकों द्वारा दिल खोलकर सहभाग लिया गया. इस बोली के माध्यम से प्राप्त राशि मंदिर के वार्षिक खर्च के लिए उपयोग में लायी जाती है. बुधवार 4 सितंबर को सुबह 9 बजे कार्यक्रम की शुरुआत हुई. जिसमें स्वाध्यायी भाई की उपस्थिति में इन बोलियों का सिलसिला शुरु हुआ, जो दोपहर तक चला. इस अवसर पर भूपेंद्र जैन, सुरेंद्र जैन, वीरेंद्र जैन, परेश भंसाली, महिपाल भंसाली, निर्मल मुणोत, धर्मेंद्र मुणोत, चंदू सोजतिया, महावीर, सामरा, हरीश सामरा, गुणवंतराज कोठारी, दिलीपभाई पटवा, किशोरभाई शाह, राजूभाई मेहता, रतन भंसाली, प्रेरणापुंज के अनिल मुणोत, रोमित पारेख, सुमित भंसाली, रमेश कटारिया, मनोज कटारिया, संजय चोपड़ा, संजय मुणोत, पन्ना ओस्तवाल, अमृत मुथा, महेंद्र गांधी, प्रदीप भिमानी, दिनेश संघवी, कंचन सिंघवी, टिकमचंद सिंघवी, हरीश गांधी, पीयूष निबजिया, शीतल भंसाली, राजेश भंसाली, प्रदीप पटवा, अनीश मेहता, अतुल मेहता, अभिजीत दोशी आदि के साथ बड़ी संख्या समाज बंधु उपस्थित थे.कार्यक्रम का संचालन महिपाल भंसाली, मुकेश शाह ने संभाला.
* मुणोत परिवार ने लिया पालने का लाभ
इस अवसर पर भगवान क ेुपालने को घर ले जाने की बोली ओमप्रकाश मुणोत परिवार की ओर से निशांत मुणोत ने ली. आज शाम उनके श्रीकृष्ण पेठ स्थित निवासस्थान पर संध्या का आयोजन किया गया है. जहां पर भगवान के 14 सपनों को सजाया जाएगा तथा भक्तिगीत प्रस्तुत होंगे.
* कुमारपाल बनेंगे निशांत मुणोत
इस पर्व के दौरान भगवान के मंदिर को सुशोभित कर सजाया जाता है. आकर्षक दीपमाला एवं फूलों की सजावट के बाद मान्यता के अनुसार प्राचीन राजा कुमारमाल ने मंदिर के द्वार खोले थे. उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए इस वर्ष शिवराज मुणोत परिवार की ओर से यह बोली ली गई, जिसमें कल शाम सक्करसाथ चौक से कुमारपाल राजा के रूप में निशांत एवं रानी पलक बग्गी में सवार होकर समाज बंधुओं की उपस्थिति में मंदिर के द्वार पहुंचेंगे तथा विधिवत भगवान के दर्शन कर महाआरती करेंगे. इस अवसर पर सभी समाज बंधुओं से उपस्थित रहने का अनुरोध मुणोत परिवार तथा मंदिर संस्थान की ओर से किया गया है.