ब्रम्ह देवता त्रिदेव में एक और सृष्टि के रचयिता
कथा वाचक बालव्यास अक्षय अनंत गौड महाराज की मधुर वाणी में सतीधाम मंदिर में चल रहा है श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ
* माहेश्वरी महिला मंडल का पितृपक्ष के पुण्य पर्व पल आयोजन
अमरावती/दि.28– हिंदू पौराणिक कथा अनुसार भगवान ब्रम्हदेव को सृष्टि का रचयिता कहा गया है. उनका जन्म भगवान विष्णु की नाभि कमल से हुआ. भगवान ब्रम्ह को त्रिदेव में से एक कहा जाता है. जो मनुष्यों के आदिपिता मनु के भी पिता होने से उन्हें परमपिता के नाम से संबोधित करते है. कथा वाचक बालव्यास अक्षय अनंत गौड महाराज (नागौर) ने दूसरे दिन ब्रम्ह देवता की उत्पति की कथा सुनाते हुए अंत में ‘वीर हनुमाना अति बलवाना, राम-राम रसियो रे, प्रभूमन बसियो रे…’ का नामस्मरण करवाया.
स्थानीय रॉयली प्लॉट स्थित सतीधाम मंदिर में माहेश्वरी पंचायत अंतर्गत माहेश्वरी महिला मंडल द्वारा शहर में पहली बार पितृपक्ष के पुण्य पर्व पर श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह का बुधवार से आयोजन किया गया. कथा के दूसरे दिन कथावाचक बालव्यास अक्षय अनंत गौड महाराज (नागौर) ने ब्रम्ह देवता की उत्पति के प्रसंगों का वर्णन करते हुए कहा कि, पहले यह संसार जल में डूबा था. उस समय एकमात्र भगवान नारायण शेष शैया पर लेटे हुए थे. जब सृष्टि की रचना का समय आया तो भगवान नारायण की नाभि से एक प्रकाशमान कमल प्रकट हुआ. उसी कमल से वेद मूर्ति ब्रम्हा प्रकट हुए. चारों ओर देखने पर भी जब उन्हें कोई नहीं दिखा तो कमल का आधार पता लगाने के लिए उसकी नाल से होते हुए जल में पहुंचे फिर भी उन्हें कुछ पता नहीं चला. अंत में वे वापस कमल पर लौट आए. इसके बाद अव्यक्त वाणी से उन्हें तप करने की आज्ञा मिली, जिसके बाद उन्होंने एक सहस्त्र दिव्य वर्षों तक तप किया. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें दर्शन देकर अपने लोक का भी दर्शन करवाया. भगवान नारायण ने इसके बाद चार मुख वाले ब्रह्म को अपने भागवत तत्व का उपदेश चार श्लोकों में दिया, जिसे चतु:श्लोकी भागवत कहा जाता है. फिर भगवान ने ब्रम्हा को अविचल समाधि द्वारा उस सिद्धांत में पूर्ण निष्ठा करने की बात कही. ताकि उन्हें अलग-अलग कल्पों में सृष्टि की रचना करते रहने पर भी कभी मोह ना हो. फिर भगवान ने अपने संकल्प से ही ब्रम्हा के हृदय में संपूर्ण वेद ज्ञान का प्रकाश कर दिया. पुराणों के अनुसार भगवान ब्रम्हा चार मुंह वाले है. उनके चार हाथ है, जिनमें वे वरमुद्रा, अक्षर सूत्र, वेद तथा कमण्डल धारण किए हुए है. सृष्टि की रचना के लिए उन्होंने सबसे पहले चार पुत्रों सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार की उत्पत्ति की. अपने शरीर के अंशों से ही उन्होंने मनु व शतरूपा की उत्पति की, जिनसे फिर मनुष्य की उत्पति हुई.
कथा के अंत में मुख्य यजमान (मुंडवा राजस्थान) निवासी 90 वर्षीय नारायणी बाई बंग के हाथों बालव्यास अक्षय अनंत गौड महाराज (नागौर) के साथ दैनिक यजमान वैशाली व श्रीनिवास टवाणी तथा प्रसादी यजमान रेखा व दिनेश मुंधडा तथा प्रीती व रोहित लाहोटी परिवार के हाथों आरती की गई. इस कथा के दूसरे दिन स्व. बुलाखीदास एवं लीलादेवी की स्मृति व स्व. विजयकुमार भागीरथ टवाणी की स्मृति में विशेष पंडितों द्वारा कथा वाचन किया गया. दूसरे दिन तैयार की गई विशेष झांकी में स्वरा केला ने परमपिता ब्रम्हा, सलोनी तोलन ने भगवान विष्णु व विदुर तथा परी टवाणी ने माता लक्ष्मी के साथ विदुरानी की भूमिका निभाई.
कथा में आयोजक माहेश्वरी महिला मंडल की अध्यक्षा संगीता टवाणी, सचिव निशा जाजू, कोषाध्यक्ष सरोज चांडक के साथ संयोजक सरिता सोनी, सहसंयोजक के रुप में शशि मुंधडा, रेनू केला, वनिता डागा, किरण मुंधडा, उषा मंत्री, माधुरी सोनी, मधुबाला लड्ढा, कल्पना लड्ढा, शोभा सारडा, उषा भट्टड, कविता भट्टड, शीतल भट्टड, सुशीला चांडक, लता मंत्री, गायत्री डागा, लता सिकची, अरुणा भट्टड, कांता राठी, विजया सोनी, गायत्री सोमाणी, श्यामा चांडक, आंचल कलंत्री, सोनाली राठी, सुषमा तिवारी, अमिता जयस्वाल, अरुणा राठी, निशा भूतडा, उषा भूतडा, शशि लाहोटी, शांती झंवर, कोमल राठी, चंदा साबू, ममता साबू, किरण लाहोटी, संध्या केला, उषा करवा, श्वेता ठक्कर, सारिका तिवारी, दीपक भूतडा, सुनीता वर्मा, यशोदा वर्मा, उर्मिला कलंत्री, प्रमिला राठी, शोभा राठी, शोभा सारडा, पूजा तापडिया, नटवर झंवर, राजकुमार टवानी, गिरीश डागा, विशाल लढ्ढा, संजय शाह, कैलाश साहू, घनश्याम वर्मा (हिंगणघाट), संजत भूतडा, जुगलकिशोर सारडा, विजय राठी, मधुसूदन राठी, माणकलाल सोमाणी, विशाल लड्ढा, प्रदीप ठाकरे, फकीरचंद अग्रवाल, गोविंद मोहितीरे, नरेश करवा, आकाश किंदरले, अशोक मुंधडा, शिवरतन हेडा, संतोष लड्ढा, सत्यनारायण कलंत्री, जयमल भूतडा, सुभाष काले, विनायक बडोने, सुभाष भैया, कैलाश साहू चावलवाले, सत्यनारायण लाहोटी, राजेश चांडक, सुरेश राठी, उषा मंत्री, कविता राठी, कृष्णा गांधी, सरला मुंधडा, कौशल्या सोमाणी, चंदा वर्मा, जशोदा वर्मा, सुमित्रा जांगिड, मंजू शर्मा, उमा राठी, गीता लड्ढा, उषा भट्टड, प्रणिता भट्टड, वीणा गांधी, हेमा भट्टड, लीला मालाणी, निर्मला वर्मा, सरिता सोमाणी, पुष्पा काबरा, मीरा चांडक, रीमा चांडक, संगीता करवा, शीला काबरा, नीशा भूतडा सहित बडी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सतीधाम मंदिर व्यवस्थापन का विशेष सहयोग मिल रहा है.