धंधा है, पर गंदा है, क्योंकि पानी ठंडा है
बढती गर्मी में 15 रूपये की पानी बोतल बिक रही 20 रूपये में
अमरावती/दि.10– गर्मी का मौसम शुरू होते ही हर कोई दो घुट ठंडा पानी पीकर अपनी प्यास बुझाना चाहता है. इस बात के मद्देनजर अब बाजार में विभिन्न कंपनियों द्वारा बोतलबंद पानी को बिक्री हेतु बाजार में उपलब्ध करा दिया गया है. जिसे विक्रेताओं द्वारा ठंडा करके बेचा जाता है. किंतु 15 रूपये का अधिकतम खुदरा मूल्य यानी एमआरपी रहनेवाली ठंडे पानी की बोतलों को 20 रूपये की दरों पर बेचा जाता है और कुलिंग चार्जेस के नाम पर पांच रूपये अतिरिक्त लिये जाते है. इसमें भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि, बोतल में बंद पानी वाकई गुणवत्तापूर्ण होगा ही. साथ ही पानी की गुणवत्ता पर किसी की नजर या कोई नियंत्रण भी नहीं रहता.
बता दें कि, इन दिनों गर्मी लगातार बढ रही है. ऐसे में अपने कामकाज के लिए घर से बाहर निकलनेवाले लोगबाग कुछ ही देर में प्यास के मारे बेहाल हो जाते है और धूप में घुमते समय गला भी सूखने लगता है. ऐसे में गली तर करने और गर्मी से निजात पाने हेतु लोगबाग ठंडा बोतलबंद पानी खरीदते है, क्योंकि इन दिनों सभी चौक-चौराहों पर लगनेवाली पानपोई का प्रमाण काफी घट गया है और आधुनिकता के दौर में हर चीज बिकाउ हो गई है. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर बोतलबंद पानी की मांग बढ गई है और कई कंपनियों द्वारा मिनरल वॉटर व ड्रिकिंग वॉटर के नाम पर बोतलबंद पानी बिक्री हेतु उपलब्ध कराया जाता है. किंतु गर्मी के मौसम दौरान 15 रूपये की एमआरपी रहनेवाली बोतल इन दिनों 20 रूपये की दर पर बिक रही है और विक्रेताओं द्वारा बोतलबंद पानी को ठंडा करने के लिए होनेवाले खर्च की ऐवज में कुलिंग चार्जेस के नाम पर 5 रूपये अतिरिक्त लिये जा रहे है.
* कैसे देखे बोतलबंद पानी की गुणवत्ता
अन्न सुरक्षा व मानदे अधिनियम के अनुसार दी गई अनुमति का क्रमांक पानी की बोतल पर दर्ज रहता है. बोतल पर लगाये गये लेबल पर उस बोतल का बैच नंबर दिया रहता है. साथ ही बोतल में बंद पानी कितने दिनों तक पीने योग्य है, इसकी जानकारी भी बोतल के लेबल पर दर्ज रहती है. इन बातों को बोतलबंद पानी खरीदते समय देखा और जांचा जाना चाहिए.
* प्रति तीन माह में पानी के सैम्पल जांचना जरूरी
अन्न व औषध प्रशासन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक प्रत्येक तीन माह में बोतलबंद पानी के सैम्पलों को जांचा जाता है और यदि लगातार दो बार सैम्पलों में खराबी आ गई, तो संबंधित कंपनी व विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
* शहर में केवल पांच उत्पादकों को अनुमति
बोतलबंद पानी का उत्पादन करने हेतु ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैण्डर्ड की मान्यता लेना आवश्यक होता है. साथ ही इस व्यवसाय के लिए अन्न व औषधी प्रशासन से भी लाईसेन्स लेना होता है. शहर में यह मान्यता व अनुमति रहनेवाले केवल पांच ही व्यवसायी है. जबकि हकीकत में इस व्यवसाय में इससे कहीं अधिक लोगोें के कार्यरत रहने का अंदेशा है. जिनके जरिये अप्रमाणित पानी की आपूर्ति की जा सकती है. ऐसे में जहां एक ओर अन्न व औषधी प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान दिये जाने की सख्त जरूरत है, वहीं दूसरी ओर नागरिकों ने भी बोतलबंद पानी खरीदते समय सजग व सतर्क रहना चाहिए.
* जांच के लिए मनुष्यबल ही नहीं
बोतलबंद पानी के संदर्भ में किसी भी तरह की शिकायत आने पर उसकी अन्न व औषधी प्रशासन द्वारा जांच की जाती है. ऐसा अन्न व औषधी प्रशासन विभाग द्वारा दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत में विभाग के पास आवश्यक मनुष्यबल की कमी रहने के चलते बिना लाईसेन्स बोतलबंद पानी का उत्पादन व विक्री करनेवालों तथा शादी-ब्याह जैसे समारोहों में ठंडे पानी के जार उपलब्ध करवानेवालोें के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाती.
* विक्रेताओं पर दाम का कोई बंधन नहीं
बोतलबंद पानी की बिक्री कितने रूपये में हो, इस पर किसी भी सरकारी महकमे का कोई नियंत्रण नहीं है. जिसके चलते शहर में मनमानी पध्दति से बोतलबंद पानी की बिक्री हो रही है. हालांकि यह ‘पैकेज्ड प्रॉडक्ट’ रहने के चलते इस पर एमआरपी अंकित रहती है. किंतु इसका किसी के द्वारा भी पालन नहीं होता और विक्रेताओं द्वारा मौसम व मांग को ध्यान में रखते हुए अपने मन से ही बोतलबंद पानी के दाम वसूले जाते है.
शहर में बोतलबंद पानी का व्यवसाय करनेवाले कुल पांच प्लांट है. जिनके द्वारा विक्री हेतु उपलब्ध कराये जानेवाले पानी के सैम्पल प्रत्येक तीन माह में लिये जाते है. साथ ही किसी भी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ में किसी तरह की मिलावट रहने के संदर्भ में ग्राहकों से कोई भी शिकायत मिलने पर भी संबंधित पदार्थ के सैम्पल लेकर आवश्यक कार्रवाई की जाती है.
– शरद कोलते
सहायक आयुक्त, अन्न व औषधी प्रशासन, अमरावती.