अमरावती/दि.27 – जिला परिषद, महानगरपालिका व नगर परिषद की शालाओं में पढने वाले विद्यार्थियों को शालेय सत्र के पहले दिन नि:शुल्क गणवेश वितरीत करने का आदेश सरकार द्बारा जारी किए गए है. लेकिन अधिकांश स्थानों पर गणवेश खरीदी को लेकर अब तक शाला व्यवस्थापन समिति की बैठक ही नहीं हुई है. ऐसे में शाला के पहले दिन विद्यार्थियों को नि:शुल्क गणवेश कैसे मिलेगे, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.
बता दें कि, समग्र शिक्षा अभियान अंतर्गत जारी वर्ष में कक्षा पहली से आठवीं के विद्यार्थियों हेतु गणवेश के लिए अमरावती जिले को 3 करोड 75 लाख 29 हजार रुपए की निधि उपलब्ध हो चुकी है. जिसमें से सभी शालाओं में पढने वाले प्रत्येक छात्रा के साथ ही सभी अनुसूचित जाति जनजाति व गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 1 लाख 25 हजार 97 छात्रों को इस निधि से एक-एक गणवेश दिया जाएगा. इसके लिए शालेय शिक्षा विभाग ने 14 पंचायत समितियों को निधि भेज दी है. परंतु शालेय गणवेश के रंग, कपडे व खरीदी के बारे में स्थानीय शाला व्यवस्थापन समिति की बैठक में निर्णय लेना है. लेकिन इस समय सभी शालाओं में गर्मी की छूट्टियां चल रही है और जिले की अधिकांश शालाओं में शालेय व्यवस्थापन समिति की बैठक ही नहीं हुई है. जिसके चलते विद्यार्थियों के गणवेश की खरीदी का मामला अटका पडा है. इससे पहले सरकार ने शालेय विद्यार्थियों को 2-2 गणवेश देने की घोषणा की थी. जिसमें बदलाव करते हुए एक ही गणवेश देने का निर्णय लिया गया. इसके लिए प्रति विद्यार्थी 300 रुपए के हिसाब से अनुदान दिया जा रहा है.
इस गणवेश वितरण से ओबीसी व ओपन संवर्ग के विद्यार्थियों को वंचित रखा गया है. जिसके चलते जहां एक ओर शाला व्यवस्थापन समिति की बैठक शत प्रतिशत नहीं हो पायी है. वहीं दूसरी ओर गणवेश खरीदी का मामला भी अब तक तय नहीं हो पाया है. ऐसे में 30 जून को शाला के पहले दिन विद्यार्थियों को नि:शुल्क गणवेश कैसे मिल पाएगा. यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.
* गणवेश की गुणवत्ता को लेकर भी जवाबदेही तय
गणेवश खरीदी का अधिकार शाला व्यवस्थापन के पास है. जिसके चलते गणवेश का कपडा आईएसआई व बीआईएस दर्जे का होना अनिवार्य किया गया है. यदि गणवेश जल्दी फट जाता है, या कपडा कमजोर अथवा दर्जाहिन रहने की वजह से घीस जाता है, तो इसकी जबाबदारी शाला व्यवस्थापन समिति पर रहेगी.
* शालेय गणवेश के लिए जिलास्तर से पंचायत समिति के पास निधी उपलब्ध करा दी गई है. परंतु इससे पहले शाला व्यवस्थापन समिति ने गणवेश खरीदना चाहिए. जिसके बाद पंचायत समिति द्बारा देयक अदा किए जाएगे, ऐसा बताया गया है.
– राजेश सावरकर,
राज्य प्रतिनिधि, प्राथमिक शिक्षक समिति.