अमरावती

भीमटेकडी पर बुद्ध मूर्ति का अनावरण

थाइलैंड के भिक्खू संघ ने दी धम्मदेसना

अमरावती/दि.6- तथागत भगवान गौतम बुद्ध के चेहरे पर हमेशा स्मित हास्य रहता था. थाइलैंड में बुद्ध और उनके धम्म का सभी तरफ प्रचार-प्रसार होने से वहां के आम नागरिक रहे अथवा भिक्खू उनके चेहरे पर हमेशा हंसी रहती है. भारत में भी बुद्ध और धम्म का प्रचार-प्रसार होकर भारत बुद्धमय हुआ तो भारतीयों के चेेहरे पर हमेशा स्मित हास्य दिखेगा, ऐसा प्रतिपादन भंदत तेप्परियातिसुधी ने किया.
थाइलैंड के वॉईटीप व्दारा भेंट दिए 10 फूट उंचाई की मूर्ति का बौद्ध धम्म प्रचार समिति की तरफ से भीम टेकडी पर गुरुवार की शाम अनावरण किया गया. इस समारोह में प्रमुख अतिथि के रुप में वे बोल रहे थे. स्वागताध्यक्ष के रुप में प्रकाश रविराव, विशेष अतिथि के रुप में कलाकार गगन मलिक तथा थाइलैंड के भिक्खू संघ के भदंत तेप्परियातिसुधी, भदंत सॉगसककोविदी, भदंत महसुतीचाई, भदंत तनपीन, भदंत सत्यानंद महाथैरो, भदंत बुद्धघोष महाथैरो, भदंत कंथाराथारा, भदंत महाछतवाल, भदंत थानबुन, भदंत अधिराम कुमार, भदंत आनंद थैरो, भदंत चंद्रमणी थैरो उपस्थित थे.
भदंत तेप्परियातिसुधी ने कहा कि, थाइलैंड की मूर्ति को भीमटेकडी के भव्य-दिव्य विहार में स्थापित किया गया. इस विहार को देख वह चकित है. भारत में बुद्ध और धम्म का प्रचार करने के लिए थाइलैंड सरकार अथवा भिक्खू संघ आवश्यकता पडने पर सहातयता करेगा. इसके पूर्व विदेशी भिक्खू संघ का कार्यक्रम स्थल पर आगमन होते ही पुष्पवर्षा के साथ उनका स्वागत किया गया. भीमटेकडी व संपूर्ण परिसर रोशनाई से चकाचौंध था. बौद्ध धम्म प्रचार समिति के अध्यक्ष घनश्याम आकोडे ने प्रास्ताविक में इस विहार की स्थापना कैसे और कब की गई. इस संदर्भ में संपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने कहा कि, 5 एकड में विहार का परिसर है. वर्ष 1966 में ट्रस्ट की स्थापना हुई. पश्चात विहार के नाम से जगह रजिस्टर की गई. कुछ वर्ष तक यह जगह वैसी पडी थी. ट्रस्ट ने चंदा कर विहार का निर्माण किया. ट्रस्ट के अनुरोध पर मनपा ने भीमटेकडी के लिए स्तंत्रत शीर्ष निर्माण किया. लेकिन मनपा की आर्थिक स्थिति कमजोर रहने से निधि ही नहीं मिल पा रही थी. तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पास पत्र व्यवहार किया गया. उन्होंने केंद्रीय टूरिजम विभाग की तरफ से 2 करोड 63 लाख रुपए की निधि उपलब्ध कर दी गई और वर्ष 2006 में विहार के निर्माण की शुरुआत हुई ऐसा उन्होंने कहा. कार्यक्रम का संचालन आनंद तायडे ने तथा आभार प्रदर्शन प्रवीण आकोडे ने किया. कार्यक्रम के सफलतार्थ बौद्ध धम्म प्रचार समिति के भारत सहारे, आनंद तायडे, प्रसन्न गायकवाड, प्रा. बनसोड, प्रा. भगवान गोसावी, जवंजाल गुरुजी, किशोर तायडे, पी.टी. खडसे, उत्तमराव शिंगणापुरे, गोपाल इंगले, पांडूरंग जामनीक, सुमित्रा भोगे आदि ने सहयोग किया.
* आयडीयल स्कूल का निर्माण करें
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के संदेश को ध्यान में रख वर्तमान में काम करने की आवश्यकता है. जिस स्थल पर विहार है वहां स्टडी सेंटर और आयडीयल शाला का निर्माण करें. इस शाला में बुद्ध और उनके धम्म संदर्भ में शिक्षा दें, आवश्यकता पडने पर थाइलैंड से निधि की व्यवस्था करने का आश्वासन फिल्म अभिनेता गगन मलिक ने दिया.
* प्रसार के लिए युवापीढी को सामने आने की आवश्यकता- प्रकाश रविराव
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने सभी के हाथ में पेन, बुक और स्वाभिमान दिलवाया. लेकिन इसका इस्तेमाल हम कैसे करते है, यह विचार करने जैसा है. बाबासाहब ने 22 प्रतिज्ञा ली. इसमें से किस प्रतिज्ञा का पालन हम करते है इसका विचार करें. बुद्ध और उनके धम्म का अब तक प्रचार-प्रसार हुआ होगा, लेकिन आनेवाली पीढी को घर-घर और प्रत्येक विहार में व समाज के अंतिम घटक तक यह विचार पहुंंचाने के लिए सामने आना चाहिए, ऐसा आवाहन स्वागताध्यक्ष प्रकाश रविराव ने किया.
* मैं बाबासाहब के कारण ही आगे बढी-उपजिलाधिकारी निशा बांगरे
बाबासाहब ने जो अधिकार दिए उस अधिकार का यदि उचित समय पर उचित तरीके से इस्तेमाल किया तो, निश्चित सफलता मिलती है. बाबासाहब ने जितने घंटे अभ्यास किया उतने घंटे मैं अभ्यास नहीं कर पाई लेकिन उनके नक्शेकदम पर पढाई की. इसी कारण उच्च पद पर पहुंची. मैं मेरे जीवन में जो कुछ हूं वह बाबासाहब के कारण ही हैं. इस कारण उन्होंने दी प्रतिज्ञा और उनका प्रचार-प्रसार करने में कोई कमी नहीं आएगी, ऐसा ही विचार कर विद्यार्थियों ने शिक्षा के साथ बाबासाहब के विचार पर चलने का आवाहन मध्य प्रदेश की उपजिलाधिकारी निशा बांगरे ने किया.

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