शिक्षकों की ५० फिसदी उपस्थिति का शासन निर्णय रद्द करें
शिक्षक भारती की शिक्षामंत्री वर्षा गायकवाड से मांग
अमरावती/दि. २ – राज्य के स्कूल में ५० प्रतिशत शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को उपस्थित रहने की मार्गदर्शक सूचना देने वाला २९ अक्तूबर २०२० का शासन निर्णय बहुत ही संदिग्ध इसी तरह व बेतुका होने के कारण शिक्षकों का जीवन खतरे में आने के कारण स्कूलों का सिरदर्द भी बेवजह बढाया गया है. कोरोना की लस जब तक नहीं आती तब तक स्कूल महाविद्यालय ना खोले जाए, ऐसी मांग पालकों की है. ५० प्रतिशत उपस्थिति, कीटनाशक व अन्य नियम का पालन करते समय स्कूलों को बेवजह आर्थिक नुकसान बर्दाश्त करना पड रहा है, इस वजह से ५० प्रतिशत का निर्णय रद्द किया जाए, ऐसी मांग शिक्षक भारती की ओर से राज्य शिक्षामंत्री वर्षा गायकवाड से की गई.
विधायक कपील पाटिल व विभागीय अध्यक्ष दिलीप निंभोरकर ने अपनी मांगों का ज्ञापन शिक्षामंत्री को भिजवाया. ज्ञापन के अनुसार राज्यभर के स्कूल व महाविद्यालय के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी को उपस्थिति के बारे में दी गई मार्गदर्शक सूचना में स्कूल में किसी को भी प्रवेश देने से पहले स्कूल में कीटनाशक छिडकाव करना, हैंडवॉश, सैनेटायजर उपलब्ध कराने, ६ फीट की दूरी बनाए रखने, हर ३ से ४ घंटे में सेैनेटायजर करने, स्कूल में प्रवेश करते समय थर्मल स्केैनर से तापमान जांचने, अध्यापन सामग्री, कम्प्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर आदि उपक्रम ७० प्रतिशत अल्कोहोल वाइफ से जंतू रहीत करने आदि बातों का समावेश है. यह सभी व्यवस्था करने के लिए शिक्षा संस्था को २५ हजार से १ लाख तक खर्च आयेगा, यह शासन के सीमित अनुदान पर कैसे चलेगा, हजारों स्कूलों में इतना खर्च करने के लिए भरपूर निधि न होने के कारण शासन के मार्गदर्शक सूचना का पालन करना कठिन हो रहा है. शिक्षामंत्री ने शिक्षकों के लिए ५० प्रतिशत उपस्थिति सक्ति का करने वाला शासन निर्णय रद्द किया जाए, ऐसी मांग विधायक कपील पाटिल समेत शिक्षक भारती के विभागीय अध्यक्ष दिलीप निंभोरकर ने शिक्षा मंत्री से की है.