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अमरावती में भी फैल सकता है डायरिया व कॉलरा

कोयलारी-पाचडोंगरी की हो सकती है पुनरावृत्ति

* चार-पांच दिनों से मजीप्रा कर रहा दूषित जलापूर्ति
* शहरवासियों का स्वास्थ्य है खतरे में, प्रशासन उदासीन
अमरावती/दि.18- विगत चार-पांच दिनों से महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण द्वारा नलों के जरिये मटमैला पानी छोडा जा रहा है. ऐसे में इस दूषित व गंधले पानी को पीने से अमरावती शहर में भी मेलघाट के कोयलारी व पाचडोंगरी गांवों की तरह डायरिया व कॉलरा जैसी बीमारिया फैलने का खतरा बना हुआ है. हालांकि जीवन प्राधिकरण द्वारा इस पानी को पीने के लिए पूरी तरह से योग्य रहने का दावा करते हुए कहा गया है कि, बाढ व बारिश की वजह से अप्पर वर्धा बांध में आनेवाले पानी का रंंग बदल गया है. परंतु आपूर्ति करने से पहले इस पानी पर जलशुध्दीकरण केंद्र में पूरी प्रक्रिया की जाती है. अत: इसे पीने में कोई खतरा नहीं है. परंतु नल से लगातार आ रहे मटमैले पानी को देखते हुए नागरिकों में अपने स्वास्थ्य को लेकर भय व चिंता का माहौल है.
याद दिला दें कि, अभी कुछ दिनों पहले ही आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र के कोयलारी व पाचडोंगरी गांवों में दूषित पानी पीने की वजह से डायरिया व कॉलरा जैसी बीमारियां फैली थी. जिसमें करीब पांच लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग बीमार पड गये थे. इसके बाद वलगांव के पास स्थित नया अकोला गांव में भी डायरिया व कॉलरा फैलने की वजह से एक युवक की मौत हुई तथा कई लोग इस संक्रमण की चपेट में आये. ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा पीने के पानी को लेकर विशेष तौर पर सावधानियां बरतने हेतु कहा गया. यूं तो अमरावती शहर को इस मामले में सौभाग्यशाली माना जाता है. जहां पर जीवन प्राधिकरण द्वारा पीने के लिए साफ-सूथरे पानी की आपूर्ति की जाती है. इस हेतु मोर्शी के निकट सिंभोरा स्थित अप्पर वर्धा बांध से अमरावती में जीवन प्राधिकरण के जलशुध्दीकरण केंद्र तक पानी पहुंचाया जाता है, लेकिन विगत कुछ दिनों के दौरान हुई झमाझम बारिश के चलते सतपुडा पहाडों का किचडयुक्त पानी वर्धा नदी के जरिये होते हुए अप्पर वर्धा बांध तक पहुंचा और बाढ व बारिश की वजह से अप्पर वर्धा बांध में पानी काफी गंधला व मटमैला हो गया है. साथ ही अब यही पानी अमरावती स्थित जलशुध्दीकरण केंद्र तक पहुंच रहा है. जिसकी नलों के जरिये शहरवासियों को आपूर्ति हो रही है. ऐसे में विगत चार-पांच दिनों से लगातार नलों के जरिये आ रहे मटमैले पानी को पीने हेतु शहरवासी मजबूर है और इस पानी को पीने की वजह से शहर में जलजन्य बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है. हालांकि जीवन प्राधिकरण द्वारा दावा किया जा रहा है कि, इस समय केवल पानी का रंग ही मटमैला है और यह पानी पूरी तरह से पीनेयोग्य है. क्योंकि अप्पर वर्धा से आनेवाले इस पानी को जलशुध्दीकरण की पूरी प्रक्रिया करने के बाद ही नलों के जरिये छोडा जा रहा है.

* फिटकरी घुमाने पर सामने आती है असलियत
उल्लेखनीय है कि, मटमैले पानी में फिटकरी घुमाने पर पानी में मौजूद हर तरह का कचरा थोडी देर बाद बर्तन के निचले हिस्से में बैठ जाता है. जिसके चलते इन दिनों शहर में कई लोगबाग मजीप्रा के नलों से आनेवाले मटमैले पानी को पीने हेतु बर्तन में भरने के बाद उसमें फिटकरी का डल्ला घुमा देते है. पश्चात थोडी देर बाद पानी में मौजूद पूरा कचरा नीचे बैठ जाता है, जो साफ तौर पर नदी के गाद या कीचड की तरह दिखाई देता है. यानी अगर पानी में फिटकरी न घुमाई जाये, या उसे उबालकर व छानकर न पिया जाये, तो यह पूरा गाद या कीचड पेट में जा सकता है. जिसकी वजह से कई तरह की बीमारियां फैल सकती है. बावजूद इसके प्रशासन द्वारा इसे लेकर कोई गंभीर प्रयास नहीं किये जा रहे.

* इस हफ्ते सुधर जायेगी पानी की स्थिति
इस संदर्भ में जीवन प्राधिकरण के अधिकारियों से संपर्क किये जाने पर उन्होंने बताया कि, चूंकि विगत जुलाई से जारी अगस्त माह के दौरान वर्धा नदी में दो बार बाढवाली स्थिति बनी और मूसलाधार बारिश की वजह से पहाडों का पानी बडी तेजी के साथ बांध में आया. जिसके चलते पानी काफी हद तक मटमैला हो गया है. लेकिन अब बारिश रूक गई है और नदी व बांध में पानी शांत व स्थिर हो गया है. जिसके चलते धीरे-धीरे पानी में मौजूद मिट्टी नीचे बैठ जायेगी और पानी पहले की तरह साफ हो जायेगा. साथ ही जीवन प्राधिकरण के अधिकारियों ने जोर देकर दोहराया कि, भले ही नलों से आनेवाले पानी का रंग मटमैला है, लेकिन यह पानी पूरी तरह से पीने योग्य है.

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