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विकास और हिंदूत्व की राजनीति करने बीजेपी मेें आया

उद्धव साहब तो दूर आदित्य ने 100 बार संदेश देने के बाद भी समय नहीं दिया

* आम कार्यकर्ता के छोटे-छोटे काम भी नहीं हो रहे थे
* कांग्रेस के साथ तालमेल बैठाने के संदेशे ऊपर से आते रहे
* भाजपा के अमरावती लोकसभा क्षेत्र के संयोजक बने
* राजेश वानखडे से दोटूक बातचीत
अमरावती/दि.10 – भाजपा में अनेक लोगों से मैत्रिपूर्ण संबंध रहे हैं. ऐसे ही कुछ मित्रों के आग्रह पर अपने कार्यकर्ताओंं और निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से चर्चा करने के बाद सिर्फ विकास तथा हिंदूत्व की राजनीति करने के लिए भाजपा में शामिल हुआ हूं. तिवसा सहित जिले में विकास की राजनीति को आगे बढाना हैं. जहां तक शिवसेना छोडने का प्रश्न है, ढाई वर्ष में पक्ष प्रमुख ने एक बार भी मिलने का समय नहीं दिया. उद्धव साहब तो दूर आदित्य जी ने भी हमारी मिलने की विनती बारंबार ठुकरा दी. इस वजह से निर्णय लेना पडा. यह दोटूक प्रतिपादन हाल ही में भारतीय जनता पार्टी मेें शामिल हुए भूतपूर्व शिवसेना जिला प्रमुख राजेश वानखडे ने आज दोपहर अमरावती मंडल से विशेष बातचीत में किया. वानखडे की बॉडी लैंगवेज जोश से लबालब नजर आयी. वहीं उनके साथ नितिन पाटील गुडधे और पूर्व नगरसेवक चंदूभाउ बोमरे व अन्य थे. वानखडे ने अमरावती की राजनीति से लेकर शिवसेना की ताजा दशा और दिशा आदि के बारे मेें किये गये सवालों के तडातड उत्तर दिये. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश
प्रश्न – शिवसेना ने इतना कुछ आपको दिया. फिर पार्टी से मोहभंग क्यों हुआ?
राजेश वानखडे – पार्टी में हमारी कोई सुन नहीं रहा था. ढाई बरस ेसे पार्टी प्रमुख उद्धव जी ठाकरे का समय मांगने पर भी नहीं मिला. अपने तिवसा निर्वाचन क्षेत्र के काम लेकर अनेक बार मुंबई गये. कोई भी काम नहीं हो रहा था. 100 बार सीएम साहब का समय मांगा नहीं मिला.
प्रश्न – आप कट्टर शिवसैनिक थे. इस समय शिवसेना दो-फाड हुई हैं. नाजुक दौर से गुजर रही हैं. ऐसे मेें पार्टी को छोडने का निर्णय कैसे ठीक हैं?
राजेश वानखडे – शिवसेना ने बहुत कुछ दिया. जिला प्रमुख बनाया. तिवसा से विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया. मगर पराजय के बाद पक्ष प्रमुख से मिलने की अनेक कोशिश करने के बाद भी उनसे मुलाकात नहीं हो पायी. पक्ष प्रमुख मुख्यमंत्री थे, तो हमारे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की भी आशा अपेक्षाएं थी. किंतु उद्धव जी या आदित्य ठाकरे भी नहीं मिल रहे थे. दुख इस बात का था कि, बाकी सब नेताओं से मिल रहे हैं. हमसे ही नहीं. निर्वाचन क्षेत्र की कोई समस्या या कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे. इसलिए कडा निर्णय लेना पडा.
प्रश्न – बालासाहब की शिवसेना बदल गई हैं?
राजेश वानखडे – कुछ अंशों में यह बात सहीं लगती हैं. बालासाहब ठाकरे सभी से मिलते थे. छोटे से छोटे कार्यकर्ता से मुलाकात कर पार्टी और देशहित में कार्य करने के लिए पे्ररित करते थे. तभी तो अनेक आम कार्यकर्ता विधायक और सांसद बने. बालासाहब अपने सेना पदाधिकारियों की सुनते थे. उद्धव साहब ने मुख्यमंत्री बनने के बाद कदाचित इस ओर ध्यान नहीं दिया.
