ईंट भट्टी कामगार और बच्चे मूलभूत अधिकारों से दूर
एड. साने और एड. बावनकर ने उठाई आवाज
* बच्चों के लिए सरकार करें शिक्षा और सुविधा
अमरावती/दि.07– ईंट भट्टों पर कार्यरत कामगारों और उनके बच्चों के मूलभूत अधिकारों से वंचित रहने का मुद्दा मेलघाट के कार्यकर्ता एड. बंड्या साने और एड. दशरथ बावनकर ने उठाया है. आज दोपहर यहां पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, बडनेरा में 5 हजार लोगों की आबादी है, जो ईंट भट्टों पर आधारित है. उनके 850 बच्चे है. उन्हें शाला, शिक्षा सुविधा नहीं होने और अन्य सुविधाओं का अभाव होने से उनका जीवन खराब हो रहा है. साने और बावनकर के साथ प्रशांत कसाडेका भी इस समय उपस्थित थे. इन लोगों का कहना रहा कि, ईंट भट्टों पर जो कामगार काम कर रहे हैं वह जनजातीय और वंचित घटक के लोग है. उनमें मेलघाट और सीमांत मध्यप्रदेश के मजदूर वर्ग के हैं.
साने ने अनेक मुद्दे उठाएं. उनके अनुसार इन श्रमिकों के लिए पीने का स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं है. युवा लडकियों के लिए स्नान हेतु सुरक्षित जगह नहीं है. सडक किनारे ये लोग जीवन बसर कर रहे है. छोटी झुग्गीयां बना रखी है. बिजली नहीं है. नियमित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं है. बच्चों को पकाया हुआ भोजन नहीं है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी पौष्टिक आहार नहीं है. छोटे बच्चों के लिए पालनाघर नहीं है. उसी प्रकार वहां खुला मैदान है. जिससे छाया नहीं है. दिनभर धूप में अथवा ईंट भट्टों पर बच्चे खेलते रहते है.
पत्रकार परिषद में इन कार्यकर्ताओं ने ईंट भट्टा के श्रमिको और उनके बच्चों के लिए प्रशासन से उचित सुविधाएं देने की मांग उठाई है. उन्होंने बताया कि, परिसर में लगभग 150 ईंट भट्टे और क्रशर है. मेलघाट के अलावा अचलपुर, दर्यापुर, चोहट्टा बाजार, अकोला जिले के श्रमिक यहां काम कर रहे है. सभी बच्चों की संख्या एक हजार होने का अनुमान जताते हुए साने, बावनकर और कसाडेका ने दावा किया कि, गत सितंबर से और उसके पहले पिछले तीन वर्षों से वें इन लोगों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने शासन और प्रशासन से मांग कर रहे हैं. शासन और प्रशासन उसकी अनदेखी कर रहा है.