आग तापने के लिए टायर जलाने से बिगडेगा स्वास्थ्य
टायर के धुएं से श्वसन संबंधित बीमारी होने का खतरा
* पर्यावरण को भी होता है नुकसान, प्रदूषण का बढता है स्तर
अमरावती /दि.27– जिले में विगत एक सप्ताह के दौरान मौसम काफी उतार-चढाव वाला रहा. इस दौरान अच्छी खासी ठंड पडने के चलते जगह-जगह पर अलाव जलते भी दिखाई दिये. जिसके तहत कई लोगों ने अलाव जलने हेतु लकडी नहीं मिलने पर वाहनों के पूराने व फटे हुए टायरों को जलाकर आग तापने का काम करना शुरु किया, लेकिन टायर का प्रयोग करते हुए अलाव जलाने वाले का प्रकार अपने आप में काफी गंभीर है और उससे निकलने वाले खतरनाक धुएं की वजह से श्वसन संबंधी बीमारियां भी हो सकती है. साथ ही साथ प्रदूषण का स्तर बढकर पर्यावरण को भी खतरा पहुंच सकता है.
इस संदर्भ में स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक टायर को जलाने पर उससे सल्फर डॉयऑक्साइड, नॉयट्रोजन ऑक्साइड, कॉर्बन मोनोऑक्साइड व अस्थिर सेंद्रीय संयुग जैसे प्रदूषण वाले घटक धुएं के तौर पर बाहर निकलते है, जो स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिहाज से काफी घातक होते है और जले हुए टायर से निकलने वाले धातू, पॉलिसाइक्लिक अॅरोमैटिक हायड्रोकार्बन्स, डॉयऑक्सिन्स व फ्लुरायन्स सहित अन्य अवशेष भी इंसानी स्वास्थ्य पर बेहद विपरीत परिणाम करते है.
* अलाव मेें इनका न करे प्रयोग
– टायर
टायर के जलने पर उसमें से सल्फर डॉयऑक्साइड, नॉयट्रोजन ऑक्साइड, कॉर्बन मोनोऑक्साइड जैसे घातक प्रदूषक निकलते है. जिनकी वजह से श्वसन संबंधित बीमारियां होने का बडे पैमाने पर खतरा होता है.
– प्लास्टिक
प्लास्टिक का कचरा जलाना भी काफी खतरनाक होता है. इसके जरिए निकलने वाले घातक धुए से श्वसन संबंधित बीमारियां होने का खतरा होता है.
– कपडे
सुती एवं पॉलिस्टर कपडों को जलाने पर उनसे भी बेहद घातक धुआ निकलता है, जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक रहने के साथ ही पर्यावरण का संतुलन बिगाडने का काम करता है.
* मिट्टी व पानी होते है प्रदूषित
टायर चलाने के चलते निकलने वाली राख में कई विषैले घटक हो सकते है, जो आसपास की मिट्टी व जलस्त्रोत को प्रदूषित भी कर सकते है. ऐसे में पर्यावरण पर विपरित परिणाम होते है और अन्न श्रृंखला व पेयजल के स्त्रोतों के जरिए मानवी स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो सकता है.