क्रिकेट सट्टे के आरोप में गिरफ्तार कास्को व झंवर की हाईकोर्ट में गुहार
एफआईआर रद्द करें, पुलिस मुआवजा दे
* अपनी गिरफ्तारी व कस्टडी को बताया नियमबाह्य
* हाईकोर्ट ने शहर पुलिस से नोटीस देकर मांगा जवाब
अमरावती/दि.22 – आईपीएल टूर्नामेंट के दौरान खेले जाने वाले क्रिकेट मैचों पर ऑनलाइन सट्टे की लगवाडी व खायवाली करने के मामले में अमरावती शहर पुलिस आयुक्त के विशेष पथक द्बारा गोवा से गिरफ्तार किए गए क्रिकेट सट्टा बुकी अनिल मेटकर उर्फ कास्को तथा आदेश झंवर ने अपनी गिरफ्तारी और पुलिस द्बारा ली गई कस्टडी को पूरी तरह से गैर कानूनी व नियमबाह्य बताते हुए अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने तथा खुद को पुलिस से 5-5 लाख रुपए का मुआवजा मिलने की मांग करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है. इन दोनों की याचिका को सुनवाई हेतु स्वीकार करते हुए नागपुर हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में अमरावती शहर पुलिस आयुक्त कार्यालय से इस संदर्भ में जवाब देने की नोटीस जारी की है.
बता दें कि, शहर पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी द्बारा आईपीएल सीजन के दौरान चलने वाले ऑनलाइन क्रिकेट सट्टे को नियंत्रित करने हेतु विशेष पथक का गठन किया गया था और इस विशेष पथक ने गोवा जाकर अनिल मेटकर उर्फ कास्को तथा आदेश झंवर को ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा चलाने के मामले में गिरफ्तार कर अमरावती लाया था. जिनके खिलाफ बडनेरा पुलिस थाने में भादंवि की धारा 420, 465, 468, 471, 34 तथा महाराष्ट्र जुआ प्रतिबंधक अधिनियम की धारा 12 (अ) के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया गया था. साथ ही इन दोनों आरोपियों को स्थानीय अदालत में पेश करते हुए उनकी पुलिस कस्टडी रिमांड भी प्राप्त की गई थी. जिसके बाद उन्हें एमसीआर के तहत सेंट्रल जेल रवाना कर दिया गया था.
इस संदर्भ में दोनों याचिकाकर्ताओं का कहना रहा कि, सीपी रेड्डी के विशेष पथक ने 19 अप्रैल की दोपहर उन्हें गोवा से केवल पूछताछ हेतु अपने साथ लिया था और उन्हें गोवा से जालना होते हुए अमरावती लाने के बाद देर रात अमरावती में अधिकारिक तौर पर गिरफ्तार दिखाई दिया. जबकि विशेष पथक द्बारा 19 अप्रैल को दोपहर में ही अमरावती में प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि, गोवा से अनिल मेटकर व आदेश झवंर को गिरफ्तार किया गया है. जिससे संबंधित खबरें स्थानीय मीडिया व सोशल मीडिया में भी प्रसारित हुई थी. जबकि उस समय दोनों लोगों की अधिकारिक तौर पर गिरफ्तारी ही नहीं हुई थी. ऐसे में पुलिस के इस कृत्य की वजह से दोनों लोगों की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची. इसके अलावा पुलिस ने पहले यह दावा किया था कि, दोनों याचिकाकर्ताओं के मोबाइल फोन से ऑनलाइन क्रिकेट सट्टे संबंधी वेबसाइट की लिंक व अन्य कुछ जानकारी प्राप्त हुई है. जिसके आधार पर पुलिस ने दोनों आरोपियों को अपनी कस्टडी में लिया था. वहीं एमसीआर के दौरान पुलिस ने बताया कि, दोनों आरोपियों के मोबाइल से ऑनलाइन क्रिकेट सट्टे संबंधी लिंक व अन्य सबूत डिलिट हो गए है. जबकि पुलिस ने दोनों आरोपियों को गोवा में पूछताछ हेतु अपनी हिरासत में लेते समय ही उनके मोबाइल अपने कब्जे में लेकर जब्त कर लिए थे, तो सबसे बडा सवाल यह है कि, पुलिस के कब्जे में रहने वाले मोबाइल से कोई भी सबूत या सुराग डिलिट कैसे हो गया.
इस युक्तिवाद के साथ ही याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए एड. जेमिनी कासट ने अदालत से निवेदन किया कि, दोनों याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर गलत व झूठी है. अत: इस एफआईआर को रद्द किया जाना चाहिए. साथ ही पुलिस द्बारा की गई इस हरकत के चलते दोनों याचिकाकर्ताओं की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है और उन्हें शारीरिक व मानसिक तकलीफ हुई है. ऐसे में दोनों याचिकाकर्ताओं को पुलिस महकमें की ओर से मुआवजे के तौर पर 5 लाख रुपए दिए जाने चाहिए.