अमरावती/दि.10– इन दिनों हृदयाघात ने उम्र के बंधन को तोड दिया है. जिससे पहले केवल वरिष्ठ आयु वर्ग के लोगों को ही हृदय विकार व हृदयाघात की तकलीफ हुआ करती थी. परंतु अब युवावस्था में भी हृदय विकार व हृदयाघात होने के मामले देखे जा रहे है. साथ ही इन दिनों युवाओं में कॉर्डियाक अरेस्ट होने का प्रमाण भी काफी अधिक बढ गया है. जिसके तहत खेलते समय या व्यायाम करते समय अचानक ही मौत हो जाने की घटनाएं घटित हो रही है. जिसके चलते यदि सीने में जलन या तकलीक हो रही है, तो तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लेकर इलाज कराना बेहद जरुरी हो चला है.
* क्या होता है कार्डियाक अरेस्ट?
हृदय के भीतरी हिस्सों में कुछ गडबडी होने पर कॉर्डियाक अरेस्ट होता है. साथ ही हृदय संबंधी बीमारियों की वजह से भी कॉर्डियाक अरेस्ट होने का खतरा रहता है.
* कॉर्डियाक अरेस्ट होने की वजहें
हृदय का काम रक्त को शुद्ध करते हुए शरीर में रक्त आपूर्ति करने का होता है. लेकिन जब हृदय की विद्युत प्रणाली में गडबडी होकर हृदय की धडकने अनियमित होती है, तो रक्त के शुद्धिकरण व शरीर में रक्त की आपूर्ति का काम गडबडा जाता है. साथ ही कई बार रक्त आपूर्ति ठप पड जाने की वजह से कॉर्डियाक अरेस्ट होता है.
* कब कॉर्डियाक अरेस्ट का खतरा अधिक
– क्रिकेट खेलते समय
कई बार क्रिकेट खेलते समय किसी खिलाडी के अचानक गश्त खाकर गिर जाने और फिर उसकी मौत हो जाने की घटनाएं घटित हो चुकी है.
– जीम में व्यायाम करते समय
जीम में व्यायाम करते समय, किसी भारी वस्तु का उठाते समय और दौडते समय भी कॉर्डियाक अरेस्ट होने की घटनाएं घटित हो चुकी है.
* क्या सावधानी जरुरी?
यदि दिल की धडकने तेज है, काम या व्यायाम करत समय चक्कर आ रहा है, सीढिया चढते समय तकलीफ हो रही है और पसीना आ रहा है. साथ ही हृदय से संबंधित कोई भी तकलीफ है, तो ऐसे समय लक्षणों की अनदेखी करने की बजाय समय रहते डॉक्टर से चेकअप कराते हुए इलाज करवाना बेहद जरुरी है.
* दिल की धडकन अचानक ही रुक जाती, तो उसे कॉर्डियाक अरेस्ट या कॉर्डियोपल्मोनरी अरेस्ट कहा जाता है. शारीरिक कष्ट वाले काम करते समय ज्यादा रक्त प्रवाह की जरुरत रहती है. यदि ऐसे समय थकान या दम फुलने जैसी समस्या होती है, तो इसकी अनदेखी बिल्कुल न करें, बल्कि तुरंत ही अपना चेकअप कराये.
– डॉ. प्रीति मोरे,
फिजिशियन.