अमरावती

‘विदर्भ का कैलीफोर्निया’ केवल घोषणाओं से ही सूखा !

संतरा प्रकल्प का केवल ढिंढोरा ही

अमरावती / दि. 5– बचपन में एक बात सुनी थी. ‘लोमडी आई रे आई…’ विदर्भ के संतरा प्रकल्प का भी कुछ इसी तरह हो रहा है. जिले के वरूड और मोर्शी के स्वादिष्ट संतरे की तहसील यानी ‘विदर्भ का कैलीफोर्निया’ है. इस शहर में संतरा प्रक्रिया प्रकल्प की घोषणा इतनी बार हुई है कि इसमे कोई नयापन नहीं रहा है. 1960 से विदर्भ के नागरिको को ऐसे आश्वासनों की आदत सी हो गई है. इस श्रृंखला में नाम दर्ज करने की अभिलाषा तत्कालीन महाविकास आघाडी के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को भी रही. तत्कालीन अधिवेशन में प्रस्तुत किए वित्तीय बजट में वरूड और मोर्शी में संतरा प्रक्रिया प्रकल्प नये दौर पर घोषित किए जैसा किया, लेकिन पैसा ? यह कौन देगा ? इस बाबत पूछताछ न करें. 70 साल में संतरे की मिट्टी हो गई. संतरा उत्पादक किसान हलाकान हो गए और विदर्भ का कैलिफोर्निया सूखने लगा.
24 दिसंबर 2017 में वरूड तहसील के गव्हाणकुंड में केंद्रीय सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर के मिहान में 5 हजार करोड का संतरा ज्यूस प्रकल्प रामदेव बाबाजी पतंजली संस्था की तरफ से निर्मित किए जाने की घोषणा की. पतंजलि को मिहान में जमीन दी गई. लेकिन अभी तक प्रकल्प का नाम नहीं है. ‘कोका-कोला’ का वरूड में होने की घोषणा हुई. वह अब मोर्शी तहसील के हिवरखेड में होगा, ऐसा कहा जा रहा है. लेकिन वर्क ऑन प्रोग्रेस हैं.

पहला प्रकल्प 1957 में शेंदूरजनाघाट में अमरावती फ्रुट ग्रोवर इंडस्ट्रीयल को-ऑफ सोसायटी लिमिटेड नामक संतरा ज्यूस निकालनेवाली पहली फैक्टरी स्थापित हुई. 27 नवंबर 1960 को राज्य के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण के हाथों प्रक्रिया केंद्र का उद्घाटन हुआ. इस प्रकल्प से देश के बैंगलूरू, चैन्नई, कोलकाता, मुंबई, कानपुर, अमृतसर आदि शहरों में संतरा ज्यूस पहुंचा. 1958 से 1963 ऐसे 6 वर्ष यह फैक्टरी चलने के बाद जिला मध्यवर्ती बैंक के कर्ज पर शुरू हुआ यह प्रकल्प राजनीतिक सहयोग न मिलने से बंद पड गया.

* दूसरा प्रकल्प 1992 में
संतरे पर प्रक्रिया करनेवाला ‘सोपेक’ नाम का सहकारी संतरा प्रक्रिया प्रकल्प वरूड के पास रोशनखेडा में प्रारंभ हुआ. लेकिन आर्थिक समस्या के कारण वह भी जल्द बंद पड गया.

* तीसरा प्रकल्प
1995 में तत्कालीन कृषिमंत्री हर्षवर्धन देशमुख ने नोगा शासकीय संतरा प्रकल्प मंजूर करवाया. वह मोर्शी तहसील के मायवाडी एमआयडीसी में निर्मित भी किया गया. जर्मन मेड मशनरी भी पहुंची. शानदार उद्घाटन भी हुआ. लेकिन एक भी संतरे का ज्यूस न निकालते हुए वह बंद हो गया.

* वर्ष 2014 में हुई फडणवीस की घोषणा भी फेल
वर्ष 2014 में भाजपा- शिवसेना गठबंधन सरकार आई. डॉ.अनिल बोंडे भाजपा से निर्वाचित हुए. उन्होंने राष्ट्रीय कृषि व संतरा परिषद 1 से 4 अक्तूबर 2015 के दौरान वरूड के उपज मंडी परिसर में ली. तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उद्घाटक थे. उस समय वरूड में संतरा डीहायड्रेशन प्रकल्प तथा मोर्शी में संतरा प्रक्रिया केंद्र की घोषणा अनेक मंत्रियों के सामने की. लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ.

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