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निकाय चुनाव पर ब्रेक, बढ़ रही निराशा

इच्छुकों को प्रशासक राज में भाव नहीं

अमरावती/दि.3- कोर्ट के आदेशों के कारण स्थानीय निकाय चुनाव को लगा ब्रेक कायम है. बल्कि चुनाव का इंतजार लगातार बढ़ रहा है. जिससे चुनाव लड़ने के इच्छुक फिर वह मनपा के हो या पालिका के, में निराशा बढ़ रही है. प्रशासक राज में अधिकारी वर्ग उन्हें विशेष भाव नहीं दे रहा. जिससे अपने क्षेत्र के लोगों के काम पर छाप छोड़ने की उनकी कोशिश धरी रह रही. दूसरी ओर नाना प्रकार की चर्चा हो रही है. एक चर्चा के अनुसार, निकाय चुनाव अक्तूबर, नवंबर में हो सकते हैं. दूसरी अटकल है कि लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव की संभावना कम है. क्योंकि अदालतों में प्रभाग रचना सहित नगरसेवकों की संख्या एवं ओबीसी आरक्षण का मामला प्रलंबित है.
* अमरावती में इच्छुक निराश
मनपा की अवधि पिछले वर्ष मार्च में पूर्ण हो गई थी. तब से प्रशासक राज में कामकाज चल रहा है. अधिकारियों ने पूर्व पदाधिकारियों को कुछ दिन भाव दिया. किन्तु जैसे-जैसे समय बीतता गया, गिनती के पूर्व जनप्रतिनिधियों को छोड़ दें, तो कार्यकर्ताओं की पूछ परख कम हो गई. इससे भी चुनाव लड़ने के इच्छुक निराश हो रहे हैं.
* वोटर लिस्ट अपडेट, चुनाव की डेट कब?
इच्छुक आपस में चर्चा दौरान एक-दूसरे को निकाय चुनाव की संभावित तारीख पूछ रहे हैं. उनका चर्चा का सार यह है कि चुनाव विभाग वोटर लिस्ट अपडेट कर रहा है. नए वोटर्स का पंजीयन भी हो रहा है. जिससे निकट भविष्य में चुनाव की संभावना देखी जा रही. मगर कोर्ट में मामला प्रलंबित होने से कोई खात्री से कुछ कहने से बच रहा है. हालांकि लीडरान अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव दिवाली से पहले होने का भरोसा दिला रहे हैं. किन्तु कार्यकर्ताओं को ही पता है कि ओबीसी आरक्षण संबंधी याचिका निकाय चुनाव में प्रलंबित है. जब तक उस पर अदालत का निर्णय नहीं आता, तब तक चुनाव की संभावना कम है.
* बदले राजनीतिक समीकरण
निकाय चुनाव की बेताबी से प्रतीक्षा कर रहे इच्छुकों को इस बात का भी अहसास है कि प्रदेश में पिछले माह राकांपा की फूट पश्चात सियासी समीकरण काफी बदल गए हैं. जिसमें बड़े महानगरों के निकाय की चुनाव तारीखों से तालमेल रखकर अमरावती, अकोला, चंद्रपुर जैसी मनपा के चुनाव होंगे. कार्यकर्ता चाहते हैं कि इस बार निकाय चुनाव हो जाने चाहिए. उनका इंतजार लंबे से लंबा होता जा रहा है. वे अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं का तत्काल निवारण नहीं कर पा रहे. जबकि वरिष्ठ नेता उन्हें सब्र रखने की सलाह दे रहे हैं. जिससे कार्यकर्ताओं को लगता है कि पहले लोकसभा चुनाव होंगे. बाद में ही निकाय चुनाव की बारी आएगी. याद दिला दें कि 8 या 9 अगस्त को हाइकोर्ट में सुनवाई होनी है.

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