जातिवाचक गालिगलौच सार्वजनिक रुप से करने पर ही लागू होगा एट्रासिटी
नागपुर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
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मोर्शी थाने मे दर्ज एफआईआर रद्द किया
अमरावती/प्रतिनिधि दि.३ – अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग के व्यक्ति को उसके जाति पर सार्वजनिक रुप से अपमानित किया अथवा गालिगालौच की तो ही एट्रासिटी का अपराध लागू होता है. इस तरह का महत्वपूर्ण निर्णय मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक मामले में दिया हेै. अमरावती जिले के मोर्शी स्थित अवकाश इंगोले ने उनके खिलाफ एट्रासिटी कानून अंतर्गत दाखल एफआईआर के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दाखल की थी. हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में न्यायमूर्तिव्दय अतुल चांदुरकर व गोविंद सानप ने यह निर्णय देकर इंगोले के विरुध्द का एफआईआर कानूनी व्यवस्था में न बैठने के कारण रद्द किया है.
शिवकाली धुर्वे ने दी हुई शिकायत पर विवादीत एफआईआर दाखल किया गया था. इंगोले ने जयस्तंभ चौक पर ऑटो रोककर जाति पर अपमानित किया, धमकाया व गालिगलौच की, ऐसा धुर्वे का आरोप था. किंतु ऑटो चालक ने घटनास्थल पर इंगोले उपस्थित थे, ऐसा बयान में नहीं बताया, इसके अलावा जिनकी उपस्थिति में यह घटना हुई, ऐसा एक भी स्वतंत्र गवाह नहीं जांचा गया. जिससे धुर्वे के अलावा अन्य व्यक्ति के सामने अथवा सार्वजनिक रुप से यह घटना होने की बात न्यायालय को नहीं दिखाई दी.
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आरोपों की सत्यता पर संदेह
हाईकोर्ट ने धुर्वे के आरोपी की सत्यता पर भी संदेह व्यक्त किया. शिकायत के अनुसार यह घटना 8 मार्च 2021 को घटीत हुई थी. किंतु पुलिस थाने में 15 मार्च 2021 को शिकायत दर्ज की. धुर्वे ने इंगोले का नाम पता नहीं था, इस कारण शिकायत दर्ज करने में विलंब होने का कारण बताया था. उसपर न्यायालय का विश्वास नहीं बैठा. धुर्वे ने इंगोले से 2018 में एक दुकान किराये पर लिया था, ऐसा रहते हुए भी उन्हें इंगोले का नाम पता नहीं था, यह कारण योग्य नहीं लगता, ऐसा न्यायालय ने स्पष्ट किया है.