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जीएसटी (GST) के स्वरुप पर कैट शीघ्र जारी करेगा श्वेत पत्र
अमरावती/दि.15 – जीएसटी कर प्रणाली जिसे सरलीकृत कर प्रणाली मनाने का दावा लगातार किया जा रहा है. वास्तव में सही अर्थो में अब तक की सबसे जटील कर प्रणाली बन गई है. जिसमें व्यापारियों को कोई सुविधा नहीं है बल्कि हर तरफ से इस प्रणाली के माध्यम से व्यापारियों को जकड लिया गया है. इससे साफ जाहिर होता इस प्रणाली को अब लोकतांत्रिक तंत्र नहीं बल्कि अधिकारी तंत्र चला रहा है.
कैट जीएसटी के वर्तमान स्वरुप का घोर विरोध करता है. देश के हर राज्य में अब जीएसटी के अनेक प्रावधानों को लेकर विरोध के स्वर तेज होते जा रहे है. और न केवल व्यापारियों बल्कि कर प्रैक्टिशनरों, लघु उद्योग एवं व्यापार से जुडे अन्य वर्गो ने भी कैट के भारत बंद को अपना व्यापक समर्थन दिया है. प्रत्येक राज्य में कैट के प्रदेश स्तर पर नेता है इस भारत बंद को अभूतपूर्व सफल बनाने के लिए पूरे तौर पर जुट गए है.
जीएसटी पर अधिनायकवाद के प्रमुखों के खिलाफ एकजुट होकर खडे हो गए है. केंद्र सरकार द्बारा हाल ही में दो अधिसूचना संख्या 01/2021 केंद्रीय कर नई दिल्ली 1 जनवरी 2021 और अधिसूचना संख्या 94/2020 केंद्रीय कर नई दिल्ली 22 दिसंबर 2020 को जारी की गई है. जिसमें जीएसटी नियमों में अनेक संशोधन किए गए है ! इन अधिसूचनाओं को जारी करते समय भारत के संविधान न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत और भारतीय न्याय व्यवस्था की घोर अनदेखी की गई है. इस अधिसूचना के जरिए कर अधिकारियों को यह खुला अधिकार दिया है की वो अपने विवेक के आधार पर बिना कोई नोटिस दिए अथवा बिना कोई सुनवाई किए किसी भी व्यापारी का जीएसटी पंजीयन नंबर निलंबित कर सकते है.
एक तरफ देश में न्याय के उच्च मापदंडो का पालन करते हुए घोषित आतंकवादी अजमल कसाब को सुनवाई का अंतिम विकल्प देते हुए रात 2 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जाती है. लेकिन दूसरी तरफ देश के व्यापारियों को अपना पक्ष रखे बिना उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान जीएसटी में किया गया है. यह कितना बडा विरोधाभास हैै? कॉन्फडरेशन ऑफ आल इंडिया टे्रडर्स (कैट) का यह स्पष्ट मत है कि, भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को अपनी मर्जी का मौलिक व्यापार करने का अधिकार दिया गया है.
इस कारण से किसी भी व्यापारी को बिना कोई कारण बताए अपनी रिटर्न को दाखिल करने से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर किसी भी खरीददार व्यापारी द्बारा खरीदे गए माल पर दिए हुए कर का इनपुट के्रडिट लेने से उसे वंचित नहीं किया जा सकता है, और बिना कोई कारण बताए अथवा सुनाई का मौका दिए बिना उसका जीएसटी पंजीकरण नंबर भी निलंबित नहीं किया जा सकता है. केंद्रीय बजट में प्रस्तावित धारा 16 (2) (ए,ए) जीएसटी के मूल विचार के खिलाफ है. इसमें यह प्रावधान किया गया है कि माल बेचने वाला व्यापारी यदि प्राप्त किए गए कर को राजस्व में जमा कराने का प्रमाण माल खरीदने वाले व्यापारी को नहीं देगा तो माल खरीदने वाले व्यापारियों को उसके द्बारा दिए हुए कर का इनपुट के्रडिट नहीं मिलेगा.
वहीं जीएसटी की धारा 75 (12) में यदि गलती से व्यापारी ने अधिक टैक्स की गणना कर दी तो वह स्वकर निर्धारण टैक्स मानकर व्यापारी से धारा 79 के अंतर्गत बिना कोई नोटिस दिए वसूला जाएगा. खेद है कि, जीएसटी कानून में रिटर्न को संशोधित करने का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए इस प्रावधान की मार बडी संख्या में आम व्यापारियों पर पडना निश्चित है. इसी तरह से धारा 121 (1) (ए) में ट्रान्सपोर्ट के द्बारा दिए जाने वाले माल को यदि रास्ते में किसी अनियमितता के लिए रोका जाता है तो विभाग को ऐसे मालवाहक वाहन को तथा उसमें रखे माल को जब्त करने का अथवा अपनी हिरासत में लेने का अधिकार दिया गया है.
अभी तक इस प्रकार के मामलों में 100 प्रतिशत जुर्माना था. जिसको बढाकर अब 200 प्रतिशत कर दिया है ऐसे किसी माल को अगर कोई व्यक्ति बांड देकर भी छूडाना चाहे तो नहीं छूडा सकता है. इसको धारा 129 (2) में नकल जुर्माना देने पर ही माल छूडाना पडेगा. एक तरफ सरकार डिजिटल भुगतान को बढावा दे रही है वहीं दूसरी ओर जीएसटी नगद लेन-देन को प्रोत्साहित कर रहा है. कैट ने यह भी कहा कि 1 जुलाई 2021 से जो व्यापारी टीडीएस भुगतान पर काटते है अब उन्हें टीडीएस काटने से पहले यह सुनिश्चित करना भी जरुरी होगा कि, सप्लायर ने पिछले दो वर्षो में टीडीसएस की रिटर्न दाखिल की है अथवा नहीं और इस आशयक का प्रमाणपत्र भी उसे सप्लायर से लेना होगा.जीएसटी एवं एकाउंटिंग को इतना जटिल बना दिया गया है कि आम व्यापारी व्यापार करने से कतराने लगा है. यदि ऐसा ही रहा तो बडी संख्या में देश के व्यापारी जीएसटी के अंतर्गत अपना पंजीकरण नंबर वापिस करने में देरी नहीं करेगे