अमरावती

हलबा-हलबी समाज सर्वांगिण विकास के लिए राजनीतिक क्षेत्र में स्थान निर्माण करें

समाज के अधिवेशन में डॉ.किरसान ने किया आह्वान

अमरावती / दि.१३– आदिवासी हलबा-हलबी समाज ने एकजुटता कैसे होती है, यह सभी को दिखाना चाहिए. समाज का संगठन अंतिम तबके तक पहुंचाए. समाज को राजनीतिक क्षेत्र में जरूरत के मुताबिक प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से समाजबंध्ाुओं ने अब राजनीतिक क्षेत्र में भी अपनी पहचान निर्माण करने का आह्वान हलबा-हलबी समाज संगठन के अध्यक्ष डॉ.एन.डी किरसान ने किया. आदिवासी हलबा-हलबी समाज संगठन व आदिवासी हलबा-हलबी समाज कर्मचारी महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में अखिल भारतीय आदिवासी हलबा-हलबी समाज का अधिवेशन रविवार १२ फरवरी को संगीतसूर्य केशवराव भोसले सभागृह, विएमवि महाविद्यालय में आयोजित किया गया था. अधिवेशन की अध्यक्षता आदिवासी हलबा-हलबी समाज संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ.एन.डी.किरसान ने की. इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रूप में आदिवासी विभाग की उपायुक्त जागृती कुमरे, डॉ.मनिष वाडीवे, आदिवासी हलबा-हलबी समाज कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष फरेंद्र कुतिरकर, आदिवासी हलबा-हलबी समाज संगठन के मध्यप्रदेश अध्यक्ष महेंद्र काठेवार, बी.के.गावराणे, सुरेश नाईक, एस.पी.मानकर, अजय कोठेवार, यशवंत मलये, तुकाराम मारगाये, माधव गावंड, हिरालाल भोईकर, रामेश्वर युवनाते, बी.टी.राऊत, आर.एम.कोजबे, हेमराज राऊत, पद्माकर मानकर, मनोहर घरत, हेमंत भंडारी, अजय कोठेवार, कुवरलाल मानकर, शारदा कुरसुंगे सहित अनेक मान्यवर मंच पर विराजमान थे. डॉ.किरसान ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि, आदिवासी समाज के सर्वांगिण विकास, आर्थिक, शैक्षणिक, औद्योगिक, सामाजिक प्रगति हो, इसके लिए जनजागृति करना समय की जरूरत है. अनुसूचित जनजाति के बोगस प्रमाणपत्र के आधार पर गैर अनुसूचित जनजाति के लोग आदिवासियों को उनके अधिकार और सरकारी नौकरी से वंचित रख रहे है. आदिवासी हलबा-हलबी समाज विकास से दूर रहा है. इसलिए समाज के सर्वांगिण विकास के लिए समाजबंध्ाुओं ने आवाज बुलंद करने का आह्वान डॉ.किरसान ने किया. अधिवेशन की शुरुआत बिरसा मुंडा, शहीद गोदसिंग नाईक, राजश्री शाहू महाराज, डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर, मां दंतेश्वरी के प्रतिमा पूजन से की गई. आदिवासी हलबा-हलबी समाज संगठन विभागीय शाखा के रजत महोत्सव वर्ष निमित्त कैलेंडर का विमोचन किया गया. पश्चात विविध क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करनेवाले समाजबंध्ाुओं का सत्कार किया गया. प्रस्तावना मनोहर घरत ने रखी. संचालन शुभांगी तडस तथा आभार प्रदर्शन प्राची पुराम ने किया. अधिवेशन को सफल बनाने के लिए सुनील राऊत, चंदा चौधरी, अनिल वाडी, उमेश चौधरी, गणेश प्रधान, सखाराम कोरोटे, विनायक राऊत, विष्णू थोरात, सुभाष भोयर, दीपक करचाल, मारूती प्रधान, प्रफुल्ल गावंड, शंकर मोहमारे, प्रमोद मलये, द्वारकाप्रसाद राऊत, गिरजा भोंगारे, सुनील राऊत, शरद घासले, ओमकार वाडघरे, नंदू भोयरझ, रूपराव घासले, राजू सुरगाले, दीपक ताराम, श्रीकांत किरसान, ओमप्रकाश सुर्वे, जनार्दन चनाप, नंदकिशोर भोयर, माणिक नाईक, मोरेश्वर भोयर, अनिल परसगाये, माधव राऊत सहित संगठन के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं ने सहयोग दिया

हलबी भाषा का साहित्य हर घर तक पहुंचाए
हलबा हलबी समाज की पहचान उनकी भाषा से होती है. अपनी भाषा संस्कृति का जतन करने का अधिकार भारतीय संविधान ने दिया है.संस्कृति टिकाकर रखने के लिए हलबी भाषा के साहित्य को घर-घर तक पहुंचाएं, तब जाकर हलबी भाषा का तथा संस्कृति का जतन होगा.
-सुरेश नाईक

समाजबंध्ाुओं का मिला सहयोग
संगठन बीते २५ वर्षों से कार्यरत है.अधिवेशन के लिए लगने वाली निधि समाजबंध्ाुओं द्वारा प्राप्त हुआ. समाज के विकास के लिए समाजबंध्ाुओं द्वारा इकट्ठा की निधि से ही अधिवेशन आयोजित किया गया.
-हेमराज राऊत, विभागीय अध्यक्ष
हलबा-हलबी समाज संगठन

सफलता निश्चित मिलती है
सरकारी नौकरी की दिशा स्पर्धा परीक्षा से मिलती है. इसलिए नौकरी संदर्भ में मार्गदर्शन सही समयपर मिलना आवश्यक है. केवल प्राविण्य प्राप्त छात्र ही स्पर्धा परीक्षा उत्तीर्ण करते है, यह गलत धारणा दूर करें. स्पर्धा परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए मेरिट की आवश्यकता नहीं. यह मानसिकता पर निर्भर है. कठिन परिश्रम करने पर सफलता निश्चित मिलती है.
– डॉ.मनिष वाडिवे

संगठित होने की आवश्यता
डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर ने बताए मुताबिक आदिवासी हलबा-हलबी समाज ने बच्चों को शिक्षित कर संगठित करें. समाज में शालाबाह्य बच्चे ना रहे इस बात का ध्यान रखे. अनुसूचित जनजाति के लिए सरकार की विविध योजना है. इसका लाभ लेकर अपने तथा अपने समाज का विकास करें. समाज ने संगठित होकर समाज की समस्या हल करने पर समाजबंध्ाुओं का विकास होगा.
-जागृती कुमरे, उपायुक्त
आदिवासी विभाग

वाचन संस्कृति निर्माण करें
हलबी समाज को केकडे की उपमा की दी जाती है. क्योंकि केकडा एकदूसरे को जोडे रखता है. उसी तरह हलबा-हलबी समाज एकजुट है और हमेशा एकजुट रहेगा. संख्या में कम रहने पर भी समाज के विकास के लिए विधायक, सांसद, जिप सदस्य, पंस सदस्य निर्वाचित होना आवश्यक है.दुनिया को कृषि काम सिखाने वाला हलबा समाज है. समाज ने अब वाचन संस्कृति निर्माण करना चाहिए.

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