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अकोला को औद्योगिक मानचिन्ह पर लाना पहली प्राथमिकता

एमआयडीसी असो. के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मनोज खंडेलवाल का कथन

* दैनिक अमरावती मंडल के साथ बातचीत में अकोला को बताया औद्योगिक संभावनाओं से भरा क्षेत्र
अमरावती/ दि. 10-समूचे विदर्भ में नागपुर के बाद अकोला में सर्वाधिक औद्योगिक संभावनाएं है तथा अकोला के एमआयडीसी विदर्भ में दूसरी सबसे बडी एमआयडीसी अब तक रही है और आगे भी इस एमआयडीसी का और अधिक विस्तार व विकास हो सकता है. जिसे हकीकत में साकार करने के लिए अकोला एमआयडीसी असोसिएशन द्बारा पहली प्राथमिकता के साथ काम किया जायेगा. इस आशय का प्रतिपादन अकोला एमआयडीसी असो. के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मनोज खंडेलवाल द्बारा दैनिक अमरावती मंडल के साथ की गई विशेष बातचीत में किया गया.
अपने निजी दौरे पर अमरावती पहुंचे अकोला एमआयडीसी असो. के अध्यक्ष मनोज खंडेलवाल ने दैनिक अमरावती मंडल के कार्यालय को भी सदिच्छा भेंट दी. इस अवसर पर दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल ने अकोला एमआयडीसी असो. के अध्यक्ष मनोज खंडेलवाल का भावपूर्ण स्वागत करने के साथ ही उनक साथ अकोला सहित विदर्भ क्षेत्र की औद्योगिक संभावना के बारे में बातचीत में जिसमें उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही मनोज खंडेलवाल ने बडे बेबाक तरीके से कहा कि जिस तरह से पश्चिम महाराष्ट्र व मराठवाडा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व राजनेता अपने-अपने क्षेत्र के औद्योगिक विकास हेतु एकजुटता का परिचय देते है. उस तरह की एकजुटता विदर्भ, विशेषकर पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व राजनेताओं ेंमें दिखाई नहीं देती. इस मामले में कुछ हद तक नागपुर को सौभाग्यशाली कहा जा सकता है. वहीं विदर्भ क्षेत्र के शेष जिलों में औद्योगिक पिछडेपन के लिए पूरी तरह से राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में जिम्मेदार कहा जा सकता है. जिससे अकोला भी अछूता नहीं.
इस बातचीत के दौरान अकोला एमआयडीसी असो. के अध्यक्ष मनोज खंडेलवाल ने कहा कि अकोला के एमआयडीसी पूरी तरह से कृषि आधारित उद्योग पर निर्भर है. जहां कुल 550 औद्योगिक युनिटे जिसमें से 250 के आसपास को दाल मिलें ही है. इसके अलावा अन्य औद्योगिक यूनिट में एग्रो मशीनरी, पेस्टीसाइट, फार्मास्युटिकल व टाइल्स के कारखानों का समावेश है. वहीं इससे पहले अकोला में कई ऑइल मिल भी हुआ करती थी. परंतु सरकारी अनदेखी व प्रशासनिक अनास्था के चलते ऑइल मिलों की संख्या घटती चली गई. लेकिन फिलहाल तक राहत वाली बात यह है कि अकोला एमआयडीसी में कोई सिक यूनिट यानी बीमारू उद्योग नहीं है और एमआयडीसी क्षेत्र में आवंटित प्रत्येक भूखंड पर कोई न कोई उद्योग चल रहा है. यह उद्योग जगत के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण बात है. जिसके चलते सरकार ने अकोला के औद्योगिक क्षेत्र की ओर गंभीरतापूर्वक ध्यान देना चाहिए.
* अकोला से नियमित हवाई उडाने शुरू होना बेहद जरूरी
एमआयडीसी अध्यक्ष के तौर पर अपनी प्राथमिकता और भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए मनोज खंडेलवाल ने बताया कि अकोला में औद्योगिक क्षेत्र के विकास व विस्तार के लिहाज जितनी भी कमियां है. उन्हें दूर करने के बारे में विशेष तौर पर ध्यान दिया जायेगा. सबसे अव्वल तो अकोला में विमानतल व नियमित हवाई सेवा की सुविधा नहीं है. जिसकी वजह से कई बडे उद्योजक यहां आने से बचते है. जबकि अकोला के पास रेलमार्ग और सडक मार्ग के जरिए देश के पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण क्षेत्रों की सीधी कनेक्टिविटी है. साथ ही यहां से सीधे मुंबई व कोलकाता के बंदरगाहों तक माल भेजा जा सकता है और वहां से माल बुलाया भी जा सकता है. ऐसे में अकोला आयात और निर्यात का भी एक बडा हब बन सकता है. ऐसे में एमआयडीसी असो. द्बारा अकोला में विमानतल का विस्तार व विकास करवाने के साथ ही अकोला से नियमित हवाई उडाने शुरू करवाने हेतु तमाम आवश्यक प्रयास किए जायेंगे.
