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दोनों कह रहे है हमने मारा, प्रत्यक्षदर्शी बता रहे खराटे ने मारा

शिवसेना (उबाठा) की शॉर्ट फिल्म फिर एक बार रिलीज

* धाने पाटिल और सुनील खराटे में मारपीट
अमरावती/दि.12 – अमरावती लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाडी के उम्मीदवार के रुप में कांग्रेस के बलवंत वानखडे चुनाव लड रहे है. महाविकास आघाडी की एकजुटता का आलम यह है कि, शिवसेना के दो स्थानीय नेता कल बडनेरा के पास झिरी मंदिर में इस बात पर आपस में भिड गये कि, बलवंत वानखडे के चुनाव प्रचार के लिए पार्टी (शिवसेना उबाठा) पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की बैठक जिला प्रमुख की बिना अनुमति के क्यों बुलाई गई.
कल रात लगभग 7 बजे के आसपास बडनेरा के झिरी मंदिर में शिवसेना उबाठा की एक बैठक बुलाई गई थी और इस बैठक में महाविकास आघाडी के सभी पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया था. मिली जानकारी के अनुसार बडनेरा विधानसभा क्षेत्र शिवसेना जिला प्रमुख सुनील खराटे के कार्यक्षेत्र में आता है. जानकारी यह भी मिली है कि, यह बैठक धाने पाटिल के समर्थक व पूर्व नगरसेवक राजेंद्र दारोकार ने बुलाई थी. बैठक लगभग 6.30 बजे शुरु होने वाली थी. इसी बीच महाविकास आघाडी की क्रांति कालोनी अमरावती में पदयात्रा चल रही थी. इस पदयात्रा में शिवसेना की बैठक के लिए धाने पाटिल के विलास इंगोले और अन्य नेताओं को लगातार फोन जारी थे. पदयात्रा छोडकर उम्मीदवार बलवंत वानखडे, सुनील देशमुख, विलास इंगोले, बबलू शेखावत व सुनील खराटे झिरी मंदिर की बैठक के लिए पहुंचे. बैठक में बहुत कम कार्यकर्ता व पदाधिकारी थे. बैठक शुरु हुई और धाने पाटिल, सुनील खराटे व बलवंत वानखडे के भाषण हुए.
बैठक खत्म होने के बाद सुनील खराटे ने बैठक के आयोजकों को पूछा कि, महाविकास आघाडी में अमरावती व बडनेरा विधानसभा की जिम्मेदारी उन पर (सुनील खराटे) है. फिर बैठक उनको बताए बगैर किसने बुलाई और यदि बैठक बुलाना भी था, तो कम से कम सारे पदाधिकारियों को बताना जरुरी था. बैठक में ‘पुवर शो’ हुआ है. शिवसेना पार्टी के लिए यह ठीक नहीं. यह बातचीत जारी थी कि, धाने पाटिल इस चर्चा में कूद पडे और उन्होंने यह भी कहा कि, वे भी चुनाव समिति में है और सुनील खराटे कोई शिवसेना के मालिक नहीं. बात बढती गई. हमरी-तुमरी यहां तक बढी कि, सुनील खराटे ने धाने पाटिल को अचानक तमाचा जड दिया. धाने पाटिल पीछे खडे मिले साबले नामक कार्यकर्ता पर जा गिरे. उनका चष्मा भी अस्त-व्यस्त हो गया था. इस तमाचे के बाद लोंबा-झोंबी बढने वाली थी कि, सभी ने बीचबचाव कर लिया. वहां उपस्थित बलवंत वानखडे की गाडी तो आगे निकल चुकी थी. लेकिन कांग्रेस के अन्य नेताओं और शिवसेना के उपस्थित कार्यकर्ताओं ने बीचबचाव किया. वहां से निकलने तक धाने पाटिल और सुनील खराटे दोनों नेता एक-दूसरे को भला-बुरा कह रहे थे. बताया जाता है कि, शिवसेना के अधिकांश नेता इन दिनों धाने पाटिल से नाराज है. पाटिल पर आरोप है कि, वे सबको विश्वास में लिये बगैर बैठके ले रहे है. लेकिन धाने पाटिल गुट का मानना है बैठकें वे नहीं, बल्कि पदाधिकारी ले रहे है. दूसरी तरफ धाने पाटिल आज स्वयं सुबह महाविकास आघाडी की पदयात्रा में सबसे कहते देखे गये कि, उन्होंने खराटे को मारा है. कुछ अखबार वालों से भी धाने पाटिल ने यहीं कहा. लेकिन प्रत्यक्षदर्शी और कुछ बता रहे है.
वैसे तो लोकसभा चुनाव 2019 में शिवसेना के कई नेताओं ने अंदरबट्टे नवनीत राणा का काम किया था. आरोप यह भी था कि, सेना के कुछ नेताओं ने उस समय पैसे लेकर पार्टी से गद्दारी की थी. लेकिन इस चुनाव में माहौल पूरी तरह बदला हुआ दिखाई दे रहा है. शिवसेना का छोटा-बडा सभी नेता महाविकास आघाडी के उम्मीदवार को चुनाव जीतवाने के लिए जी-जान से जुटे है, क्योंकि नवनीत राणा की सीधी लडाई शिवसेना उबाठा के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे से है. इसलिए शिवसेना का कोई नेता इस बार दांये-बांये नहीं दिखाई दे रहा है. महाविकास आघाडी के उम्मीदवार के चुनाव में जिले की शिवसेना में जबर्दस्त उत्साह और उद्धव साहब का बदला लेने की होड दिखाई दे रही है और इतिहास गवाह है कि, जब-जब और जहां-जहां शिवसेना मजबूत और सक्रिय होती है, तो सबसे पहले शिवसेना के नेता आपस में लडते है. फिलहाल जिले की शिवसेना में यहीं वर्चस्व की लडाई दिखाई दे रही है. हर कोई अपने आपको एक दूसरे से बडा मान रहा है.

* बडनेरा विधानसभा पर सबकी नजरें
बडनेरा विधानसभा क्षेत्र भाजपा सेना का गढ रहा है. यहां से भाजपा कभी चुनाव नहीं लडी. इसलिए शिवसेना इस विधानसभा से कई बार चुनकर आयी है. जारी लोकसभा चुनाव के बाद दो माह के भीतर विधानसभा के चुनाव लगने है. शिवसेना में बडनेरा विधानसभा क्षेत्र के लिए पार्टी की टिकट पाने के लिए इस बार लंबी फेरहिस्त बनी हुई है. पिछले विधानसभा चुनाव की उम्मीदवार प्रीति बंड, जिला प्रमुख सुनील खराटे, दो बार विधायक रह चुके ज्ञानेश्वर धाने पाटिल, महानगर प्रमुख पराग गुडधे, सुधीर सूर्यवंशी भी बडनेरा से चुनाव लड चुके है, उनके मन भी शायद सुप्त इच्छा होगी. एक चर्चा यह भी है कि, पूर्व सांसद अनंत गुढे भी मन ही मन बडनेरा से चुनाव लडने की इच्छा रखते है. यदि चुनाव लडने वालों की इतनी लंबी लिस्ट होगी, तो वर्चस्व की लडाई तो छिडेगी ही. लडाई छिडी, तो शिवसेना स्टाइल की कल रात बनी शॉर्ट फिल्म आने वाले दिनों में और भी बन सकती है. फ्रि स्टाइल की तो अभी शुरुआत हुई है. आगे-आगे देखों होता है क्या?

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