अमरावती

बच्चों के लिए नुकसानदेह हो सकता है बोतल से दूध पीना

शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्तनपान जरुरी

अमरावती/दि.8 – नवजात बच्चोें के लिए मां का दुध सही मायनों में अमृत की तरह होता है. 9 महिने तमाम तरह की तकलीफें सहन करते हुए महिलाओं द्बारा अपने गर्भ में बच्चे को रखा जाता है. लेकिन बच्चे का जन्म होने के बाद कई महिलाएं अपने बच्चे को अपना स्तनपान नहीं करवाती, बल्कि उन्हें बाहर का दुध बोतल से पिलाती है. परंतु ऐसा करना बच्चे के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. क्योंकि इसका सीधा असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पडता है. ऐसे में स्तनपान को लेकर महिलाओं में जनजागृति करना बेहद आवश्यक है. क्योंकि स्तनपान की वजह से ही बच्चा निरोगी रहता है और उसका बौद्धिक विकास भी होता है. इसके अलावा खुद मां के स्वास्थ्य के लिए ही बच्चे का स्तनपान करना बेहद जरुरी है.

* विश्व स्तनपान जागृति सप्ताह
बता दें कि, प्रतिवर्ष 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान जागृति सप्ताह मनाया जाता है. जिसके जरिए इस एक सप्ताह के दौरान सरकारी जिला स्त्री अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती एवं नवप्रसूता महिलाओं को स्तनपान के संदर्भ में जागृत किया जाता है.

* 6 माह तक स्तनपान जरुरी
– बच्चों का जन्म होते ही पहले एक घंटे में ही मां द्बारा अपने बच्चे को स्तनपान करवाना बेहद जरुरी होता है.
– इसके साथ ही अगले 6 माह तक बच्चे को केवल स्तनपान ही करवाया जाना चाहिए.
– मां का दुध बच्चे के लिए कवच-कुंडल का काम करता है. जिसके चलते मां के दुध को बच्चे का पहला प्रतिबंधात्मक टीकाकरण भी समझा जाता है.
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* मां का दुध बच्चे के लिए महत्वपूर्ण
मां का दुध बच्चे का पहला टीकाकरण होता है. परंतु शहरी क्षेत्र में कई महिलाएं नौकरीपेशा अथवा कामकाजी होती है. जिसके चलते उनका अपने बच्चों के स्तनपान की ओर ध्यान नहीं होता. बल्कि वे अपने बच्चों को बाहर का दुध बोतल के जरिए पिलाती है. परंतु पहले 6 माह तक प्रत्येक मां द्बारा अपने बच्चे को अपना ही दुध पिलाना बेहद आवश्यक व महत्वपूर्ण होता है.
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* बोतल का दुध को बिल्कूल भी नहीं
मां द्बारा बच्चे को अपना दुध पिलाना यह प्रकृति का नियम है. परंतु कई महिलाएं इसकी अनदेखी करते हुए अपने बच्चे को बाहर का दुध बोतल से पिलाती है. लेकिन इस बाहरी दुध की वजह से बच्चे का परिपूर्ण पोषण नहीं हो पाता. जिसकी वजह से बच्चे के कुपोषित रहने और विविध तरह की बीमारियों का शिकार होने की संभावना बढ जाती है.

* बोतल वाले दुध के साथ कई खतरे
बोतल के जरिए दिए जाने वाले दुध की वजह से कई विषैले घटक बच्चे के पेट में जाते है. कई महिलाएं प्लॉस्टिक से बनी बोतल के जरिए अपने बच्चों को बाहर का दुध पिलाती है. परंतु प्लास्टिक जिस घटक से बनता है, उस पर उष्णता का परिणाम होता है. जिसकी वजह से बोतल में गरम दुध डालने के बाद प्लास्टिक के विषैले टॉक्झिन्स बाहर आते है और दुध के साथ यह विषैले घटक भी बच्चे के पेट में चले जाते है.

* प्रत्येक मां द्बारा अपने बच्चे को पहले 6 माह के दौरान केवल अपना ही दुध पिलाया जाना चाहिए. मां का दुध बच्चे के स्वास्थ्य हेतु अमृत समान होता है और बच्चे मेें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित करता है. जिसके जरिए बच्चा विभिन्न तरह की बीमारियों से बचा रहता है. ऐसे में बच्चे को बाहर का दुध बोतल से पिलाना टाला जाना चाहिए. स्तनपान सप्ताह निमित्त स्वास्थ्य विभाग द्बारा इस हेतु आवश्यक जनजागृति भी की जाती है.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्यचिकित्सक

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