अमरावतीमहाराष्ट्र

ग्रामीण शिक्षण व्यवस्था को तोडने वाला निर्णय रद्द करें- महेश ठाकरे

शालेय शिक्षणमंत्री को प्रहार शिक्षक संगठन ने की मांग

शालाओं के लिए धोखे का व शिक्षकों के अतिरिक्त करने वाले शालन निर्णय का निषेध
अमरावती /दि.24– 15 मार्च 2024 की नई सुधारित संच मान्यता (नवीन संशोधित सेट) के विरोध में प्रहार शिक्षक संगठन की ओर से राजाध्यक्ष महेश ठाकरे ने राज्य के शालेय शिक्षण मंत्री को ज्ञापन सौंप कर सुधारित संच मान्यता स्कूल और शिक्षकों के लिए अन्यायकारक इस संच मान्यता को अमल न हो इसके लिए ज्ञापन सौंपा गया.
ज्ञापन में कहा गया है कि, 15 मार्च 2024 की नई संशोधित सेट मंजूरी स्कूलों और शिक्षकों के लिए अनुचित है और सभी शिक्षकों के लिए खतरे की घंटी है, इसलिए मांग की गई है कि इस अनुचित सेट मंजूरी को लागू नहीं किया जाना चाहिए. सरकार के फैसले के मुताबिक, राज्य के स्कूलों में छात्र अनुपात के सापेक्ष शिक्षकों की संख्या निर्धारित करने के लिए संशोधित मानदंड निर्धारित किये गये हैं. यदि इन मानदंडों को लागू किया जाता है, तो महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति के रूप में हमारा दृढ़ मत है कि किसानों-कृषि मजदूरों, मेहनतकशों, शोषित-वंचित गरीब परिवारों से आने वाले छात्रों के लिए स्कूल जाने और शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा नष्ट हो जाएगी और सैकड़ों शिक्षक अतिरिक्त होंगे.
राज्य में न केवल प्रहार शिक्षक संगठन बल्कि अभिभावक वर्ग के साथ-साथ विभिन्न शैक्षणिक आंदोलनों में काम करने वाले सरकारी और गैर-सरकारी संगठन भी इस नई संच मान्यता नीति का कडा विरोध कर रहे हैं. इससे साबित होता है कि सरकार का फैसला गलत और उचित नहीं है. प्राथमिक विद्यालयों आदि 1 से 4 तथा 5 से 10 वीं कक्षा तक के लिए एक नियमित शिक्षक और आवश्यकता पड़ने पर एक सेवानिवृत्त शिक्षक उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है. प्रत्येक कक्षा का अलग-अलग पाठ्यक्रम है. एक ही समय में इतनी सारी कक्षाओं का प्रबंधन करना कठिन है. आज की शिक्षा प्रणाली में शिक्षकों को कई प्रकार के ऑनलाइन कार्य करने पडते है. इस स्कूल के नियमित शिक्षक को एक वरिष्ठ नागरिक के रूप में मुख्याध्यापक के कर्तव्यों को निभाने के लिए स्कूल से बाहर जाना पड़ता है. स्कूलों में ऑनलाइन सुविधा, नेटवर्क, इंटरनेट नहीं है. विद्यालयों में क्रियान्वित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियां, जिला प्रशासन को राज्य सरकार की गतिविधियों और प्रतियोगिताओं में अनिवार्य रूप से भाग लेना होगा. इतना ही नहीं तो स्कूली खेल प्रतियोगिताओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ लगातार अध्ययन के अलावा अन्य कार्य में शिक्षक व्यस्त रहते है. बालकों के शैक्षिक हित को देखते हुए संदर्भित नुसार निर्गमित किया सरकार निर्णय को रद्द करना तथा गुणवत्ता संवर्धन के लिए हर कक्षा को नियमित कक्ष उपलब्ध कराना यह सरकार का संवैधानिक और सामाजिक दायित्व है. इस बारे में विचार कर आचार संहिता खत्म होते ही निर्णय लेने का अनुरोध समिति ने किया है. ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोडने वाले इस अधिनियम को तत्काल रद्द करने तथा इसके लिए सरकार का ध्यानाकर्षण करवाने के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाने की चेतावनी शालेय शिक्षण मंत्री व शालेय सचिव को सौंपे गए ज्ञापन में राजाध्यक्ष महेश ठाकरे ने कही.

Related Articles

Back to top button