अमरावती

सीसीआय खुले बाजार से करेगा कपास खरीदी

पणन को सब एजेंट बनाने से इन्कार

अमरावती/दि.21 – खुले बाजार में कपास के दाम गिरने पर अक्सर की कपास उत्पादक किसानों की लूट होती है. ऐसे समय पणन महासंघ के गारंटी केंद्र किसानों के साथ खडे रहते है. किंतु इस वर्ष खुले बाजार में कपास के दाम न्यूनतम गारंटी मूल्य से काफी अधिक है. जिसके चलते इस वर्ष सीसीआय व पणन महासंघ के पास किसान अपनी कपास बेचने हेतु नहीं पहुचेंगे. ऐसे संकेत दिखाई दे रहे है. परिणामस्वरूप सीसीआय द्वारा खुले बाजार से कपास खरीदने को लेकर हलचले तेज कर दी गई है.
उल्लेखनीय है कि, विदर्भ एवं मराठवाडा क्षेत्र में कपास का उत्पादन बडे पैमाने पर होता है. जिसके चलते कपास को इस क्षेत्र की प्रमुख फसल कहा जाता है. इस वर्ष कपास के लिए 6 हजार 25 रूपये प्रति क्विंटल के दाम घोषित हुए है. वहीं जारी वर्ष के दौरान पूरी दुनिया में कपास का उत्पादन कम हुआ है. जिसके चलते खुले बाजार में कपास के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी अधिक है. साथ ही आगामी दौर में कपास के दामोें में और भी अधिक इजाफा हो सकता है. इस समय खुले बाजार में कपास की खरीदी 6 हजार 800 से 7 हजार रूपये प्रति क्विंटल की दर पर हो रही है. जो न्यूनतम गारंटी मूल्य की तुलना में प्रति क्विंटल करीब 1 हजार रूपये से अधिक है. साथ ही आगामी दिनों में यह फर्क और भी अधिक बढ सकता है. चूंकि खुले बाजार में अधिक दाम मिल रहे है. ऐसे में इस वर्ष पर्णन महासंघ के पास बिक्री हेतु कपास आने की संभावना काफी कम है. यहीं वजह है कि, सीसीआय ने इस वर्ष पणन महासंघ को अपना सब एजेंट नियुक्त करने से इन्कार करते हुए खुले बाजार से कपास की खरीदी करने का निर्णय लिया है. जिसके चलते पणन महासंघ काफी दिक्कतोें में फंसा हुआ दिखाई दे रहा है.
वहीं अब यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि, आगे चलकर खुले बाजार में कपास के दाम घटते है, तो किसानों का वाली कौन रहेगा. इसके अलावा सीसीआय खुद भी न्यूनतम गारंटी मूल्य पर ही कपास की खरीदी करती है. ऐसे में खुले बाजार में कपास के दाम अधिक रहने के चलते सीसीआय को भी कपास नहीं मिलनेवाली. किंतु सीसीआय ने नियमित ग्राहकों को खुले बाजार से मौजूदा दरों के अनुसार कपास खरीदने को मंजूरी नहीं दी, तो सीसीआय को भी खुद खुले बाजार से उंची दरों पर कपास खरीदनी पडेगी, ऐसी संभावना दिखाई दे रही है. हालांकि इसे लेकर दीपावली के बाद चित्र स्पष्ट होगा.

पणन की गारंटी कौन लेगा

प्रति वर्ष सीसीआय द्वारा पणन को सब एजेंट के तौर पर नियुक्त किया जाता है. जिसके बाद कपास खरीदने के लिए पणन महासंघ द्वारा बैंक से कर्ज लिया जाता है और इस कर्ज की गारंटी राज्य सरकार द्वारा ली जाती है. कपास की गांठे बेचने के बाद बैंक का कर्ज अदा किया जाता है. किंतु अब सीसीआय द्वारा हाथ पीछे खींच लिये जाने की वजह से पणन को अपने दम पर कपास खरीदनी होगी. किंतु पणन के पास भुगतान करने के लिए पैसे नहीं है. ऐसे में पणन को राज्य सरकार द्वारा हरी झंडी दिखाई जाने के बाद ही पणन द्वारा कपास की खरीदी की जा सकेगी.

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