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शिक्षा पर पूंजीवाद हावी, गंभीर अध्ययन और अध्यापन सीमित

माकपा नेता प्रा. उदयन शर्मा का कहना

* दैनिक अमरावती मंडल से खास बातचीत
* कल होना है सर्वदलीय नागरी सत्कार
अमरावती/दि.5- माकपा नेता और के.एल.कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक, हिंदीसेवी एवं मार्गदर्शक, चिंतक,लेखक प्रा. उदयन शर्मा ने दो टूक कहा कि शिक्षा पर आज पूंजीवाद हावी हो गया हैं. इसलिए गंभीर अध्ययन और अध्यापन दोनों ही बीते दौर की बात हो गई हैं. यहीं से समाज की अनेक समस्याओं की शुरूआत होती है. जबकि यहीं सबसे बडा एवं प्रभावी सुधार होना चाहिए. प्रा. शर्मा आज दोपहर अपने गुरुकृपा कॉलोनी स्थित निवास पर दैनिक अमरावती मंडल से विशेष बातचीत कर रहे थे. कल रविवार 6 अक्टुबर को प्रा. शर्मा का नागरी अभिनंदन का आयोजन किया गया हैं. उस उपलक्ष्य अमरावती मंडल ने उनसे बातचीत की. जिसमें उन्होंने अपने शैक्षणिक जीवन से लेकर प्राध्यापक जीवन तक अत्यंत विस्तार से बात की. दोनों दौर का बडा अंतर भी अधोरेखित किया. कम्युनिस्ट आंदोलन चलाने के साथ-साथ विभिन्न नगरों और महाविद्यालयों में अपने आरंभिक प्राध्यापन कार्यकाल की गाथा को साझा किया. अमरावती से लगाव के बारे में भी उदयन जी ने विविध प्रसंगो और किस्सागोई को उद्धृत कर बताने का प्रयत्न किया.
उपरी तौर पर हो रही पढाई
प्रा. शर्मा ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनके दौर में जितनी गंभीरता से छात्र शिक्षा आत्मसात करते थे. अध्यापक भी जितनी गंभीरता से पढाते थे. आज वह बाते लोप हो रही हैं. न विद्यार्थियों को गुरुगंभीरता हैं. न अध्यापक वर्ग उतन सुरूची पूर्ण रुप से पढा रहे हैं. अफसोस की बात तो यह हैं कि एमए और पीएचडी स्तर पर भी अच्छी पढाई की बजाए बोगस काम अधिक हो रहा हैं. उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा का स्तर मजबूत होना चाहिए. अनुशासन भी होना चाहिए. आज उपरी तौर पर पढाई ली जा रही है. गूगल पर पढना अधिक हो गया है. क्रेज की बात हो गई है. जबकि यहीं से अनेक समस्याएं पनप रही है. कालांतर में यही समस्याएं प्रश्न विकराल रुप में सामने आते हैं.
सिध्दांत पढे पहले, अपनाए बाद में
प्रश्न के उत्तर में उदयन जी ने मानो रहस्योद्घाटन करते हुए बताया कि उन्होंने अपने महाविद्यालयीन दौर में मार्क्सवाद पढा था. किंतु उसे जीवन में अपनाया अपने जीवन के अनुभवों के पश्चात. एक बार अपनाया तो फिर त्यागा नहीं. क्योंकि उन्हें लगता है कि आज हमारे समाज व्यवस्था में जो गडबडी है. उसका हल मार्क्सवाद अर्थात समाजवाद में निहित है.

