अमरावती

15 हजार नियतकालीकों के छपाई व वितरण पर लगा ब्रेक

दीर्घकालीन परंपरा पर कोविड संक्रमण का असर

  • लगातार बढ रही आर्थिक दिक्कतें

पुणे/दि.२ – महाराष्ट्र की साहित्यीक, वैचारिक व सांस्कृतिक परंपरा का महत्वपूर्ण घटक रहनेवाले विविध नियतकालीकों की छपाई व वितरण के काम पर कोविड संक्रमण की वजह से ब्रेक लग गया है और राज्य के करीब 20 हजार पंजीकृत नियतकालीकों में से लगभग 15 हजार नियतकालीक फिलहाल नियमित रूप से प्रकाशित नहीं किये जा रहे, ऐसी जानकारी अखिल भारतीय मराठी नियतकालीक परिषद को प्राप्त हुई है.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में नियतकालीकों की प्रगल्भ परंपरा है और विविध नियतकालीकों ने महाराष्ट्र के वैचारिक स्तर को उंचा उठाया है. साथ ही घर अथवा कार्यालय में कोई नियतकालीक रहना महाराष्ट्र में वैचारिक प्रगल्भता की निशानी माना जाता है. किंतु कोविड संक्रमण काल की वजह से नियतकालीकों के समक्ष काफी बडा संकट आन पडा है और नियतकालीकों की समृध्द परंपरा को कैसे टिकाये रखा जाये और इससे जुडे हजारों लोगोें के रोजगार का क्या किया जाये, इस सवाल से यह क्षेत्र जूझ रहा है.
कोविड संक्रमण काल के दौरान लगाये गये प्रतिबंधों के चलते प्रकाशन कार्यालय, कागज की दूकान व छपाई खाना आदि बंद रहने की वजह से नियतकालीकों की छपाई का काम रूक गया है. साथ ही बीच में डाक विभाग द्वारा अपने विविध विभाग बंद किये जाने की वजह से अंकों का वितरण नहीं हो पाया. ऐसे में वाचकोें, वर्गणीदारों व विज्ञापन दाताओं का काफी नुकसान हुआ है. साहित्य के साथ ही शैक्षणिक, आरोग्य, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व कॉर्पोरेट जैसे क्षेत्रों के लिए प्रकाशित होनेवाले 15 हजार से अधिक नियतकालीकों पर कोविड संक्रमण का प्रभाव पडा है. ऐसी जानकारी परिषद के महासचिव भालचंद्र कुलकर्णी द्वारा दी गई है.
मराठी नियतकालीकों की परिषद में सहकार सुगंध, ग्राहकहित, व्यापारी मित्र, जडणघडण, अनुभव, विपुलश्री, एकता, मिळून सार्‍याजणी, साधना, माहेर, मेनका, ब्राह्मण व्यवसायिक पत्रिका, तुम्ही आम्ही पालक, हिंदूबोध, ऋतुपर्ण, आम्ही सारे ब्राह्मण, चपराक, दृष्टि लक्ष्य, अर्थपूर्ण, विवेक, उत्तमकथा, प्रसाद, यशस्वी उद्योजक, धातुकाम, मधुमित्र, तारांगण, सांस्कृतिक वार्तापत्र, गारवेल, मुलांचे मासिक, सृष्टि ज्ञान, जीवन शिक्षण, एपीथॉटस् जैसे 200 से अधिक नियतकालीकों का समावेश है.

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