अमरावती

कोरोना से कोचिंग का करोडों रूपयों का व्यवसाय बर्बाद

प्रत्यक्ष पढाई-लिखाई का काम बंद रहने के चलते कोचिंग सेंटर संचालकों व शिक्षकों के पास कोई काम नहीं

अमरावती प्रतिनिधि/दि.3 – इन दिनों कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जहां एक ओर सभी तरह के स्कुल व कालेज बंद है, वहीं दूसरी ओर सरकार एवं प्रशासन द्वारा निजी कोचिंग व ट्युुशन क्लासेस को भी अपना कामकाज शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई है. ऐसे में इस समय यद्यपि ऑनलाईन शिक्षा चल रही है, लेकिन इसका कोई खास फायदा होता दिखाई नहीं दे रहा, बल्कि कोरोना काल की वजह से कोचिंग क्लासेस का लाखों-करोडों रूपयों का व्यवसाय लगभग पूरी तरह से ठप्प पडा है, या यूं कहें कि, बर्बाद ही हो गया है. ऐसे में कोचिंग क्लासेस से जुडे रहनेवाले संचालक एवं शिक्षक पूरी तरह से खाली हाथ बैठे हुए है और जिन छोटे-मोटे कोचिंग क्लासेस के पास ऑनलाईन शिक्षा केे कोई साधन उपलब्ध नहीं है, वे तो इस समय पायी-पायी के लिए मोहताज कहे जा सकते है.
बता देें कि, इन दिनों शालाओं व महाविद्यालयों में होनेवाली पढाई-लिखाई के साथ-साथ कोचिंग क्लासेस व निजी ट्युशन में होनेवाली पढाई का भी अपना महत्व है और शहर में कई निजी ट्युशन व कोचिंग क्लासेस खुल गये है. जिनमें बडे पैमाने पर विद्यार्थी जेईई व एनईईटी सहित अन्य परीक्षाओं की तैयारियों के लिए आते है. किंतु विगत मार्च माह से लगे लॉकडाउन की वजह से कोचिंग व ट्युशन क्लासेस का व्यवसाय पूरी तरह से ठप्प पडा है. इस समय यद्यपि ऑनलाईन क्लासेस चल रही है. लेकिन उसे उतना प्रतिसाद नहीं मिल रहा है. ऐसी जानकारी कई कोचिंग क्लासेस संचालकों द्वारा दी गई है.
यहां इस तथ्य को भी याद रखा जा सकता है कि, कोचिंग क्लासेस में प्रत्यक्ष पढाई-लिखाई का कामकाज बंद रहने की वजह से कई मेस व होस्टेल संचालकों का व्यवसाय भी ठप्प पडा हुआ है. ऐसे में कोरोना के चलते कोचिंग व ट्युशन क्लासेस संचालकोें के साथ-साथ ये लोग भी खाली हाथ बैठे हुए है, और सरकार की ओर से पहले की तरह प्रत्यक्ष कक्षाओं में पढाई-लिखाई का काम शुरू होने की प्रतिक्षा कर रहे है.
यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, कई कोचिंग क्लासेस संचालकोें ने शहर के प्रमुख स्थानों पर स्थित व्यवसायिक संकुलों में किराये की जगह लेकर सर्वसुविधायुक्त अत्याधूनिक कोचिंग क्लासेस शुरू की है. किंतु इस समय चूंकि किसी भी कोचिंग क्लासेस में प्रत्यक्ष पढाई-लिखाई का कोई कामकाज नहीं चल रहा और ऑनलाईन शिक्षा को भी कोई विशेष प्रतिसाद नहीं मिल रहा. ऐसे में इन कोचिंग क्लासेस संचालकों के सामने अपनी जगह के किराये और स्टाफ का पेमेंट जारी रखने की सबसे बडी दिक्कत देखी जा रही है. वहीं कक्षा 8 वीं से 10 वीं की ट्युशन व कोचिंग लेनेवाले कई ट्युटर्स अब अपने लिये किसी अन्य कामकाज की तलाश कर रहे है.

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