2 राज्यों के फेर में अटका तीन लोगों की मौत का मामला
मरस्कोल्हे परिवार ने केंद्र से लगाई मदद मिलने की गुहार
* चिखलदरा निवासी पिता-पुत्र व भतीजे की म.प्र. की सीमा में हुई थी डूबकर मौत
अमरावती/दि.16 – महाराष्ट्र की सीमा में स्थित मेलघाट के काजलडोह गांव में रहने वाले शंकर मरस्कोल्हे (32) अपने बेटे सागर मरस्कोल्हे (12) व भतीजे कार्तिक बिरु मरस्कोल्हे (13) के साथ गांव के पास ही मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित कवड्या तालाब में मछली पकडने गए थे. ताकि एक वक्त के भोजन की व्यवस्था हो जाए. परंतु इन तीनों की तालाब में डूबकर मौत हो गई थी. परंतु महाराष्ट्र की सीमा में रहने वाले इन तीनों लोगों की मौत मध्यप्रदेश की सीमा में होने के चलते अब यह सवाल पैदा हुआ है कि, इन तीनों की मौत का मुआवजा संबंधित परिवार को 2 राज्यों में से किस राज्य सरकार द्बारा दी जाए. ऐसे में मेलघाट क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल सहित ग्रामपंचायत सदस्य जया सलामे के जरिए मरस्कोल्हे परिवार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मदद दिए जाने की गुहार लगाई है.
इस पत्र में कहा गया है कि, रोजंदारी का काम करते हुए अपना पेट भरने वाले मरस्कोल्हे परिवार में रविवार की सुबह भोजन बनाने हेतु कोई सब्जी नहीं थी. ऐसे में परिवार के दो बच्चों को लेकर शंकर मरस्कोल्हे गांव के पास ही स्थित तालाब पर मछली व केकडे पकडने गए थे. जिसे लाने के बाद घर में भोजन तैयार होना था. लेकिन इन तीनों की उसी तालाब में डूबकर मौत हो गई और पूरा परिवार निराधार हो गया. लेकिन ऐसे समय परिवार की मदद करने की बजाय दो राज्यों की सीमा को लेकर कानून आडे आ रहा है और दोनों राज्यों की सरकारें कही न कही अपनी-अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडने का प्रयास कर रही है. इस पत्र में यह सवाल भी उठाया गया है कि, क्या कोई जानबूझकर मरता है और क्या किसी ने मरते समय भी यह देखना चाहिए कि, उसकी मौत कहा हो रही है.
* जिप शाला के विद्यार्थी थे सागर व आयुष
इस दुर्दैवी घटना का शिकार हुए सागर व कार्तिक मरस्कोल्हे काजलडोह स्थित जिप शाला में कक्षा चौथी व पांचवी के विद्यार्थी थे. जिप शाला के विद्यार्थियों को राजीव गांधी दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत 1 लाख रुपए का बीमा संरक्षण दिया जाता है. लेकिन चूंकि शाला में इस समय गर्मी की छूट्टीयां चल रही है. जिसके चलते इन दोनों विद्यार्थियों की आकस्मिक मृत्यु मामले में सरकार द्बारा कौन सा निर्णय लिया जाता है, यह अनुत्तरित है.
* मैने अपने पति व बेटे को खो दिया, अब मैं कैसे जियूं. मेरी तो पूरी दुनिया ही उजड गई है. हमें महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमाओं से कोई लेना-देना नहीं है. हमें इतना पता है कि, हम भारत देश के निवासी है. हमने अपने सिर पर टूटे मुसीबत के पहाड को देखते हुए सरकार से मदद मांगी है और सरकार ने हमारी मदद करनी चाहिए.
– सुमन शंकर मरस्कोल्हे
काजलडोह, चिखलदरा.