प्रश्न – आप पर कोई दबाव था क्या?
राजेश वानखडे – मुझ पर कोई दबाव नहीं था. पार्टी से हर बार यहीं आदेश मिलता कि, कांग्रेस के साथ एडजेस्ट करों. हर गांव में हमारे कार्यकर्ता कांग्रेस के खिलाफ लडे हैं. जिससे वे अब कांग्रेस के लोकल कार्यकर्ता के साथ तालमेल बैठाने तैयार नहीं थे. हो भी नहीं सकता था. हमारे हिंदूत्व के काम में वे नहीं आ सकते थे. आज हर गांव में शाखा नहीं हैं.
प्रश्न – किसके आग्रह पर बीजेपी में शामिल हुए?
राजेश वानखडे – भाजपा में भी अनेक मित्र हैं. अनेक नेताओं से मैत्रिपूर्ण संबंध हैं. हिंदूत्व के कारण भाजपा के पदाधिकारियों के साथ अनेक मौकों पर साथ रहने से कुछ खास लोगों ने भाजपा में आने का ऑफर दिया. जिस पर गंभीरता से विचार किया. निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से बात की. फिर विकास और हिंदूत्व की राजनीति के लिए भाजपा का दामन थाम लिया.
प्रश्न – क्या जिम्मेदारी दी गई हैं? तिवसा से टिकट मिलेगी क्या?
राजेश वानखडे – भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य के साथ अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का संयोजक प्रदेशाध्यक्ष बावनकुले जी ने बनाया हैं. आगे भी पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, वह पूर्ण करने का प्रयास होगा.
प्रश्न – आपके भाजपा में आने से सभी खुश नहीं हैं, तिवसा में आपका अपेक्षित स्वागत क्यों नहीं हुआ?
राजेश वानखडे – तिवसा में जोरदार स्वागत हुआ. गणपति विसर्जन का मौका रहने के बावजूद सैकडों की संख्या में स्थानीय नेता पदाधिकारी और कार्यकर्ता थे. एकाध पदाधिकारी नहीं आये, तो कोई फर्क नहीं पडता. मेरे पक्ष प्रवेश के समय भी जिले के बडे भाजपा नेता प्रवीण पोटे उपस्थित थे. सांसद डॉ. बोंडे का गुजरात दौरा रहने से वे उपस्थित नहीं रह पाये. उनका भी पूरा साथ हैं.
प्रश्न – तिवसा का बहुत विकास हुआ. करोडों रुपए के विकास कार्य मोझरी में होने के भी मौजूदा विधायक के दावे हैं. आपका क्या कहना हैं?
राजेश वानखडे – मोझरी में विकास के नाम पर सिर्फ इमारतें बनी हैं, जो हस्तांतरण के अभाव में धूल खा रही हैं. विकास कामों के नाम पर सभी टेंडर मैनेज हुए. विकास में भ्रष्टाचार हुआ हैं. 20 प्रतिशत ज्यादा रेट पर काम दिये गये. अमरावती में भी कोर्ट की इमारत बनी. जबकि तिवसा क्षेत्र मेें ज्यादा लागत कैसे आयी? यह सवाल हैं.
प्रश्न – सेना का राजकारण आसान था, भाजपा का कठिन माना जाता हैं. आप क्या करेंगें?
राजेश वानखडे – पार्टी जो जिम्मेदारी देंगी वह पूरा करेंगे. एक ही एजेंडा हैं. हिंदूत्व और विकास. इसके लिए भाजपा को चुना हैं. फडणवीस साहब ने भी निर्वाचन क्षेत्र के लिए संपूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया हैं.
प्रश्न – आपने समय का फायदा उठाया?
राजेश वानखडे – सभी सलाह देते है कि, समय के साथ चलों हम राजनीति कर रहे हैं. हमारे भी लोगों की आशा-अपेक्षाएं रहती हैं. शिवसेना का मुख्यमंत्री रहने के बावजूद तहसीलदार, एसडीओ या अधिकारी शिवसैनिक की नहीं सुनता था. छोटा सा काम भी नहीं होता था. कार्यकर्ता का मन खट्टा हो जाता. ऐसे मेें कार्यकर्ता के काम के लिए समय के साथ चलने का निर्णय किया.

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