गत वर्ष की तुलना में हत्या, हाफ मर्डर, रेप व डाके के मामले बढे
चोरी, वाहन चोरी, छेडछाड व झगडे के मामले घटे
* शहर में 10 माह के अपराधों का लेखाजोखा
अमरावती /दि.2- अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र अंतर्गत जनवरी से अक्तूबर माह तक 10 माह के दौरान जहां गत वर्ष 3 हजार 959 अपराधिक मामले दर्ज हुए थे. वहीं जारी वर्ष के दौरान इन्हीं 10 माह में 3 हजार 310 अपराधिक मामले दर्ज हुए है. ऐसे में सनसनी तौर पर देखने से महसूस होता है कि, शहर में अपराधिक वारदातों की संख्या घटी है. परंतु हकीकत यह है कि, इन 10 माह के दौरान हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार व डाके जैसे संगीन अपराधों की संख्या में अच्छी खासी वृद्धि हुई है. वहीं चोरी, वाहन चोरी, छेडछाड व आपसी झगडे जैसे छिटपूट अपराधों पर पुलिस द्वारा कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सका है.
बता दें कि, जनवरी से अक्तूबर तक 10 माह दौरान अमरावती शहर में वर्ष 2023 में हत्या की कुल 20 वारदाते हुई थी. वहीं जारी वर्ष में यह संख्या 28 है. यानि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष हत्या की 8 वारदातें अधिक हुई है. इसी तरह गत वर्ष हॉफ मर्डर यानि हत्या के प्रयास की 35 वारदाते घटित हुई थी. जिनकी संख्या इस वर्ष 42 रही. यानि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 7 हार्फ मर्डर ज्यादा हुए. इसके अलावा गत वर्ष डाके के 8 मामले दर्ज किये गये थे. जिनकी संख्या इस वर्ष 13 रही. यानि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष डाके के मामलों की संख्या 5 से अधिक रही. इन सबके साथ ही गत वर्ष बलात्कारा यानि दुराचार के 41 मामले दर्ज हुए थे. जिनकी संख्या इस वर्ष 46 रही. यानि दुराचार के भी 5 मामले ज्यादा दर्ज हुए. वहीं बीते वर्ष घरफोडी की 221 शिकायतें सामने आयी थी. जिनकी संख्या इस वर्ष 226 है. यानि तमाम प्रतिबंधात्मक उपायों के बावजूद भी सेंधमारी व घरफोडी की वारदातों में इजाफा हुआ है.
इसके अलावा गत वर्ष राहजनी के 72 व चोरी के 1023 मामले दर्ज हुए थे. जिनकी संख्या इस वर्ष क्रमश: 61 व 710 रही. इसके अलावा गत वर्ष वाहन चोरी के 378 मामले दर्ज हुए थे. जिनकी संख्या इस वर्ष 332 है. इसके अलावा गत वर्ष छेडछाड के 229 व आपसी झगडे के 582 मामले दर्ज हुए थे. जिनकी संख्या इस वर्ष 131 व 489 रही. यानि छेडछाड के 98 व झगडे के 93 मामले कम दर्ज हुए है. उल्लेखनीय है कि, शहर पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी द्वारा अपराधों को नियंत्रित करने हेतु अपराधी तत्वों की नकेल कसने के लिए कई तरह के प्रतिबंधात्मक उपायों पर काम किया जा रहा है. जिसके चलते चोरीव राहजनी जैसे अपराधों सहित आपसी गुटबाजी के चलते होने वाले झगडों जैसी वारदातों पर तो काफी हद तक अंकुश पाया जा सका है. लेकिन दूसरी ओर हत्या, हत्या के प्रयास, दुराचार, डाके व सेंधमारी जैसी घटनाओं में बदस्तूर तेजी बनी हुई है.