अमरावती

फायर अधीक्षक पद की नियुक्ति का मामला लटका

अमरावती-/दि.12  हाल ही में फायर एनओसी देने के लिए पांच हजार रूपये की रिश्वत मांगने के आरोप में एसीबी द्वारा पकडे गये मनपा के प्रभारी अग्निशमन अधिक्षक सैय्यद अन्वर को तत्काल प्रभाव से निलंबीत कर दिया गया. एसीबी के ट्रैप में फंसनेवाले सैय्यद अन्वर मनपा के दूसरे फायर अधीक्षक रहे. साथ ही इससे पहले तीन फायरमैन भी एसीबी के जाल में फंस चुके है. ऐसे में अब अग्निशमन विभाग के अधीक्षक पद का जिम्मा लेने के लिए कोई भी तैयार नहीं है. जिसके चलते अग्निशमन विभाग को अब तक नियमित को दूूर, प्रभारी अधीक्षक भी नहीं मिला है.
जानकारी के मुताबिक मनपा प्रशासन के पास इस पद के तीन इच्छुकों के नाम है. लेकिन अब तक के अनुभवों को देखते हुए मनपा प्रशासन द्वारा भी वेट एन्ड वॉच की भूमिका अपनायी जा रही है. परंतु इस चक्कर में अग्निशमन विभाग नेतृत्वहीन चल रहा है. वहीं दूसरी ओर एसीबी द्वारा एक के बाद एक की जाती कार्रवाईयों को देखते हुए अग्निशमन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों में यह भावना बलवति होती जा रही है कि, कहीं कोई जानबूझकर तो इस महकमे को निशाना नहीं बना रहा. ऐसे में मनपा के अधिकारी व कर्मचारी अब इस विभाग में काम करने से कतरा रहे है.

मल्टीयूटिलीटी वाहन में भी हुआ था घोटाला
महज 30 लाख रूपये की लागत से बने ‘अमरावती मेड’ मल्टीयूटिलीटी फायर रेस्क्यू वाहन के लिए मनपा द्वारा 2.04 करोड रूपये बहाल किये गये थे. तत्कालीन आयुक्त हेमंत पवार व उपायुक्त नरेंद्र वानखडे के कार्यकाल में करोडों रूपयों का यह घोटाला उजागर हुआ था. पश्चात पवार का तबादला हो जाने के चलते वे इस झंझट से छूट गये. लेकिन नरेंद्र वानखडे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप हुए और मामले की जांच हेतु समितियां भी बैठी. साथ ही वानखडे की विभागीय जांच भी शुरू है. उस घोटाले की वजह से भी अमरावती महानगरपालिका का नाम राज्यस्तर पर बदनाम हुआ था. इस वजह से भी अब कई लोग अग्निशमन विभाग में काम नहीं करना चाहते.

उपअभियंता पद देने की मांग
अभी हाल ही में अग्निशमन विभाग में 9 से 10 करोड रूपये का खर्च करते हुए काफी बडी खरीददारी की गई है. इस खरीदी पर भी मनपा के अगले सदन में पदाधिकारियों द्वारा काफी बडा आक्षेप उठाया जा सकता है. ऐसे में अधीक्षक के तौर पर उन आपत्तियों व आक्षेपों का सामना करने के लिए कोई भी तैयार नहीं है. साथ ही अब यह मांग भी उठाई जा रही है कि, कार्यशाला व विद्युत विभाग की तरह अग्निशमन विभाग के प्रमुख की जवाबदारी किसी सहायक अभियंता या उपअभियंता के पास होनी चाहिए और अधीक्षक को इन सारी झंझटों से दूर रखा जाना चाहिए.

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