अमरावतीमुख्य समाचार

जेलों में हमले व मारपीट के मामले बढे

अंतर्गत सुरक्षा पर सवालिया निशान

* कई अधिकारियों व कर्मचारियों के पद पडे है रिक्त
* जेल के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम अटका है अधर में
अमरावती/ दि.24 – राज्य की जेलों में इस समय तय क्षमता से अधिक कैदी भरे हुए है. वहीं दूसरी ओर जेलों में अधिकारी व कर्मचारियों के कुल मंजूर पदों में से सैकडों पद रिक्त पडे है. साथ ही साथ जेलों के भीतर कैदियों की प्रत्येक गतिविधि पर नजर बनाए रखने हेतु सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का प्रस्ताव भी विगत लंबे समय से अधर में लटका पडा है. जिसके चलते जेलों के भीतर व्यवस्था व सुरक्षा की स्थिति बनाए रखने का मामला काफी हद तक बिकट हो चला है. वहीं विगत कुछ दिनों से गंभीर किश्म के अपराधों में लिप्त रहने वाले कैदियों व्दारा दूसरे कैदियों सहित जेल स्टॉप पर हमला करने व उनके साथ मारपीट करने की घटनाएं भी घटित हो रही है. हाल ही में अमरावती व नागपुर मध्यवर्ती कारागार में कैदियों व्दारा किये गए ऐसे हमलों की वजह से जेल की अंतर्गत सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगते नजर आ रहे है.
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नागपुर मध्यवर्ती कारागार में सोमवार की सुबह 9 बजे के आसपास जेलर वामन निमजे हमेशा की तरह फांसी यार्ड में गश्त लगा रहे थे, तभी उम्रकैद की सजा काट रहे आरोपी साहिल अजमत कासलेकर (33, नायसी, तह. चिपलूण, जि. रत्नागिरी) ने उनपर अचानक हमला कर दिया. याद दिला दे कि, साहिल कासलेकर ने ही 28 जून 2022 को अमरावती में जेल ब्रेक की घटना को अंजाम दिया था. जब साहिल सहित दो अन्य आरोपी अमरावती सेंट्रल जेल से फरार हो गए. जिसमें से काफी मशक्कत के बाद साहिल कासलेकर को पकडा गया और नागपुर सेंट्रल जेल में रखा गया. वहीं साहिल के साथ भागे अन्य दो कैदियों का आज तक कोई अता-पता नहीं चल पाया. वहीं दूसरी ओर अमरावती सेंट्रल जेल में शनिवार 21 जनवरी को शाम 5 से रात 11 बजे के बीच येरवडा जेल से आये आठ न्यायिक कैदियों ने अमरावती के ऋषिकेश मोडक व अर्जुन घुगे नामक दो कैदियों के साथ मारपीट करते हुए उन्हें बुरी तरह से घायल कर दिया. इस समय जेल स्टाफ ने कैदियों के बीच होने वाली इस मारापिटी को हस्तक्षेप करते हुए रुकवाया, लेकिन तब तक येरवडा से लाये गए आठ कैदियों व्दारा की गई मारपीट में अमरावती के दोनों कैदी बुरी तरह से घायल हो गए थे. जिन्हें तुरंत ही इलाज के लिए जेल के अस्पताल में भर्ती कराया गया. साथ ही फे्रजरपुरा पुलिस ने अक्षय घाडगे, अक्षय सोलुसे, आकाश निरे, आशिष डाकले, अर्जुन म्हस्के, प्रज्योत पांडुरंग, अभिषेक खोंड व आमिर मुजावर इन कैदियों के खिलाफ मामला दर्ज किया. याद दिला दे कि, इससे पहले नवंबर 2022 के दौरान येरवडा सेंट्रल जेल में भी कैदियों व्दारा जेल स्टाफ पर हमला किया गया था. परंतु वह मामला पुलिस तक नहीं जाने दिया गया था और ेजेल के स्तर पर ही उसे निपटा दिया गया था.

100 जेल अधिकारी व 9 अधिक्षक के पद रिक्त
मध्यवर्ती, जिला, विशेष सेवा सुधार, महिला व खुली जेल में जेल अधिकारियों के करीब 100 पद रिक्त है.
– वहीं सेंट्रल जेलों में जेल अधिक्षक के 9 पद रिक्त पडे है. 7 सेंट्रल जेलों में प्रभारी अधिक्षक के भरोसे काम चल रहा है.
– राज्य की विभिन्न जेलों में सुरक्षा रक्षकों के भी 350 से अधिक पद रिक्त है.
– इतने बडे पैमाने पर अधिकारियों व कर्मचारियों के पद रिक्त रहने के चलते जेलों में प्रशासकीय व दैनिक कामकाज बुरी तरह से प्रभावित होता है.
– वहीं अब अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी के चलते जेलों के भीतर सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगता नजर आ रहा है.

मानवाधिकार की आड में कैदियों की बढ रही हिम्मत
जेलों में अधिकारी व कर्मचारियों के पद रिक्त रहने के चलते कई पेशेवर अपराधियों व्दारा इसका फायदा उठाया जाता है. साथ ही जब उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो वे मानवाधिकार के पर्याय ्रका प्रयोग करते हुए अदालत में शिकायत करते है. साथ ही ऐसे मामलों में न्यायाधीश व्दारा जांच शुरु किये जाने पर कैदी आपस में दबाव गुट तैयार करते हुए जेल के अधिकारियों व कर्मचारियों को आरोपी के पिंजरे में खडा कर देते है, ऐसे में जांच हेतु आये न्यायाधीश व्दारा भी जेल के अधिकारी व कर्मचारियों पर कई बार अन्याय हो जाता है. जिसके चलते जेल में बंद रहने वाले कैदियों में जेल अधिकारियों व कर्मचारियों पर हमला करने या उनके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने की हिम्मत बढ गई है.

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