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आश्रम शाला में मृत्यु के मामले बढे

5.5 वर्ष में 680 विद्यार्थियों ने गंवाई जान

* अमरावती संभाग में 80 छात्र-छात्राओं का समावेश
मुंबई/दि.12 – समाज की मुख्य धारा से दूर आदिवासी बच्चों को शिक्षा के साथ जीवन जीने आधार देने के उद्देश्य से शुरु की गई आश्रम शालाओं में गत साढे पांच वर्षो में 680 विद्यार्थियों की मृत्यु होने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है. उसमें से 282 छात्र-छात्राओं की जान विभिन्न बीमारियों के कारण जाने का खुलासा हुआ है. फिर भी स्पष्ट है कि आश्रम शालाओं में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर घोर लापरवाही हो रही है. अमरावती संभाग की बात करें तो संबंधित अवधि में 80 विद्यार्थियों की जान चली गई जिसमें 44 छात्राएं है. विद्यार्थियों की मृत्यु संख्या में नाशिक संभाग में सर्वाधिक 278 विद्यार्थियों की मृत्यु हुई है.
* सरकार ध्यान देगी क्या
आश्रम शालाओं में हो रही मौत का सर्वे समर्थन नामक संस्था ने किया है. संस्था के संयोजक रुपेश कीर ने बताया कि बच्चोें के स्वास्थ्य, कुपोषण और अधिकारों के लिए यह संस्था काम करती है. इस संस्था ने खुद होकर आंकडे जुटाए जिसकी मानवाधिकार आयोग ने दखल ली. सरकार से जवाब तलब किया है. जानकारी का विश्लेषण करने पर सर्वाधिक मृत्यु विभिन्न बीमारियों से होने की बात पता चली है. बीमारियों में मुत्रपिंड बेकार होना, सांस की तकलीफ, कैंसर, मिर्गी, टीबी, एनिमिया, सिकलसेल, बडी आंतडियों की बीमारी जैसे अनेक कारण सामने आए है. 282 विद्यार्थियों में से 150 लडकियां है. कीर ने सवाल उठाया कि क्या सरकार इस बारे में दखल लेगी? सरकारी आश्रम शालाओं में इतनी बडी संख्या में बच्चोें की मृत्यु होना शर्मनाक नहीं है क्या? इस प्रकार का प्रश्न कीर ने उपस्थित किया.
* मृत्यु की वजह
99 विद्यार्थियों की अकस्मात मृत्यु हो गई. 57 विद्यार्थियों की दुर्घटना में जान चली गई जिसमें 45 लडके है. फांसी लगाकर मृत बच्चों की संख्या 46 है. 45 बच्चों को सांप ने डस लिया, 38 विद्यार्थियों की मृत्यु पानी में डूबने से हो गई. 13 विद्यार्थियों ने विषप्राशन किया. 12 विद्यार्थियों की करंट लगने से जान चली गई. 8 लडकों ने आत्महत्या की. 7 विद्यार्थी पेड से गिरने से मृत हो गए. जलने की वजह से 6, हृदयाघात से 4 और झूले की रस्सी फंदा बन जाने से 4 विद्यार्थियों की मृत्यु हो गई.

 

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