कम्युनिस्ट विचारधारा नहीं छोडी
प्रा. शर्मा ने बताया कि उनके प्राध्यापन के आरंभिक काल से लेकर काफी बाद तक बार बार उनकी अपनाई कम्युनिस्ट विचारधारा को लेकर खटके उडते थे. फिर भी उन्होंने अपनी विचारधारा नहीं छोडी. समय समय पर उन्हें कई बडे लोगों के साथ सहयोग प्राप्त होते गए. जिसमें आगरा के प्रसिध्द आगरा कॉलेज के तत्कालीन वीसी से लेकर प्रसिध्द गीतकार सोम ठाकुर, ब्रजभूषण, आचार्य नंदकिशोर, आचार्य छेदीलाल आदि अनेक का उल्लेख आदरपूर्वक किया. अमरावती में राज महाविद्यालय में नियुक्ती होने से पहले एक वर्ष तक उन्होंने एटा में अवकाश दौरान गुरुकुल के आचार्य ज्योती स्वरुप से प्राचीन व्याकरण सीखा था. यह अष्टाध्यायी की पढाई उन्हें आगे जीवन में बडी काम आयी. स्वामी ब्रह्मानंद कॉलेज के सर्वेसर्वा थे.
कम्युनिज्म खत्म नहीं
प्रा. शर्मा ने कहा कि भारत में कम्युनिस्ट मूवमेंट आज पूंजीवादी दौर मेें थोडा जटिल समय से गुजर रही है. किंतु यह मूवमेंट खत्म नहीं हुई है. समाजवाद आंदोलन पर पूंजीवादी दौर हावी है. इसलिए कम्युनिज्म की ताकत कम दिखाई दे रही है. फिर भी समय के साथ समाजवाद पुनः मजबूत होने का उन्हें भरोसा है. बता दे कि प्रा. शर्मा 3 दशकों से अधिक समय तक माकपा के जिला सचिव और राज्य कमेटी एवं राज्य कमेटी सचिव के सभासद रहे. कम्युनिस्ट आंदोलन को उन्होंने साथियों संग आगे बढाने का महत्वपूर्ण प्रयास अनवरत रखा. 1990 तक वे शेत मजदूर यूनियन के पहले अधिवेशन से लेकर उपाध्यक्ष रहे. उपरांत उन्होंने शेत मजदूर यूनियन छोडकर वे मजदूर आंदोलन से जुडे रहे.

पिता आर्य समाज के उपदेशक
उदयन शर्मा का जन्म अयोध्या में हुआ जब उनके पिता वाचस्पतिजी गुरुकुल में आचार्य रहे. वहां से आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश में पिता को उपदेशक विभाग में नौकरी मिली थी. जिससे आगरा जिला के कस्बा चितोरा में वे रहे. फिर झांसी में आ गए. दो साल वहां रहने के बाद पुनः आगरा में आकर पिता अपना आर्य समाज का काम रखे हुए थे. फिर लखनऊ आ गए. जहां आर्य प्रतिनिधि सभा का मुख्यालय बनारसी बाग में प्रसिध्द चिडियाघर के सडक पार करते ही स्थित था. हजरतगंज से थोडा आगे यह क्षेत्र हैं.

परिवार में तीनों बेटियां
प्रा. उदयन शर्मा की पत्नी श्रीमती प्रमोद शर्मा सुघड गृहणी है. उनकी तीन बेटियां डॉ. रिचा, अर्पणा और दीपाली है. डॉ. रिचा शर्मा फरीदाबाद में प्रसिध्द आयुर्वेद प्रैक्टीशनर है तो अर्पणा शर्मा अमेरिका के बडे शहर में शाला में वहां की व्यवस्था के अनुसार साईक्लोजिकल थैरेपी के बारे में बताती है. गोवा में रह रही दीपाली शर्मा एम.कॉम तक शिक्षित है और निवेश के बारे में सलाहकार हैं.

अनेक साहित्य सम्मेलनों में सहभाग
अमरावती की हिंदी साहित्य संस्थाओं से जुडाव, लगाव रखने वाले प्रा. उदयन शर्मा के लेख महाविद्यालय की मैगजीन में प्रमुखता से प्रकाशित होने के साथ चाव से पढे और संग्रह किए जाते रहे हैं. उनके अस्तित्ववाद लेख को न केवल पुरस्कृत किया गया बल्कि मुंबई की व्यंकटेश्वर संस्था ने अपनी पत्रिका में इसे धारावाहिक रुप में प्रकाशित किया. कविवर रामधारीसिंह दिनकर पर आधारित लेख भी बडे चर्चित हुए. अमरावती और पासपडोस के नगरों के साहित्य सम्मेलनों में अतिथि वक्ता के रुप में प्रा. शर्मा ने छाप छोडी.

तीन विद्यार्थियों के पीएच डी गाइड
सौ से अधिक कविताओं के रचयिता प्रा. शर्मा के मार्गदर्शन में हिंदी के तीन विद्यार्थियों ने आचार्य की उपाधी प्राप्त की. एक और विद्यार्थी की आचार्य की उपाधी शीघ्र आने वाली हैं. एमए और एमफील के एक दर्जन से अधिक विद्यार्थियों का डेजर्टेशन करवाया. विश्व विद्यालय के प्रयोजन मूलक हिंदी विभाग के अंशकालीन प्राध्यापक भी आप रहे. यहां भी अध्यापन को नये आयाम उन्होंने किए.

 

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