अमरावती/दि.३० – देश में जाती निहाय आरक्षण बंद किए जाने चाहिए. राजनीतिक पार्टियां वोटो के लिए ढाल बनाकर आरक्षण का इस्तेमाल करती है. ऐसा प्रतिपादन जिले के पूर्व सांसद अनंत गुढे ने व्यक्त किए. पूर्व सांसद गुढे ने कहा कि देश में सत्ता पर आने वाली हर सरकार ने जाती-जमाती उन्नती, प्रगती, शिक्षण, नौकरी, व्यवसाय के लिए अनेकों उपाय योजना चलाती है. आज समाज ने बडी प्रगती की है जिन्हें आरक्षण की आवश्यकता नहीं है उनके आरक्षण रद्द करने की भी योजना सरकार ने बनानी चाहिए.
पूर्व सांसद गुढे ने आगे कहा कि अनेक दशकों से जो जाती-जमाती धर्म, समाज प्रवाह से बहार था व उन्हें समाज व्यवस्था में स्थान नहीं था. शिक्षा, नौकरी आर्थिक प्रगती से जो समाज कोसो दूर था ऐसे समाज को किसी प्रकार की सुविधा नहीं थी. ऐसी जाती जमाती व धर्म के लोगों को भी बाकि लोगों के साथ जीवन यापन किए जाना चाहिए. एक देश एक राष्ट्र के प्रति अपनी जवाबदारी है. संविधान निर्माता ने आरक्षण विषय का घटना में समावेश किया घटना समिति ने केवल १० वर्षो के लिए आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करवायी थी. उसके पश्चात काल की आवश्यकता के अनुसार १० साल के लिए फिर आरक्षण बढा दिया जाए ऐसा स्पष्ट किया गया था.
जिले के पूर्व सांसद अनंत गुढे ने कहा कि आरक्षण अब राजनीतिक विषय बन गया है. जिन-जिन जाती तथा धर्मो का फायदा वोटो के लिए होता है उन जातियों तथा धर्मो को ढाल बनाकर राजनीति की जाती है. पिछले ७० वर्षो में आरक्षण मिलने के बाद भी समाज में बडी दूरी निर्माण हुई है. कुछ लोगों को आरक्षण का लाभ मिला किंतु अभी भी अनेक जाती जमाती विकास से वंचित है. पूर्व सांसद गुढे ने कहा कि आरक्षण की व्यवस्था गरीब और जरुरतमंदो के लिए की जानी चाहिए. फिर वह गरीब कोई भी जाती का या धर्म का हो. अभी भी धनगर, मातंग,गोवारी, गौंड आरक्षण सूची में है. इन सभी के लिए नया कानून बनाने की आवश्कता है ऐसा भी शिवसेना संपर्क प्रमुख पूर्व सांसद अनंत गुढे ने कहा.