* एमआयडीसी का प्रादेशिक कार्यालय हो अकोला में
इसके साथ ही अकोला एमआयडीसी असो. के अध्यक्ष मनोज खंडेलवाल का यह भी कहना रहा कि एमआयडीसी का प्रादेशिक कार्यालय अमरावती में है. जिससे अकोला सहित बुलढाणा एवं वाशिम जिलों के उद्योजकों को छोटे- छोटे कामों के लिए सीधे अमरावती ही आना पडता है. जिसमें काफी पैसा, समय व श्रम व्यर्थ होता है. ऐसे में एमआयडीसी का प्रादेशिक कार्यालय अकोला में भी खोला जाना चाहिए. ताकि अकोला सहित बुलढाणा और वाशिम जिलों के उद्योजकों को छोटी- छोटी बातों के लिए अमरावती के चक्कर न काटने पडे. खंडेलवाल के मुताबिक पूरे महाराष्ट्र में एमआयडीसी के 24 रिजनल ऑफीस है. इसमें से विदर्भ क्षेत्र में केवल अमरावती व नागपुर में ही दो रिजनल ऑफीस दिये गये है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि एमआयडीसी के प्रादेशिक कार्यालयों का विकेन्द्रीकरण किया जाए और अकोला, वाशिम व बुलढाणा क्षेत्र के लिए अकोला में एमआयडीसी का स्वतंत्र प्रादेशिक कार्यालय दिया जाए.
* अप्परवर्धा का पानी उपलब्ध हो अकोला के लिए
अकोला के औद्योगिक पिछडेपन के लिए पानी की किल्लत को जिम्मेदार बताते हुए मनोज खंडेलवाल ने कहा कि अमरावती की तरह अकोला के पास प्रचुर मात्रा में पानी के स्त्रोत उपलब्ध नहीं है और कई उद्योग ऐसे है जो बिना पानी के चल ही नहीं सकते. ऐसे में अकोला के औद्योगिक विकास हेतु अकोला में पानी उपलब्ध कराया जाना बेहद जरूरी है. जिस हेतु अमरावती के अप्परवर्धा बांध से अकोला को पानी उपलब्ध कराया जा सकता है. अमरावती से दर्यापुर की दूरी मात्र 50 किमी है. जहां से महज 35-40 किमी की दूरी पर अकोला एमआयाडीसी स्थित है. ऐसे में भूमिगत पाइप लाइन के जरिए अप्परवर्धा बांध से बडी आसानी के साथ अकोला एमआयडीसी को ही पानी उपलब्ध कराया जा सकता है. ताकि अकोला का भी सही तरीके से औद्योगिक विकास हो.
* छोटे शहरों के औद्योगिक विकास हेतु इको सिस्टीम डेवलप करना जरूरी
इस बातचीत में अकोला एमआयडीसी असो. के अध्यक्ष मनोज खंडेलवाल ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में मुंबई, पुणे, नाशिक व नागपुर जैसे बडे महानगरों में अब औद्योगिक विकास का एक तरह से सैच्युरेशन हो गया है. जिसके चलते अब छोटे शहरों के औद्योगिक विकास पर ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है. इसके लिए सरकार को विशेष पैकेज घोषित करने के साथ ही अलग तरह का इको सिस्टीम भी डेवलप करना होगा. ताकि औद्योगिक विकास होने के साथ ही किसानों को उनकी उपज के लिए स्थानीय बाजारों में ही उचित दाम मिले. साथ ही युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर भरपूर प्रमाण में रोजगार उपलब्ध हो.
* एग्रीकल्चर इक्वीपमेंट बनाते हैं मनोज खंडेलवाल
इस बातचीत के दौरान अपनी व्यक्तिगत जानकारियो को दैनिक अमरावती मंडल के साथ सांझा करते हुए मनोज खंडेलवाल ने बताया कि उनका परिवार मूलत: अकोला का ही निवासी है तथा उनके पिता मोहनलालजी खंडेलवाल पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर के तौर पर काम किया करते थे. मनोज खंडेलवाल अपने पिता की तीन संतानों में सबसे बडे है और अकोला एमआयडीसी में श्रीराम असोसिएट नामक कारखाना चलाते है. जहां पर एग्रीकल्चर इक्वीपमेंट मैन्युफैक्चरिंग का काम चलता है. उनके कारखाने में विशेष तौर पर मिनी दाल मिल मशीन का निर्माण किया जाता है. जिसे समूचे विदर्भ क्षेत्र के दाल मिल कारखाना संचालकों द्बारा अच्छा खासा पसंद किया जाता है. इसके अलावा मनोज खंडेलवाल के दो छोटे भाई मुकेश व सतीश खंडेलवाल मैरिज लॉन व शेयर मार्केट का काम देखते हैं. इसके साथ ही मनोज खंडेलवाल के दो बेटे है. जिसमें से आदित्य खंडेलवाल ने आयआयटी दिल्ली से पढाई पूरी की है और वह फिलहाल मुंबई में रहकर काम कर रहा है. वहीं छोटे बेटे कनिष्ठ खंडेलवाल ने आयआयटी पवई से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के साथ ही फ्रांस से एमबीए की पढाई पूरी की है और वह इस समय दोहा (कतर) में रहकर बीसीजी कंपनी के साथ काम कर रहा है.

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